किसानों को सरकार से बिना क़र्ज़ लिए नहीं मिलेगा यूरिया

सहकारी सोसाइटियों को मिला इंदौर प्रीमियर कोऑपरेटिव बैंक का तुगलकी आदेश किसानों में रोष

किसानों को सरकार से बिना क़र्ज़ लिए नहीं मिलेगा यूरिया

द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर

3 अगस्त २०२२ को इंदौर प्रीमियर कोआपरेटिव बैंक प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने सहकारी संस्थाओं को  एक तुगलकी आदेश जारी किया ! जिसमें कहा गया कि अब किसानों को नगद में उर्वरक और खाद नहीं दिया जाएगा या जिन किसानों का पंजीयन सोसाइटी में नहीं हे जिसके लिए क़र्ज़ लेने की अनिवार्यता हे और जिनके खाते सामान्य नहीं हे  उन्हें नगद में यूरिया नहीं दिया जायेगा ! आदेश का पालन नहीं  करने पर संस्थाओं के प्रबंधक और सुपरवाइजर जिम्मेदार होंगे ! 

ज्ञात रहे कि पिछले वर्ष भी  इस तरह का मौखिक आदेश संस्थाओं को दिया गया था और किसानों ने उसका विरोध किया था !  दरअसल पहले सोसाइटियों द्वारा ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी किसान अपनी ऋण पुस्तिका दिखाकर रासायनिक यूरिया जितना चाहे खरीद लेता था फिर धीरे धीरे प्रति बीघा ज़मीन पर २ बोरी यूरिया की पात्रता कर दी गयी जिसका किसान ने कभी विरोध नहीं किया ,अब नगद व्यवहार से सम्भंदित इस  आदेश को ले कर किसानों में काफी रोष हे ! 

दिलीप मुकाती शहर अध्यक्ष भारतीय किसान संघ

ने कहा की हम इस आदेश का विरोध करते हे क्यूंकि जो किसान सक्षम हे और क़र्ज़ नहीं लेना चाहते हैं ,सरकार से नकद में यूरिया खरदीना चाहतें हे उन्हें  उधार यूरिया देने के लिए बाध्य लिया जा रहा हे ! सोसाइटी में पंजीयन करने के लिए भी पहले KCC बनवा कर क़र्ज़ लेना पड़ता हे लेकिन कई किसान ऐसे हैं जिन्हे क़र्ज़ की आवश्कता नहीं हे और उनके खाते संस्थाओं में नहीं हे ! उनको  बाजार से अधिक भाव में यूरिया खरीदने पर मजबूर किया जा रहा हे, जो की किसी भी किसान हितेषी सरकार के लिए ठीक नहीं हे ! हर तरह की पाबंदियां सिर्फ किसान और कृषि पर ही लगाई जाती हैं जो की गलत हे ! कई किसान परिवार ऐसे भी हैं जिनके यहाँ महामारी के दौरान भारी आर्थिक और पारिवारिक हानियां हुई हे जिसके चलते आज उनके खाते भी पूरी तरह सामान्य नहीं बचे हैं और अब उनको भी खाते सामान्य नहीं होने के कारण  यूरिया  नहीं दिया जा रहा हे ! 

विपिन पाटीदार सचिव युवा किसान संघ

का कहना हे की सहकारी सोसाइटयों द्वारा क़र्ज़ इंदौर प्रीमियर को. बैंक द्वारा दिया जाता हे जो किसी और बैंक के kcc को मान्य नहीं करती ,जहाँ इनकी ब्याज दर भी दूसरी बैंक से अधिक हे और प्रति बीघा ज़मीन पर क़र्ज़ की राशि भी कम दी जाती हे जिसके चलते कई किसान  अन्य बैंकों से kcc बनवा लेते हैं ,ऐसी दशा में इंदौर प्रीमियर को. बैंक द्वारा ऐसा आदेश निकालना तुगलकी आदेश की श्रेणी में ही आता हे जिसका हम भरपूर विरोध करेंगे ! पिछली सरकार द्वारा क़र्ज़ माफ़ी की घोषणा  की गयी थी जिसको तत्कालीन सरकार  द्वारा मान्य नहीं किया जा रहा हे  जिसके चलते आज किसानों के खाते सामान्य नहीं हो पा रहे हैं ! सरकार का यह निर्णय कहीं न कहीं यूरिया में काला बाज़ारी को बढ़ावा देने के लिए ही लाया गया हे ! 

अजय व्यास पूर्व कार्यपालिक निदेशक यूको बैंक

 का कहना हे प्रदेश में यूरिया की बिक्री PACS ( Primary Agricultural Credit Societies) जो की सहकारिता के सिद्धांतों पर कार्य करती हे और मार्कफेड द्वारा की जाती हे ! जो किसान PACS के सदस्य नहीं हैं वे मार्कफेड से उसी भाव में यूरिया ले सकते हे ! अगर मार्कफेड की वितरण प्रणाली में कोई समस्या हे तो जिला प्रशासन मार्कफेड के अधिकारीयों के साथ सामंजस्य बैठाकर सुधार कर  सकता हे ! PACS को यूरिया का ४०% और मार्कफेड को ६०% बेचने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाता हे ! अगर किसी के भी द्वारा यूरिया में कालाबाज़ारी की जाती हे तो इसके लिए भी सख्त नियम पहले से मौजूद हैं !