बेचारी शराब बेबस शहर

आये दिन बदनाम हो रहा शहर ,युवाओं की मस्ती -----शहर खो रहा अपनी हस्ती। लेकिन होश रहे साहब ;;;;;; ये मस्ती नहीं हे "सस्ती" !!!शराब की आड़ में दूसरा नशा भी बिक रहा धड़्डले से ! 

बेचारी शराब बेबस शहर
file photo

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर 

शराब को बेचारा सुन शायद कुछ अटपटा लगे लेकिन आज जो हालत शहर की हो रही हे कहानी ही कुछ ऐसी बन रही हे ,और बेचारी कहने में भला गुरेज़ कैसा ? जब खुल्ले आम जगह जगह बिक रही हे,प्रदेश  की अर्थव्यवस्था चला रही हे ,हम भले ही बंद करो बंद करो चिल्लाते रहें ,सरकार तो चला रही हे ! 

ये शराब ना ,अब ये मस्तों की मंज़ूरे नजर
क्या मुबारक शे थी ,जिंनसे आम हो कर रह गयी 
जब से कमज़र्फों के पल्ले पढ़ गयी। .... ये दिलरुबा 
कुचा ऐ बाजार में बदनाम हो कर रह गयी !

आये दिन सड़कों पर युवतियों की नग्नता ,युवाओं की आपस में मारकाट ,युवतियों के पीछे आपस के झगड़े और बदनाम बेचारी शराब ,सुना था इस बदनाम शराब का भी एक सलीका हुवा करता था ,इसको पीने  का भी एक तरीका हुवा करता था ,इसको मुँह से लगाने वाले भी कुछ अलग हुवा करते थे,पीने  के मकसद भी कुछ अलग हुवा करते थे ,लेकिन ये क्या इसको पी  कर गुंडा गर्दी ? अश्लीलता ,नग्नता वो भी सरे आम ? निश्चित ही ये इस बेचारी शराब के संस्कार नहीं हो सकते ! संस्कार में खराबी आपकी परवरिश और परिवार में हे ! क्या दिखाना चाह  रहें आप इस शहर को ? आधी रात को सड़कों पर अर्ध नग्न अवस्था में लड़कियां। ..हाथ में हथियार लिए लड़के ,प्रदेश  का प्रधानमंत्री चिल्ला चिल्ला कर  कह रहा हे "ये युवा हमारी धरोहर हे हमारी ताकत हे ,हिंदुस्तान का भविष्य हे ,! तो लो मुख्य मंत्री  जी देख लो आपके युवा कितने बड़ी धरोहर बन बैठे। इतनी बड़ी धरोहर की शराब की बॉटल देकर देश की सीमाओं पर छोड़ दो सीमायें सुरक्षित हो जाएँगी ! आप और केंद्र सरकार अग्निवीर  जैसी  योजना चलाये बैठे हे ,देश/प्रदेश  की युवा शक्ति को एक दिशा देने का काम करते आये हैं ,अपनी युवा शक्ति पर घमंड कर रहे हैं लेकिन ये तो शराबखोरी और दूसरे नशे  कर देश का भविष्य बनाने की सोच रहें हैं ! आप क्यों नहीं सामाजिक संगठनों को इनके घर भेज संस्कारों का पाठ पढ़ाने की अपील करते ? या तो ये कर लीजिए या सड़कों पर तमाशा करने के खिलाफ कड़ा कानून बना दीजिए ,शराब अगर बंद नहीं की जा सकती तो कम से कम इसके लिए भी आचार सहिंता बनवा दीजिए !   

बेशक ये युवा मेरे इंदौर के नहीं हो सकते ,ऐसा बुद्धिजीवी भी कहते हैं ,संत महत्मा भी कह गए ,में भी ऐसा ही मानता हूँ ,लेकिन मेरे शहर की तासीर ही कुछ ऐसी हे यहाँ जो आता हम सबका बाहें फैला कर स्वागत करते हैं परदेसी को अपना बना लेते हैं ,हमने तो स्वागत किया आपका ,लेकिन फिर कहाँ गलती हो गयी ? और अगर गलती हो भी गयी तो हम आपसे माफ़ी मांगते हैं ! आपसे अनुरोध करते हैं हमारे शहर की फ़िज़ा मत बिगाड़िए ,आप भी मत बिगड़िये ,लेकिन आपने बिगड़ने की ठान  ही रखी हे तो खूब बिगड़िये खूब पीजिए अपनी महिला मित्र को भी खूब पिलाइये ,अब तो पुलिस प्रशासन ने भी आपको कुछ भी कहना समझाना बंद कर दिया हे ! उनसे भी गलती हो गयी थी ,पैसा भी आपका ,सेहत भी आपकी ,मित्र भी आपके ,इज़्ज़त भी आपकी बेशक आपके परिवार को आपकी हरकतों का  शायद भान नहीं ,हम आपके लिए वो भी कर देंगे ,हम आपके परिवार तक आपकी इन हरकतों को पहुंचा देंगे ,शायद वे भी आपकी इस काबिलियत पर थोड़ा गौरान्वित महसूस कर ले ! रही बात इंदौर पुलिस की आपको समझाने  की गलती की तो यहाँ की पुलिस अपराधों से जनता को सुरक्षित करती आयी हे ,शायद उन्होंने यह सोच लिया होगा की शहर के संस्कार भी सुरक्षित कर लें ,लेकिन आपकी ज़िद के आगे तो अब उन्होंने भी हार मान ही ले हे इसलिए उनकी तरफ से भी माफ़ी ! और वैसे भी अभी आप युवतियां  इंदौर पुलिस से  नशे की हालत में हुज्जत बाजी में माहिर हो चुकी हैं ! अब तो गाली गलौज भी कर लेती हैं ! लेकिन ध्यान रहे मोहतरमा ये इंदौर पुलिस हे ,भले ही आपके रखवाले रसूखदार होंगे लेकिन शहर की जनता शहर की पुलिस साथ हे थी और रहेगी  ! 

राह तकता होगा कोई, दिल का नज़राना लिए
प्यास आँखों में लिए , आँचल में मैखाना (परिवार /प्रेम )  लिए
मैकदे की राह छोड़ो, घर चलों आली जनाब
   
सुधर जाईये ,आप मेहमान बन कर आएं हैं ,मेहमानों का स्वागत और देखभाल हमारी तासीर हे ,लेकिन कोरोना काल भी याद रखियेगा मेहमानों को घर तक पहुँचाने का बंदोबस्त भी हम इन्दोरियों  की तासीर हे !