अनुकंपा नियुक्ति अधिकार नहीं अपवाद : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति की नीतियों का पालन करना आवश्यक है और इसे केवल आपातकालीन स्थितियों में ही लागू किया जाना चाहिए।
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अनुकंपा नियुक्ति के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह फैसला हरियाणा सरकार की 1999 की नीति के तहत दिया गया, जिसमें यह प्रावधान है कि कर्मचारी की मृत्यु के तीन साल के भीतर परिवार के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का दावा करना होगा।
सर्वोच्च न्यायलय ने कहा :
अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान करना है, ताकि वे अचानक आई वित्तीय संकट का सामना कर सकें।
यह अधिकार नहीं, अपवाद है
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुकंपा नियुक्ति कोई निहित अधिकार (vested right) नहीं है, बल्कि यह सामान्य नियम का अपवाद है। इसे बिना उचित प्रक्रिया के स्वीकृत नहीं किया जा सकता।
तीन साल की सीमा उचित
कोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा मृत कर्मचारी के आश्रित को नियुक्ति के लिए तीन साल की समय सीमा देना उचित है। यह सीमा अनुकंपा नियुक्ति के उद्देश्य से मेल खाती है।
याचिकाकर्ता का दावा खारिज
याचिकाकर्ता, जिसकी नियुक्ति का दावा वयस्क होने के बाद 2008 में किया गया था, को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। क्योंकि यह तीन साल की सीमा से बाहर था। हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता की मां को एकमुश्त अनुग्रह राशि का आवेदन करने की अनुमति दी और इसे छह सप्ताह के भीतर निपटाने का आदेश दिया।
अदालत का दृष्टिकोण:
अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य केवल उन परिवारों की मदद करना है, जो मृत कर्मचारी के बिना गंभीर वित्तीय संकट में हैं। यह नियुक्ति बिना जांच और चयन प्रक्रिया के सीधे नहीं दी जा सकती।