कोरोना विस्फोट वैक्सीनेशन का अप्रत्यक्ष साइड इफेक्ट तो नहीं..?

इंदौर ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश या पूरे देश में कोरोना संक्रमण जिस विस्फोटक रूप में लौटा है, कहीं यह वैक्सीनेशन का अप्रत्यक्ष साइड इफेक्ट तो नहीं है। इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वैक्सीन सेफ नहीं है, बल्कि लोगों की लापरवाही अनसेफ है।

कोरोना विस्फोट वैक्सीनेशन का अप्रत्यक्ष साइड इफेक्ट तो नहीं..?

वैक्सीन तो सेफ है, पर लापरवाही बन रही है अनसेफ

वैक्सीनेशन के बाद लोगों का लापरवाह होना बढ़ा रहा है संक्रमण

द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.

वैक्सीन तो वही काम कर रही है, जो उसे करना चाहिए, लेकिन वैक्सीन लगवाने के बाद लोग जिस तरह से शेर बन रहे हैं, यह सोचकर लापरवाह हो रहे हैं कि अब उन्हें कुछ नहीं होगा, वह कोरोना संक्रमण को फैलाने में तेजी से मदद कर रहा है। क्योंकि वैक्सीन का लॉक पीरियड दो महीने का है और लोग हैं कि वैक्सीन लगवाते ही शेर जैसे खुले में घूमने निकल पड़ते हैं।

अब जरा आंकड़ों पर भी नजर डालिए

16 जनवरी की स्थिति में पिछले साल का आंकड़ा मिलाकर इंदौर में पॉजिटिव मरीजों की संख्या 56969 थी, जिसमें से 54456 ठीक हो चुके थे। 917 की मौत हुई थी। 16 जनवरी को वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई और 375 लोगों को टीका लगा। इसे शुरुआती पाइंट मानकर चलते हैं-

 समझते हैं कैसे काम करती है वैक्सीन

मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है। इसका कारण यह है कि कोरोना का वैक्सीन लेने के दो महीने तक शरीर की इम्यूनिटी पॉवर कम रहती है। जानिए क्या हैं कारण-

  • - कोरोना वैक्सीन के पहले डोज के 28 दिन बाद दूसरा डोज लेना होता है।
  • - वैक्सीन शरीर में प्रवेश करने के तुरंत बाद ही एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है।
  • - जब हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन रहा होता है तो हमारी इम्युनिटी बहुत कम हो जाती है।
  • - 28 दिन बाद वैक्सीन का दूसरा डोज लेते हैं तो उस समय इम्युनिटी और भी कम हो जाती है।
  • - दूसरे डोज के 14 दिन बाद हमारे शरीर में एंटीबॉडी पूरी तरह बन जाते हैं और इम्युनिटी तेजी से बढ़ने लगती है।
  • - इन 2 महीने के दौरान इम्युनिटी कम रहने के कारण कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा होता है।
  • - इन 2 महीने के दौरान घर के बाहर निकलना बहुत रिस्की रहता है। आसानी से कोरोना का शिकार बन सकते हैं।  
  • - 2 महीने के बाद कई गुना इम्युनिटी पॉवर शरीर में बन जाती है, उसके बाद आप सुरक्षित हैं।
  • - पहले डोज से 2 महीने तक ध्यान से एवं सुरक्षित रहने की जरूरत है। संभव हो तो खुली जगह और भीड़ से बचना ही चाहिए।

इसलिए सरकार कह रही है सावधानी जरूरी

कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने और लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीनेशन की गाइड लाइन पहले ही जारी की गई थी। पर लोग नहीं मान रहे है। वैक्सीन लगाते ही वे खुद को सुरक्षित समझने लगते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन लगाने के बाद भी हमें सभी सावधानियों का पालन करना चाहिए। मास्क लगाने के साथ ही एक दूसरे से सुरक्षित दूरी, बार-बार हाथों को साफ करना, सैनिटाइजर करना आदि का पालन करना जरूरी है। 

वैक्सीन के बाद बचाव ज्यादा जरूरी

वैक्सीन पूरी तरह से सेफ है। पर यह भी सही है कि वैक्सीन लगवाने के बाद शरीर एंटीबॉडी बनाने में व्यस्त रहता है, इसलिए उस समय एस्पोजर से बचना चाहिए, नहीं तो संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इस बचकर चलने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। पूरी तरह एंटीबॉडी बनने के बाद कोई खतरा नहीं होता है। यहां तक कि दूसरे स्ट्रैन पर भी वैक्सीन कारगर है।

- डॉ. क्षितिज दुबे, कॉर्डियोलॉजिस्ट राजश्री अपोलो हास्पिटल