फ्री आयुष्मान कार्ड के नाम पर सैकड़ों लोगों का डाटा किया कलेक्ट

बिजलपुर में साड़ी की दुकान पर महिलाओं का डाटा कलेक्ट किए जाने के मामले के बाद ऐसा ही एक और मामला सामने आया विधानसभा पांच के वार्ड 40 में। यहां एक संस्था ने आयुष्मान कार्ड, पैन कार्ड और बैंक खाते खोलने के नाम पर सैकड़ों लोगों के डाटा कलेक्ट किया। जब इनसे इस काम की अनुमति के बारे में पूछा गया तो कुछ ही देर में तामझाम समेटकर रफूचक्कर हो गए।

फ्री आयुष्मान कार्ड के नाम पर सैकड़ों लोगों का डाटा किया कलेक्ट

हेवन फाउंडेशन के नाम पर अल्पसंख्यकों ने हिंदु बस्ती में कैंप लगाकर किया कारनामा

बगैर अनुमति लगे कैंप की पुलिस-प्रशासन के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी जानकारी नहीं

द एक्सपोज लाइव की टीम ने की पड़ताल तो कुछ ही देर में तामझाम समेटकर कार्यकर्ता हुए गायब

द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.

वार्ड 40 में महक वाटिका के पास हनी बनी टेंट हाउस के बाहर हेवन फाउंडेशन के नाम बैनर टांगकर अल्पसंख्यक समुदाय आधा दर्जन से अधिक महिला-पुरुष नकाब और हिजाब पहनकर यहां बैठ गए। करीब एक सप्ताह तक फ्री में आयुष्मान, पैन कार्ड और बैंक खाता खोलने के नाम पर सैकड़ों लोगों से फॉर्म भरवा लिए। उनसे सारी डिटेल ले ली, मोबाइल नंबर, फोटो और परिवार की भी जानकारी ली गई।

खजराना टीआई की अनुमति से लगाया कैंप

इस डाटा का वे क्या और कैसा इस्तेमाल करेंगे, यह बड़ा सवाल है। हैरत की बात यह है कि संस्था के सभी कार्यकर्ता अल्पसंख्यक वर्ग के हैं और इसे जनसेवा का काम बता रहे थे। पर जब उनसे यह पूछा गया कि इस काम के लिए प्रशासन या पुलिस की अनुमति ली है क्या, तो उन्होंने कहा कि खजराना थाने के टीआई को सूचना दे दी थी। पर उनके पास इसकी कोई लिखित अनुमति नहीं थी।

किसी की अनुमति नहीं थी...

इस मामले में जब द एक्सपोज लाइव के संवाददाता ने उनसे बात की तो वहां बैठी महिलाओं ने संस्था के हेल्पलाइन पर बात करने को कहा। संस्था के बैनर पर लिखे हेल्पलाइन नंबर (8305103304) पर फोन लगाया तो खुद को संस्था का अध्यक्ष बताने वाले सैफ अली मंसूरी ने कहा कि यह तो जनसेवा का काम है। हम किसी से ज्यादा चार्ज नहीं ले रहे हैं। इस काम के लिए एक सरकारी व्यक्ति भी उनके साथ है, पर उसका नाम नहीं बताया।

अनुमति के बारे में पूछने पर कहा कि प्रशासन से अनुमित नहीं ली, लेकिन खजराना थाने के टीआई को सूचना दे दी थी। उन्होंने मौखिक अनुमति दी कि वे कैंप लगा सकते हैं। पर हकीकत यह है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पुलिस या प्रशासन को इसकी खबर ही नहीं हुई। इस पूछताछ का असर यह हुआ कि दूसरे दिन संस्था कैंप लगाने नहीं आई और न ही जिन लोगों के डाटा लिए थे, उनके कार्ड देने पहुंचे।

तामझाम समेटकर गायब

संस्था के अध्यक्ष सैफ अली मंसूरी से बात की गई उसके 15 मिनिट के अंदर ही संस्था के सभी कार्यकर्ता तामझाम समेटकर वहां से गायब हो गए। इस पूरे मामले में पुलिस का कहना था कि ऐसा नहीं हो सकता। उनकी जानकारी में इस तरह का कैंप लगाए जाने की कोई जानकारी नहीं है। कोई व्यक्ति ऐसे कैंप लगाकर कार्ड बनाने के नाम पर डाटा कलेक्ट नहीं कर सकता।