550 करोड़ की सरकारी जमीन हड़पने की साजिश:,भवन अधिकारी पर गंभीर आरोप, शासन बेबस प्रशासन बेख़बर

खजराना में नगर निगम जोन 10 के भवन अधिकारी शैलेन्द्र मिश्रा पर 550 करोड़ की सरकारी जमीन को भूमाफिया के पक्ष में करने की साजिश का आरोप लगा है। पटेल नगर के इस मामले में जारी की गई जाहिर सूचना में कई तथ्यों को गुमराह करने वाला बताया गया है।

550 करोड़ की सरकारी जमीन हड़पने की साजिश:,भवन अधिकारी पर गंभीर आरोप, शासन बेबस प्रशासन बेख़बर

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़

निगम के भवन अधिकारी शैलेन्द्र मिश्रा ने एक कैविएट संबंधित जाहिर सूचना जारी करते हुए दावा किया कि निगम ने उच्च न्यायालय में कैविएट दायर की है। उन्होंने 2017 के स्थगन आदेश के आधार पर नए निर्माणों को ध्वस्त करने की बात कही। लेकिन इस सूचना में दिए गए तथ्य ही गलत साबित हो रहे हैं।

विधायक महेंद्र हार्डिया ने तीन बार कलेक्टर को लिखित पत्र और दस्तावेजी साक्ष्य देकर स्पष्ट किया कि उक्त जमीन 325/3 पैकी  लगभग 5 हैक्टेयर से अधिक  विभिन्न सर्वे नंबरों  की भूमियों के संबंध में नेशनल लोक अदालत में 12/12/2015 में ही सिविल सूट क्रमांक 1ए, 4ए, 5ए, 48ए, 49ए/2015 में किसी तीसरे पक्ष द्वारा जिला न्यायालय से डिक्री किया जा चुका है। साथ  ही जिन किसानों ने याचिका प्रस्तुत की है उन्होंने लगभग4,72,00000 (चार करोड़ बहोत्तर लाख रुपए) प्राप्त होना कोर्ट के सामने लेना स्वीकार किया है !  ऐसे में राजेंद्र पिता विष्णु एवं अन्य द्वारा 2017 में याचिका क्रमांक WP 1950 दायर करने का कोई आधार ही नहीं बनता, क्योंकि उन सभी द्वारा कोर्ट के समक्ष प्रतिफल लेना स्वीकार किया है और उक्त संपूर्ण डिक्रिया आज भी अस्तित्व में होने की जानकारी है ! अतः इनके अस्तित्व में रहते यह भूमि आज राजस्व रिकार्ड में शासन के नाम हो उससे कानूनी रूप से कोई फ़र्क नहीं पड़ता ।

विधायक हार्डिया ने 6/10/23 को इन डिक्रियों की प्रति अपने पत्र के साथ कलेक्टर इंदौर को दी थी परंतु उक्त पेपर को आज दिनांक तक हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया  ! यदि वह डिक्रिया कोर्ट के सामने रख दी जाती तो सभी याचिकर्ता का सफ़ेद झूठ कोर्ट के सामने आ जाता तो याचिका निरस्त होकर ज़मीन शासन की हो जाती और स्थगन आदेश जिसका हवाला भवन अधिकारी द्वारा जाहिर सुचना में दिया गया हे भी निरस्त हो जाता , परंतु शासन को इसका  फायदा नहीं मिले और भूमाफिया लगातार भूखंड बेचता रहे ,ज़िम्मेदारों का पुरे मामले में यही रुख नज़र आ रहा हे !   

बड़े खेल की तैयारी?

गलत सर्वे नंबर: जाहिर सूचना में 4462, 4465, और 4464 /2023 याचिकाओं का हवाला दिया गया हे ,  जबकि उक्त याचिका में सर्वे नंबर 325/1/4 सर्वे नंबर के संबद्ध में प्रस्तुत की गई थी और उक्त सर्वे नंबर राजस्व रिकॉर्ड में श्रीराम गृह निर्माण के नाम से हे । परंतु  इन याचिका में जितनी नोटरी लगीं थी वह सभी पटेल नगर की थीं ,जिसकी कभी भी सूक्ष्मता से जांच नहीं की गयी । वास्तव में विधायक हार्डिया द्वारा लिखे पत्रों पर संज्ञान न तो कलेक्टर द्वारा लिया जा रहा है और न पुलिस द्वारा   क्योंकि जो ज़मीन वर्ष 1999 से शासन के कब्जे और नाम पर है तो उस पर कूट रचित पेपर के आधार पर कब्ज़ा करने और कराने वालों पर न आपराधिक प्रकरण दर्ज़ हुवे न ज़मीन पर अतिक्रमण रुका ! 

भूमाफिया को लाभ:आरोप है कि गलत जानकारी देकर भूमाफिया को कानूनी राहत दिलाने और न्यायालय को गुमराह करने की साजिश की गई है। नगर निगम और राजस्व अमले की भूमिका शासन के लिए शोध का विषय है अधिकारियों की भूमिका भी !  

प्रभारी का बयान:

राजेश उदावत, प्रभारी कॉलोनी सेल, ने कहा, "मामले की जांच कर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। शासन की बहुमूल्य जमीन पर अतिक्रमण किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा। श्रीमान कलेक्टर को भी इस बारे में अवगत कराया जाएगा।"

निगम की चुप्पी सवालों के घेरे में:

अब तक इस गंभीर मामले में कोई ठोस कार्रवाई न होना प्रशासन पर सवाल खड़े कर रहा है। क्या यह साजिश भूमाफिया को बचाने की कोशिश है?