अधिकारी चुस्त जनप्रतिनिधि सुस्त 

राजनीति की निति हे जनता से जुड़े रहना ,जनता की समस्या का समाधान  करना लेकिन अब निति में परिवर्तन होने लगा ,सत्ता मिलते हे जनता से कैसे कटा जाता हे ये इंदौर के जनप्रतिनिधियों के आचरण में साफ़ दिखने लगा ,जनता की समस्या पर बाहें चढ़ा लेने वाले नेता अब बन गए इतिहास ,निगम परिषद् का एक भी सदस्य नहीं उठाता फोन ,वहीँ अधिकारी समस्या सुन भी रहे और निराकरण भी तत्काल ,MIC मीटिंग में व्यस्त ,जनता से नहीं कोई सरोबार 

अधिकारी चुस्त जनप्रतिनिधि सुस्त 

द एक्सपोज़ लाइव एक्सक्लूसिव  

एक ज़माना था जब एक आम आदमी नेता को जैसे ही जनहित की समस्या बता देता था ,समस्या का निवारण तत्काल कर दिया जाता था इतना ही नहीं इंदौर की जनता के लिए वो हुए संभव प्रयास कर दिए जाते थे जिससे जनता का भला हो सके ,वैसे नेता इंदौर के लिए शायद अब इतिहास बन गए ,अब हाल यह हे की सत्ता मिलते ही अपने मूल दायित्व को हे नेता भुलाने लगे ,बस हर बात की दलील होती हे अधिकारी हमारी सुनते नहीं और यही बहाना कर जनता की शिकायतों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता हे ! वही जनता जैसे ही अधिकारी को समस्या बता देती हे तत्काल निवारण भी हो जाता हे ! अब सवाल यह उठ जाता हे की जब चुने हुए जनप्रतिनिधि मौजूद हैं ,खुद प्रधान मंत्री अपने आपको जनसेवक   कहते हैं तो हमें सिर्फ MIC होने का इतना क्या अहम् ! जब वही अधिकारी जो आपकी नहीं सुनते जनता की समस्या का तत्काल निराकरण  कर देते हे , अब सवाल यह हे की आप आखिर इन अधिकारीयों को सुनाना  क्या चाहते हैं जो ये आपकी सुनते नहीं ? सवाल बड़ा हे और आपको आत्म  चिंतन की ज़रूरत हे ! 

अगर उन नेताओं की जिनके आचरण में  जनता के लिए मर मिटने का ज़ज़्बा हुवा करता था और शहर हित में बहुत कुछ कर भी गए ,उन्होंने कभी बेतुकी बहाने बाजी नहीं करी ,जहाँ बाहें चढाने की ज़रूरत रही वहां यह भी किया ,अधिकारी से कभी बेतुकी बात नहीं करी इसीलिए अधिकारी आज भी उनकी सुन रहे हैं ,सिर्फ जनता की नहीं अघिकारियों की समस्या का भी निवारण करने का ज़ज़्बा हुआ करता था ,आपको समझने की ज़रूरत हे जो शायद आपकी अति व्यस्त मीटिंग का कभी एजेंडा नहीं रहा ,आज निगम में पैसे की कमी हे ,कचरा गाड़ियों के रख रखाव तक आपसे नहीं हो पा रहे ,शहर की जनता आज परेशान हे और आप व्यस्त हैं न जाने कौन से एजेंडे पर मीटिंग में,आपको शायद यह भी नहीं मालूम होगा के किस वार्ड में कितने सफाई कर्मी हैं ,कितने कचरा कलेक्शन वहां हैं ,उनसे मिलना उनके साथ मीटिंग करना और उनकी समस्या तो दूर की बात हे ,अपने आप से पूछियेगा कितनी बार आपने वार्डों का दौरा किया क्या सुझाव दिए , कितनी समस्याओं का निराकरण अपने स्तर पर अभी तक कर पाए ,बंद कमरे की मीटिंग से आप ज़यादा कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे ,ज़मीनी हकीकत से भी ज़रा दो चार कर लीजिए ,प्रभारी तो आप हैं वो कोई भी आपकी गाड़ी पर लगी प्लेट देख कर समझ लेगा ! जनता के फोन इसलिए नहीं उठा रहे क्यूंकि आप मीटिंग में हैं ! सरकार  से पैसा लाना ,जनता से पैसा उगाना ,उस पैसे को शहर हित में लगाना ये आपका एकमात्र कर्त्वय हे ,हर बात को अधिकारीयों पर ढोल देना आपका बचपना उजागर कर रहा हे ,आप लीडर हैं लीड करना सिख जाईये  बहाने बना कर चिल्ला कर आप अख़बारों की सुर्ख़ियों में तो ज़रूर बने रहेंगे लेकिन जनता का कुछ भला कर पाएंगे ऐसा कुछ भी नहीं होगा ! प्रदेश का मुखिया ,देश का मुखिया आपकी ही पार्टी का हे ,अधिकारी का ट्रांसफर करना आपके लिए बाएं हाथ का खेल हे लेकिन उसी अधिकारी से काम करवा लेना अधिकारी की समस्या को समझ लेना और उस समस्या का निराकरण कर लेंगे तो शायद आप शहर का भला कर देंगे ! कुछ करना हो तो सबसे पहले अपनी जड़ों में जाने की ज़रूरत हे और राजनीती की जड़ होती हे जनता , और जनता जानती है की चुनाव के समय इनके पास पूरा समय होता है चुनाव बाद नही

कहीं ऐसा न हो जाये को जनता कहने लगे पत्ते कुछ नहीं करते सिवाय फड़फड़ाने ,जड़ें खामोश रहती हैं पर अपना काम करती हैं ! तथ्यविहीन बातें न करते  तथ्यात्मक बात करिये ,मंशा साफ़ रखिये ,ज़मीनी समस्या को समझिये फिर देखिये कौन अधिकारी आपकी बात नहीं सुनता