चंद रुपयों में बिकती राष्ट्रीय अस्मिता

लगातार बढ़ रहे हैं इस तरह के मामले ,आतंकी संघठन लगातार बना रहे हे हर जगह अपनी पेंठ ,अब अदालतें भी सुरक्षित नहीं 

चंद रुपयों में बिकती राष्ट्रीय अस्मिता
courtesy: One india

द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर 

अभी हाल ही में इंदौर में सत्र न्यायालय में  हिन्दू संघठन से जुड़े एक मामले जमानत पर सुनवाई चल रही थी जिसकी एक तथाकथित महिला वकील पर  वीडियो रिकॉर्डिंग करने का गंभीर मामला सामने आया ! जांच एजेंसियों का कहना है वीडियो रिकॉर्डिंग करने वाली महिला पीएफआई जैसे प्रतिबंधित संगठन से जुड़ी हुई है और डेढ़ लाख से अधिक राशि मौके पर उस महिला से जप्त  भी की गई ! दरअसल पी एफ आई और आई एस आई जैसे प्रतिबंधित संगठन पूरे देश में इस तरह सक्रिय हो चुके हैं कि पुलिस प्रशासन और जांच एजेंसियां भी इन्हें पकड़ने में नाकाम दिख रही हे ! कुछ एक लोगों को पकड़कर कार्यवाही तो की जा रही हे लेकिन इनकी जड़ों तक अभी भी कहीं न कहीं जांच एजेंसी नहीं पहुँच पा रही हे ! यही कारण हे की सबसे सुरक्षित जगह समझे जानी वाली अदालतें भी अब इनकी पहुँच से दूर नहीं  ! कहने और सुनने में सुनवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग एक आम बात लग सकती हे लेकिन इस विडिओ को कहाँ भेजा जाना जाता और उसके कितने गंभीर परिणाम आ सकते थे सोच कर भी डर लगता हे !  कहीं न कहीं  न्याय के मंदिर कहे जाने वाली अदालत  और भगवान के रूप में बैठे न्यायाधीश के सामने का इस तरह की हरकत देश की अस्मिता को किस कदर प्रभावित कर सकती हे इसका अंदाज़ा शायद हम ,प्रशासन और न्यायपालिका को गभीर रूप से समझना पड़ेगा ! ऐसा नहीं हे की कानून में ऐसी हरकतों के लिए सजा देने का प्रावधान नहीं हे ,जांच भी होगी और अपराध की सजा भी होगी ! लेकिन क्या वो सजा पर्यापत होगी ? क्या इसके आगे भी जांच लगातार जारी रहेगी ?क्या आतंकी संगठनों की जड़ों तक जा कर उसे ख़तम करने का आदेश अदालत देगी ? क्या खुद पुलिस प्रशासन स्वयं सज्ञान ले इस हरकत  में संलिप्त अन्य लोगों के गिरेबान तक पहुंचेगी ? क्या इस महिला  के अंतिम आका तक हम पहुँच पाएंगे ? ऐसे कई महत्पूर्ण सवाल एक आम जान के मन में आने लगे हैं ! 

आज़ादी और बंटवारे से लेकर अभी तक भारत की हर राजनैतिक पार्टी ने धर्निर्पेक्षता की ही बात की हे ! 

आज़ादी के वक़्त धर्म के आधार पर हुवे बंटवारे के वक़्त की स्थिति और आज की स्थिति को देख और हिंदुस्तान ,पाकिस्तान की आर्थिक और सामाजिक परिस्थति को देख कई बातें स्पष्ट भी हो जाती हे ! बंटवारे के समय हिंदुस्तान में मुस्लिम जनसँख्या लगभग  १ करोड़ ४० लाख हुवा करती थी जो अब २५ करोड़ के लगभग पहुँच चुकी हे ! वहीँ पाकिस्तान में बंटवारे के बाद पाकिस्तान की तरफ पलायन कर चुके मुस्लिम जनसंख्या और आज के आंकड़े देख कई बातें साफ हो जाती  हे ! साफ़ हे की कहीं न कहीं मुस्लिम राष्ट्र की मांग करने वाले पाकिस्तान की तरफ कूच  कर गए और हिंदुस्तान में भरोसा रखने वाले मुस्लिम यहीं का हिस्सा बन यही बस गए ! खुद देश के प्रधानमंत्री मोदी ने यह कह कर मुस्लिम युवाओं का दिल जीत लिया था की मुस्लिम युवक अगर एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ  में कंप्यूटर रख  ले तो देश को विश्व गुरु बनाने से कोई नहीं रोक सकता ! फिर क्या कारण  हे की हिंदुस्तान के खिलाफ PFI और ISI जैसे संघठन इस कदर सक्रिय हो गए ? और ऐसे क्या मजबूरी हे की हम इस जैसे आतंकी संगठनों की जड़ें नहीं हिला पा रहे हैं ? जब साफ़ हे न कोई हिन्दू न कोई मुस्लिम इनकी  हरकतों को सही मान रहा हे तो क्यों अदालत,पुलिस,शासन प्रशासन अंजाम तक नहीं पहुँच पा रहे हैं ?