"बेबस पार्षद, बेहाल जनता: निगम की नाकामी ने शहर को प्यासा किया",सुबह 5 बजे से पानी के लिए जूझते पार्षद, अफसर अब भी नींद में!
इंदौर में पानी की भारी किल्लत ने इस बार सभी सीमाएं लांघ दी हैं। निगम के अफसरों की अदूरदर्शिता और लापरवाही का खामियाजा अब जनप्रतिनिधियों को भुगतना पड़ रहा है। सुबह 5 बजे से पार्षद पानी की व्यवस्था में जुटे रहते हैं, वहीं जिम्मेदार अधिकारी अभी नींद से उठे भी नहीं होते।

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर
वार्ड 38, 40 और 41 सबसे ज्यादा प्रभावित
इन वार्डों में तो हालात ऐसे हैं कि नल कनेक्शन होने के बावजूद सालों से एक बूंद पानी नहीं आया। मगर जलकर के नोटिस समय पर पहुँच रहे हैं। जनता की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं, और व्यापम से आए अधिकारी तो शहर की नब्ज़ समझ ही नहीं पा रहे हैं।
'बेचारा पार्षद' बना जनता के गुस्से का निशाना
वार्ड 31 और हिरा नगर थाना क्षेत्र में आज दो बड़ी घटनाएं सामने आईं। वार्ड 31 में जनता विधायक के घर पहुंच गई, लेकिन समाधान का बीड़ा पार्षद बाल मुकुंद सोनी ने उठाया। खुद टैंकर लेकर पहुंचे और हर घर में पानी बंटवाया। दूसरी ओर, हिरा नगर में पानी को लेकर दो राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए और नेता प्रतिपक्ष को गिरफ्तार तक कर लिया गया।
अफसरशाही की हठधर्मी बन रही शहर के लिए घातक
इस बार निगम में आए अपरिपक्व अधिकारियों का हठ, अहंकार , सत्ता का संरक्षण और अखंड भर्ष्टाचार की प्यास ने इंदौर जैसे शहर को भीषण जल संकट की ओर धकेल रहा है। जनप्रतिनिधियों की कोई सुनवाई नहीं, और आम जनता हर दिन पानी के लिए संघर्ष कर रही है।
अब सवाल यह है:
क्या यह संकट केवल दो महीने की बात है? क्या व्यापम से आए अधिकारी इंदौर की समझ विकसित कर सकेंगे? या फिर निगम परिषद् केवल राजनीतिक स्वार्थों में उलझ कर जल-संकट के स्थायी समाधान से मुंह मोड़ती रहेगी?
अगर जवाब नहीं मिला, तो अगला शिकार केवल 'बेचारा पार्षद' नहीं बल्कि खुद अफसरशाही होगी।