ग़ैर-ज़रूरी पश्चिमी रिंग रोड को लेकर किसानों में आक्रोश, भारतीय किसान संघ भी मैदान में
इंदौर: पश्चिमी आउटर रिंग रोड को लेकर किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। करीब 65 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट में 64 से अधिक गांवों की कृषि भूमि अधिग्रहण की जा रही है, जिससे हजारों किसान प्रभावित हो रहे हैं। भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने अब इस मुद्दे पर खुलकर विरोध जताते हुए प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है,मुकाती और राठौर ने लगाए सरकार पर कृषि उद्योग खत्म करने के आरोप ,विकास प्राधिकरण को भी भंग करने की मांग

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
इंदौर में प्रस्तावित 140 किलोमीटर लंबे आउटर रिंग रोड का पश्चिमी हिस्सा करीब 65 किलोमीटर लंबा है, जिसे 1,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाना है। इस सड़क के लिए लगभग 60 गाओं की भूमि अधिग्रहण की योजना बनाई गई है, जिससे किसानों की सिंचित और उपजाऊ ज़मीन प्रभावित होगी। किसान संघ का कहना हे की अगर बाजार मूल्य के ही बात की जाए तो वही लगभग तीन हज़ार करोड़ होता हे ,जो बात तीन गुना मुआवज़े की जिला प्रशासन कर रहा हे वो मात्र छलावा हे !
भारतीय किसान संघ के कृष्ण पाल सिंह राठौर और दिलीप मुकाती का कहना है कि इस सड़क की कोई मांग स्थानीय जनता या इंदौर शहर के किसी नागरिक ने नहीं की थी। यह एक थोपी गई परियोजना है, जो किसानों के लिए हानिकारक साबित होगी वहीँ इसका उपयोग भी बहुत ज़्यादा नहीं होगा ।
किसानों का विरोध क्यों?
1. भूमि अधिग्रहण और मुआवजे का विवाद:
प्रशासन द्वारा दावा किया जा रहा है कि किसानों को तीन गुना मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन किसान संघ इसे छलावा बता रहा है। उनका कहना है कि गाइडलाइन रेट दशकों से नहीं बढ़ाई गई, जिससे मौजूदा मुआवजा वास्तविक बाजार दर से बहुत कम होगा।
2. कृषि भूमि की बर्बादी:
किसान संघ का आरोप है कि सरकार खेती योग्य जमीन को बेवजह अधिग्रहित कर रही है, जिससे कृषि उत्पादन प्रभावित होगा और देश को खाद्यान्न के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर होना पड़ेगा।
3. राजस्थान मॉडल की मांग:
किसानों की मांग है कि यदि सरकार ज़मीन अधिग्रहित करती है, तो सिंचित भूमि के बदले सिंचित भूमि दी जाए। राजस्थान सरकार में ऐसा प्रावधान पहले से मौजूद है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार इस नीति को अपनाने के बजाय कृषि उद्योग को खत्म करने में लगी है।
किसान संघ की रणनीति
भारतीय किसान संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे सड़क पर उतरकर बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे। किसान संघ का कहना है कि सरकार को भूमि अधिग्रहण नीति में बदलाव कर किसानों के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए, अन्यथा इस परियोजना के खिलाफ प्रदेशभर में विरोध तेज़ किया जाएगा।
"अनियंत्रित अधिग्रहण सिर्फ लैंड बैंक बढ़ाने की साजिश हे ,विकास के नाम पर कृषि को खत्म करना और नकली शर्तों पर उद्योगों को कोढ़ियों के भाव ज़मीन देना जिसका उदारहण TCS और Infosys सबके सामने हे ,किसानों की ज़मीन पर राजनेता किस हद तक भ्रस्टाचार करते हैं किसी से छुपा नहीं हे,हमारा विरोध भूमि अधिग्रहण और मुआवज़े की नीतियों को ले कर हे जो अब आंदोलन का रूप लेगा " दिलीप मुकाती ( महानगर अध्यक्ष भारतीय किसान संघ )