प्रदेश सरकार के लिए नासूर बन रहा अनियंत्रित भूमि अधिग्रहण
भारतीय किसान संघ उतरा मैदान में बढ़ सकती हे सरकार की परेशानी,प्रकर्ति का नाश कर विकास संभव नहीं !
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
कल देवास में 32 गांव के लगभग हजारों किसान भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में कलेक्टर कार्यालय पर ज्ञापन देने पहुंचे ! ज्ञापन की मूल बात देवास के आसपास विकास के नाम पर किये जाने वाले अधिग्रहण का विरोध था ! दरअसल सरकारें विकास के नाम पर किसानों की भूमि को हड़प करती रही हे ! 1894 में अंग्रेजों के शासन काल में भूमि अधिग्रहण कानून बनाया गया था , दरअसल कानून तो बना था लेकिन उस कानून की मंशा किसानों की ज़मीने हड़प कर सरकारों का लैंड बैंक बढ़ने की ही थी ! वर्ष 2009 में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को फटकार लगाकर पुराना भूमि अधिग्रहण कानून समाप्त करने को कहा था जिस पर अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने तुरंत सज्ञान लेकर एक कमेटी बनाई थी और अंततः2014 में नवीन भूमि अधिग्रहण कानून में जन्म लिया ! वर्ष 2015 में ही नई सरकार ने किसान हितेषी इस कानून में बदलाव करते हुए एक अध्यादेश जारी किया जिसका पूरे भारत में बहुत विरोध हुआ और अंततः केंद्र सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा ! वर्ष 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में वही बदलाव कर दिए जो वर्ष 2015 में केंद्र सरकार चाहती थी! अरुण मिश्रा के अध्यक्षता वाली बेंच का पूरे देश भर में काफी विरोध हुआ और काफी विवादास्पद स्थिति आज तक बनी है !
मध्यप्रदेश में भी वर्ष 2016 में एक किसान आंदोलन ने जन्म लिया था जिसकी मूल पीड़ा भूमि अधिग्रहण और नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में किये गए बदलाव और उनको 43 वर्ष पहले से लागु किया जाना ही था और मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था ! मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 में अपना खुद का एक भूमि अधिग्रहण कानून बना लिया जिसे लैंड पुलिंग एक्ट कहा गया ! किसानों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं की माने तो यह कानून और 1894 में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून से भी खतरनाक हे ! इंदौर में विकास प्राधिकरण को फायदा पहुंचाने के लिए शासन ने 79 गांव को मास्टर प्लान की ज़द में ले लिया जिस की मंशा विकास नहीं बल्कि सरकार का लैंड बैंक बढ़ाने की है ! कई बार विकास और उद्योग लगाने के नाम पर कई हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी हे लेकिन दशकों तक उस भूमिका कोई विकास नहीं हुआ !
इन्हीं सब कारणों से भारतीय किसान संघ आखिरकार मैदान में उतर ही गया कल देवास में लगभग 900 ट्रैक्टर पर सवार हजारों किसानों ने भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में कलेक्टर को ज्ञापन दिया जिसमें उन्होंने इन गावों में किए जा रहे भूमि अधिग्रहण का विरोध किया! किसानों की संख्या देखकर स्पष्ट है कि आने वाले दिन सरकार के लिए मुसीबत बने होंगे
जनप्रतिनिधियों को नहीं होश
एक्सपोज़ लाइव ने जब जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया तो एक भी जनप्रतिनिधि लैंड पुलिंग एक्ट के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं होने की बात कहते रहे बेशक एकमात्र बागली विधायक मनोज चौधरी ही हैं जिन्होंने मुख्य मंत्री को पत्र लिख विरोध दर्ज कराया हे ! बड़ी विडंबना यह है जिन जनप्रतिनिधियों ने कानून बनाया उन्हीं को इस कानून की असलियत नहीं मालूम हे जो कई बड़े सवाल लोकतंत्र पर भी खड़े कर रहे हैं ! दरअसल होता भी यही है कि कानून पर दस्तखत तो जनप्रतिनिधियों की होती हे लेकिन लेखनी अधिकारियों की होती हे जिनकी मंशा सिर्फ अपना फायदा होता है और जमीनों को लेकर यही अधिकारी बड़े-बड़े खेल करते हैं !
नहीं देखा इतना बड़ा जनसैलाब
कल देवास में किसानों की इतनी बड़ी संख्या आज तक नहीं देखी गई स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भूमि अधिग्रहण एक अति संवेदनशील मामला है लेकिन सरकार को जरा भी भान नहीं यह हो क्या रहा है !
किसान विरोधी लैंड पुलिंग एक्ट
म.प्र लैंड पुलिंग एक्ट का विरोध इसलिए भी हो रहा क्यूंकि इस एक्ट में नगद मुआवज़े और किसानों की सहमति का कोई प्रावधान नहीं हे जबकि केंद्र सर्कार द्वारा वर्ष २०१४ में नविन भूमि अधिग्रहण में दो और चार गुना मुआवज़े का प्रावधान मौजूद हे ! सरकार पर नगद राशि का भर न पड़े और अधिग्रहण की प्रक्रिया सरकार अपनी मन मर्ज़ी से कर सके इसलिए मध्य प्रदेश सरकार ने इस कानून को जन्म दिया था जिसमे