अति और अतिक्रमण दोनो हैं बुरे

इन्दौर के इतिहास का शायद सबसे दर्दनाक हादसा जिसमे 35 से भी अधिक जानें चली गई हैं। पूरा शहर दुखी, संताप और सदमे में हैं। अभी भी आर्मी, निगम, पोलिस, प्रशासन, स्वयंसेवी, पत्रकार, परिवार, समाज जन बदहवास से मौजूद हैं, बेलेश्वर महादेव मंदिर पर..।

अति और अतिक्रमण दोनो हैं बुरे
Atul Sheth

कानून के साथ प्रकृति और ईश्वर के भी नियम तोड़े, पूरे समाज की विफलता है यह हादसा

रामनवमी पर हुए इस हादसे ने शहर को झझकोर कर रख दिया है। ये बड़ा हादसा बहुत बड़ी, कठिन और दर्द भरी सीख देकर जा रहा है। ये सीख किसी और के लिए नहीं है सिवाय जनता के...। ऐसे हादसे किसी एक की नही इस पूरे समाज की विफलता है सभी मिलकर दोषी हैं…। सीख लें अन्यथा ऐसे हादसे होते ही रहेंगे, आप अपनों खोते रहेंगे।

आपने प्रकृति के नियम तोड़े, ईश्वर के घर के नियम तोड़े, मानवता के नियम तोड़े, शासन–प्रशासन के नियम तोड़े, आध्यात्म के नियम तोड़े और अंततः अपनी जीवन की डोर ही तोड़ डाली। अति और अतिक्रमण दोनो बुरे हैं। जनता करे, नेता करे या कोई और बड़े दृष्टिकोण में भुगतेगा सिर्फ मानव...। इस हादसे का दोष किसको दें? हमारी लालची प्रवृत्ति या धार्मिकता के नाम पर किए गए अवैध कब्जों को या प्रभु को...?

यदि यह अवैध निर्माण, कब्जा ना किया होता, यदि जल स्त्रोत को बंद कर उसपर छत न बनाई होती तो शायद यह ना होता। बेलेश्वर महादेव क्रुद्ध ना हुए होते। पत्राचार देखें तो रहवासियों, निगम, मंदिर समिति, नेताओं के बीच यह कब्जे, ईगो, धर्म की लड़ाई चलती रही, भ्रष्टाचार जीता, धर्म, मानवता और ज़िंदगी हार गए..।

वर्षों पुरानी बावड़ी पर जाली लगा दी गई, फिर धीरे धीरे टाइल्स लगाकर उसे बंद किया, सरियों में।जंग लगा, कमजोर हुए, क्षमता से अधिक लोड आया और बावड़ी का कवर नुमा स्ट्रक्चर धंस गया सीधे 40 फीट से अधिक गहरी बावड़ी में 50 लोगों के साथ।

आरोप–प्रत्यारोप, डाटा, लेटर्स, नोटिस, नियम–कानून पर बहस, जिम्मेदारियां तय होंगी, कोई बलि का बकरा बनेगा, नेता रूदाली बनेंगे और अफसर रास्ते खोंजेंगे। कमेटी बनेगी, जांच होगी, एक छोटा अधिकारी निलंबित होगा, अवैध निर्माण ढहाया जायेगा, शहर में 10 से 15 श्रद्धांजलि सभाएं, मोमबत्ती प्रज्वलन होगा।

स्वच्छतम शहर इंदौर का इस कारण नेशनल न्यूज में नाम आया, प्रधानमंत्री जी तक ने ट्वीट कर घटना पर शोक जताया, मुख्यमंत्री खुद मॉनिटरिंग करने लगे । अब से मीडिया, सोशल मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया का रुदन, क्रुंदन, विश्लेषण शुरू होगा।

क्या ईश्वर के घर में भी ऐसे धर्मांध अतिक्रमण चलेंगे? रहवासियों ने कई बार आपत्ति दर्ज कराई पर किसी ने ना सुनी और तो और पार्षद का ऑफिस भी इसी गार्डन में बना दिया गया जो गार्डन किसी भी प्रकार के निर्माण को ना किए जाने वाली श्रेणी का है।

प्रार्थनाएं, संवेदनाएं और सांत्वना सभी मृतकों के परिवारों हेतु। हमसभी शहरवासी आपके साथ है, बस यही कह सकता हूं। निगम, प्रशासन, पोलिस, पत्रकार, संस्थाएं अथक रूप से लगी हुई है, सेना भी आ गई है। ईश्वर हमे अब क्षमा करें और इसका पटाक्षेप हो। यह भूल जाने वाली घटना नहीं है, शहर को अब जाग जाना चाहिए। ईश्वर के लिए नही तो अपने परिवारों के लिए..।

मानव का लालच एकमात्र दोषी है इस संपूर्ण दुर्घटना का... सनातन कभी खतरे में नहीं, वह तो दिव्य, आध्यात्मिक, अलौकिक है, हां मानवता अवश्य खतरे में है... बड़े खतरे में..।

निर्दोष मृतकों को श्रद्धांजलि…

- अतुल शेठ, आर्किटेक्ट