क्यों हे भाजपा नेतृत्व को मध्य प्रदेश चुनाव जीतने का भरोसा
सिर्फ जनता ही नहीं अपनों में भी सत्ता विरोधी लहर, लेकिन फिर भी भारतीय जनता पार्टी को हिंदी-हृदय क्षेत्र मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने का भरोसा है.भाजपा के लिए सत्ता विरोध ने पेश की थी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती लेकिन फिर भी जीत का भरोसा
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
प्रारंभ से ही पार्टी का शीर्ष नेतृत्व असहज दिखाई दे रहा था ,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ चल रहे गहरे असंतोष और उसके प्रभाव के बारे में गहराई से जान भी रहा था .हालाँकि शीर्ष नेतृत्व ने इस मामले समय पर संज्ञान लिया और यह सुनिश्चित किया कि भाजपा विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करे .
भाजपा के शीर्ष सूत्रों का कहना हे की पार्टी मध्य प्रदेश में चुनावी लड़ाई की जटिल प्रकृति को पहले ही स्वीकार कर चुकी थी . उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने इस चुनाव में शुरू से आकर्षक चुनावी घोषणाओं से दुरी बना मतदाताओं की चुनाव में अधिकाधिक भागीदारी का रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाया था ! और उसमे कामयाबी भी मिली !
एक प्रमुख भाजपा अधिकारी ने खुलासा किया कि शुरू में, मध्य प्रदेश में पार्टी को जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में थकान की भावना के साथ, गिरते मनोबल का सामना भी करना पड़ा. हालांकि, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व ने उनके मनोबल को बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाई ! एक प्रमुख भाजपा अधिकारी ने खुलासा किया कि शुरू में, मध्य प्रदेश भाजपा पदाधिकारी निराश लग रहे थे , उदासीनता की भावना के साथ जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को पकड़ना एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी . हालांकि शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी की भावना को फिर से मजबूत करने के लिए कदम रखा और कार्यकर्ताओं में उत्साह संचार किया !.
पीएम मोदी और अमित शाह ने चुनौतियों का सामना किया और तुरंत जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए एक प्रारंभिक केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक बुलाई ! उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों से एक महीने पहले उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित की , मध्य प्रदेश के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में नीचे गिरते मनोबल में नई ऊर्जा का इंजेक्शन लगाया ! पीएम मोदी और अमित शाह ने जमीन पर मुद्दों को संबोधित किया और राज्य में आरएसएस की भी भरपूर मदद ली ! आरएसएस के प्रयासों ने मध्य प्रदेश में भाजपा और विचारधारा की नींव को मजबूत करने में योगदान दिया, जिससे स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं को पुनर्जीवित किया गया. इस प्रयास ने भाजपा को अधिक प्रतिस्पर्धी रुख में तैनात किया !
एक अन्य उच्च पदाघिकारी के मुताबिक भाजपा नेतृत्व ने सक्रियता की अनिवार्यता को समझा जब तक कि राज्य चुनाव में नहीं हो जाएँ .इस दूरदर्शिता को शुरुआती टिकट वितरण में भलीभांति समझा जा सकता हे , विशेष रूप से उन सीटों पर जहां पार्टी को जीत की पतली संभावना का सामना करना पड़ सकता था !
शिवराज की कमज़ोर पड़ती ज़मीनी पकड़ को भी संभाला
इसके अतिरिक्त, भाजपा ने रणनीतिक रूप से कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा, जो राज्य के नेतृत्व में लचीलेपन का संकेत देते हैं.वरिष्ठ नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों और विधायकों के क्षेत्र के लिए दृष्टिकोण, एक संदेश देने के उद्देश्य से था कि राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान की भूमिका अभी पूरी तरह ज़मीनी स्तर पर सेट नहीं हे !.
ज़मीनी स्तर पर शीर्ष नेतृत्व की पैनी निगाहें ,रैलियां और रोड शोज की बदोलत पार्टी ने फिर से जनता का विश्वास जीता और कार्यकर्ताओं के साथ पदाघिकारियों में भी नई ऊर्जा का संचार हुआ ! यही कारण रहा की इस बार मतदान प्रतिशत पिछले चुनावों के सामने सबसे अधिक भी रहा जिसका सीधा फायदा पार्टी को मिलने की उम्मीद जताई जा रही हे !
प्रदेश के कुल 4 करोड़ 25 लाख वोटों में से लगभग 1 करोड़ 30 लाख लाड़ली बहना ,20 लाख के लगभग नए मतदाता ,ऐसा मन जा रहा हे की उपरोक्त दोनों ही वर्गों में भाजपा के प्रति रुझान देखा गया हे ,जहाँ लाड़ली बहनों को आर्थिक लाभ वही नविन मतदाता का मोदी के प्रति झुकाव मुख्य कारण माने जा रहे हे भाजपा की जीत के !
कांग्रेस का अंतरकलह
एक सबसे बड़ा कारण यह भी माना जा रहा हे की कांग्रेस पार्टी में अंतरकलह भी खुल कर सामने आया ,प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व में दो फाड़ के कारण चुनाव में कांग्रेस को दो भागों में बाँट दिया ,जिसका असर हर जगह पार्टी कार्यकर्ताओं में भी देखने को मिला ,वहीँ कांग्रेस भी भाजपा की गलतियों के भरोसे अपने आप को चुनाव मैदान में ले कर आयी लेकिन खुद की निति को जनता तक पहुँचाने में कहीं न कहीं नाकाम भी हुई !