जय श्री राम के नारे में गूंज हैं हिंदू राष्ट्र की… देश की एकता की…अखंडता की…
पूरा भारतवर्ष आज गगनभेदी नारों से यह घोषणा कर रहा है कि हम हिंदू राष्ट्र हैं, अब जिसे जो करना है, कर ले, मगर इस इस देश का मूल स्वरूप यही रहेगा। क्योंकि इस देश के बच्चे-बच्चे के मन में राम बसे हैं। जन-जन की चेतना में राम, अरे… राम तो इस देश की आत्मा हैं, ये किसी कवि की कल्पना नहीं, बल्कि इस धरा की अल्पना हैं।
राम का आगमन… ऐसा… मन अह्लादित है, उल्साति है, प्रसन्न है, भाव विभार और मैं निःशब्द हूं।
पूरा देश उत्सव में डूबा हुआ है हर खास-ओ-आम अमीर गरीबी ऊंच-नीच की लकीरें मिटाकर, वर्ग भेद हटाकर एक दूसरे का हाथ थामे इस जश्न में डूबा है। राम ने एक बार फिर पूरे देश को एक सूत्र में पिरो दिया है। मेरा देश आज सीना ठोंककर कह रहा है कि हम हिंदू राष्ट्र हैं, हिंदू राष्ट्र थे और रहेंगे..। सैकड़ों सालों की गुलामी, प्रताड़ना और यातना सहने के बाद भी हम हिंदू राष्ट्र हैं, क्योंकि हमारी रग-रग में राम बसते हैं, हर घर के आंगन में कृष्ण खेलते हैं।
इसीलिए आज यह नारा देश के कोने-कोने से फूट रहा है… जय श्री राम के इस उद्घोष के पीछे हिंदू राष्ट्र होने की घोषणा भी है और सविनय निवेदन भी। क्योंकि जो निवेदन समझते हैं, उनके लिए राम का वात्सल्य है और जो इसे नकारते हैं, उनके लिए राम का अमोघ बाण है..।
इसीलिए पूरा भारतवर्ष आज गगनभेदी नारों से यह घोषणा कर रहा है कि हम हिंदू राष्ट्र हैं, अब जिसे जो करना है, कर ले, मगर इस इस देश का मूल स्वरूप यही रहेगा। क्योंकि इस देश के बच्चे-बच्चे के मन में राम बसे हैं। जन-जन की चेतना में राम, अरे… राम तो इस देश की आत्मा हैं, ये किसी कवि की कल्पना नहीं, बल्कि इस धरा की अल्पना हैं।
राम, जिन्होंने एक बार फिर हिंदू चेतना में प्राण फूंक दिए हैं, राम जिन्होंने एक बार फिर इस राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरो दिया है, राम जिन्होंने एक बार फिर शबरी के जूठे बेर खाकर बता दिया है, हममें कोई अंतर नहीं है, जिन्होंने यह अंतर करने की कोशिश की थी, वे समझ लें और इसे चेतावनी के रूप में ही लें कि हम एक हैं और अब कोई षडयंत्र, कोई साजिश इस एकता को खंडित नहीं कर सकती, क्योंकि राम ने आज फिर हमें एक साथ, समानता के भाव में, समता के आधार पर खड़ा कर दिया है।
आज पूरा देश दिवाली मना रहा है, राम के आगमन को से विह्वल होकर घर-आंगन में तोरण सजा रहा है, दीप जला रहा है, एक-दूसरे को बधाई दे रहा है और रामराज की संकल्पना को साकार करने दी दिशा में पहला कदम रख रहा है। कुछ दिनों बाद गणतंत्र का उत्सव आने वाला है, लेकिन इस बार गणतंत्र का यह उत्सव कुछ अलग ही होगा। इसमें केसरिया की चमक भी होगी, और धमक भी होगी। रामराज की झलक भी होगी और देश की अखंडता का राग भी होगा।
तो क्या यह हिंदू चेतना इस देश से फिर छीनी जा सकेगी? क्या इस राष्ट्रीय एकता को दोबारा खत्म किया जा सकेगा? राम ने आज जनमानस में जो बीज बोया है, क्या वह बीज एक विराट वटवृक्ष का रूप ले पाएगा? निश्चत रूप से यह ऐसे वटवृक्ष का रूप लेगा, जिसके तलते भारत की संस्कृति और निखर उठेगी, एक नए गौरव को छुएगी। इसलिए राम से आज हम यही प्रार्थना करते हैं कि हिंदू राष्ट्र की हिंदू चेतना के बीज हर हिंदू मन रोपित हों और हर अंतस से बस एक ही आवाज उठे, ‘हम एक हैं, हम एक हैं, हम एक हैं..।’
जय श्री राम
- संपादक, द एक्सपोज लाइव