इंदौर कलेक्टर को छोड़ बाकि सब दुबके घरों के अंदर,साधारण से दिखने वाले "टी इल्लया" वाक़ई हैं "राजा"
बरसने वाली आफत का पहले ही लगा लिया था अंदाज़ा ,सबसे पहले स्कूलों को बंद कर देश के भविष्य को किया सुरक्षित ,फिर रातभर लगातार शहर पर नज़र ,देते रहे निर्देश ,रात भर रहे सक्रीय ! न कोई अधिकारी न ही जनप्रतिनिधियों को होश ,सुबह होते ही सब आये मैदान में,अकेले कलेक्टर सभालते रहे रात भर मैदान !
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
अक्सर साउथ की पिक्चरों में हीरो की एंट्री घटना के घटने के बाद होते और फिर मुसीबतों से लड़ उसको खत्म करते हम देख चुके हैं ,लेकिन असल ज़िन्दगी में ऐसा कुछ नहीं होता ! स्वामी विवेकानंद कह गए हैं " बुद्धिमान अपनी समस्या को सुलझा लेता हे ,लेकिन मेधावी उसे पैदा ही नहीं होने देता " ऐसा ही कुछ देखने को मिला कल रात से बरसने वाली आफत का अंदाज़ा लगाने और निपटने की तैयारी को देख ! "Lead by Example" प्रबंधन के सिद्धांत को किया चरितार्थ !
अपनी पूरी ज़िन्दगी वोट के स्वार्थ के लिए खाक करने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए कलेक्टर ने जहाँ एक और मिसाल पेश कर दी वही कहीं न कहीं यथार्थ का आइना भी दिखा दिया ,मौसम विभाग पहले ही चेतावनी जारी कर चूका था ,इंदौर में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया था ,भारी बारिश का अंदेशा लग चूका था और हुई भी ! पूरा मालवा निमाड़ जल मग्न होने को हे ,लेकिन एक भी जनप्रतिनिधि मैदान में नहीं देखा गया ! मैदान तो ठीक सोशल मीडिया को भली भांति समझने वाले नेताओं ने उसका भी इस्तेमाल करना ठीक नहीं समझा ,और करते भी क्यों उचित निर्देश देने के लिए अधिकारी हैं तो सही !
इंदौर में हर इलाके में स्थिति भयावह होने को हे ,सटे गांव तो लगभग जलमग्न हो ही गए हैं ,अधिकतर गांव प्रदेश के जल संस्धान मंत्री की विधानसभा में आते हैं ,सुबह हो गयी हे मीडिया सक्रीय हो चूका हे अब शायद मैदान पकड़ ही लें ! पुरे शहर में खस्ताहाल हो चुके ड्रेनेज सिस्टम के कारण सभी प्रमुख सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं ,सोशल मीडिया पर आ रही खूबसूरत दिखने वाली सैलाब की तस्वीरों को देख पत्नियां भी बहार जा कर भुट्टे खाने को लालाइत होने लगी हैं ,जैसे ही सैलाब खत्म होगा ये सब भी आउटिंग के लिए निकल पड़ेंगे और खस्ताहाल सड़कों और बाईपास पर जाम की स्थिति पैदा कर देंगे !
बहरहाल सैलाब तो ख़त्म हो ही जायेगा लेकिन जनप्रतिनिधियों से उम्मीद की जा सकती हे अब ड्रेनेज सिस्टम और जल निकासी की तरफ कोई स्थाई हल एक्सपर्ट्स की राय ले कर शहर हित में निकाल लेंगे ,अधिकारी तो हर 3 साल में बदल जाते हैं ,जनता की बीच अंतिम सांस तक आपको ही रहना हे ! पंच वर्षीय त्यौहार भी आने को हे ,शहर हित में नहीं अपने स्वार्थ के खातिर ही मैदान पकड़ लें !