नियमों के विरुद्ध जाकर सायाजी की लीज कंपाउंडिंग मेँ जुटा इंदौर विकास प्राधिकरण
कल बोर्ड मीटिंग में जांच समिति द्वारा पेश की जाना है रिपोर्ट
द एक्स्पोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
इंदौर विकास प्राधिकरण की कल प्रस्तावित बोर्ड मीटिंग में कई अहम फैसले होने की उम्मीद हे जिसमें एक मामला होटल सयाजी की लीज कंपाउंडिंग से संबंधित है ! लीज शर्तों के उल्लंघन के चलते वर्ष 2018 में हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए प्राधिकरण ने होटल सयाजी की लीज को निरस्त किया था ! जो भूमि प्राधिकरण द्वारा होटल सयाजी को होटल व्यवसाय हेतु दी गई थी होटल प्रबंधन में उसी भूमि में से कुछ हिस्से को बेचते हुए वहां सायाजी प्लाजा बना डाला और उसमे मौजूद दुकानों को तकरीबन 35 लोगों को बेच भी दिया ! क्योंकि लीज शर्तों में स्पष्ट था की इस भूमि का कुछ भी अन्य उपयोग सयाजी प्रबंधन द्वारा नहीं किया जा सकता ! इसी शर्त का उल्लंघन करते हुए प्रबंधन ने सयाजी प्लाजा का निर्माण कर दिया ! जब मामला प्राधिकरण के संज्ञान में आया तो वर्ष 2017 में प्राधिकरण द्वारा लीज निरस्त कर दी गई जिसको सायाजी द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई ! वर्ष 2018 में निर्णय पारित करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मामला लीज शर्तों के उल्लंघन का हे और स्पष्ट रूप से दिख रहा हे की शर्तों का उल्लंघन किया गया हे ! अतः सायाजी प्रबंधन को कोई भी रियायत नहीं दी जा सकती , इसी आदेश के परिपालन में वर्ष 2018 में प्राधिकरण द्वारा लीज को निरस्त कर दिया गया !
वर्ष 2021 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लीज कंपाउंडिंग के नए नियम जारी किए गए और इन्हीं नियमों का हवाला देते हुए सयाजी प्रबंधन द्वारा हाईकोर्ट में चल रही अपील में मांग की गई कि अब जब नए नियम आ गए हैं तो हमें भी कंपाउंडिंग की इजाजत दी जाए , जिस पर हाईकोर्ट ने प्राधिकरण को कंपाउंडिंग आवेदन पर निर्णय देने हेतु निर्देशित किया ! प्राधिकरण द्वारा नगर तथा ग्राम निवेश विभाग को एक पत्र लिख अभिमत भी मांगा गया जिसके जवाब में टीएनसीपी द्वारा कहा गया कि अगर सयाजी प्रबंधन भूमि को अपने पूर्व स्वरूप में ला सकता है और वहां बने निर्माण को हटा सकता हे तो कंपाउंडिंग की जा सकती है ! इसी पर प्राधिकरण द्वारा एक जांच कमेटी बनाई गई जो अपनी रिपोर्ट संभवत कल होने वाली बोर्ड मीटिंग में रख सकती है !
कमेटी पर उठ रहे सवाल
जांच कमेटी के प्रमुख के रूप में अधीक्षण यंत्री ज्ञानेंद्र सिंह जादौन को रखा गया जिन पर पहले ही सायाजी को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं और मामला लोकायुक्त में दर्ज है ! उक्त मामले में लोकायुक्त सर्वोच्च न्यायालय तक जा चुका है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी तल्ख टिप्पणी करते हुए आदेश पारित किया था कि मामले में भ्रष्टाचार के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं और मामले में पुनः ट्रायल करने का आदेश भी दिया ! जिस पर फैसला इसी महीने की 11 तारीख को आने की संभावना है ! अब सवाल यह उठता है कि जो अधिकारी पहले ही आरोपों की गिरफ्त में हे उसी को सायाजी की कंपाउंडिंग करने हेतु जांच समिति का मुखिया कैसे बनाया जा सकता है ? दूसरा सबसे बड़ा प्रश्न है कि जो कंपाउंडिंग के नियम मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए उनमें स्पष्ट तौर पर लिखा है यह सारे नियम prospective प्रभाव से जारी किए गए हैं और नियमों में यह भी स्पष्ट लिखा है कि अगर कोई लीज कोर्ट के किसी आदेश के तहत निरस्त की जाती हे तो ऐसे मामलों में यह नियम लागू नहीं होंगे ! ज्ञात रहे की नियम वर्ष 2021 में जारी किए गए हैं और सायाजी की लीज वर्ष 2018 में कोर्ट के आदेश के चलते चुकी ही निरस्त की गयी हे ! वहीँ सयाजी प्रबंधन द्वारा दावा किया जा रहा हे की सभी रजिस्ट्रियां भी वापस प्रबधन द्वारा अपने पक्ष में की जा चुकी हे लेकिन अभी तक इसके साक्ष्य भी प्राधिकरण में नहीं दिए गए हें !