अध्यक्ष इन एक्शन चावड़ा की जागरूकता से उजागर हुआ अधिकारियों और भू माफियाओं का गठजोड़

मामला अयोध्यापुरी से संबंधित, 22  वर्षों तक उलझाते रहे अधिकारी ,ऐसे ही कई मामले आज भी सुलझाए जाने हैं , विधायक हार्डिया और MIC सदस्य उदावत वर्षों से हैं संघर्षरत ,प्राधिकरण द्वारा उलझाए जा रहे सबसे ज़यादा मामले विधानसभा 5 में !

अध्यक्ष इन एक्शन चावड़ा की जागरूकता से उजागर हुआ अधिकारियों और भू माफियाओं का गठजोड़

द एक्सपोज़  लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर 

अगर जनप्रतिनिधि जागरूक हो जाए तो जनता को न्याय लेने से कोई नहीं रोक सकता , यह बात इंदौर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने साबित कर दी ! दरअसल 114 कॉलोनी की सूची  कॉलोनी सेल प्रभारी राजेश उदावत द्वारा अध्यक्ष को दी गई थी  बताया गया था की ये समस्त कॉलोनियां प्राधिकरण की किसी न किसी योजना में शामिल हे , इन पर नागरिक अधोसंरचना की कार्रवाई शुरू की जानी है लेकिन सबसे बड़ी अड़चन प्राधिकरण की एनओसी नहीं होना है !  कई योजनाओं को या तो अदालत ने  खत्म कर दिया हे   या फिर उन योजनाओं में शासन द्वारा वर्षों तक भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू ही नहीं की जा सकी हैं !
 
इन कॉलोनियों की एनओसी अगर प्राधिकारण  दे देता है तो कॉलोनियों में अधोसंरचना का विकास निगम द्वारा किया जा सकेगा ! मामले में प्राधिकरण द्वारा आपत्ति दर्ज पहले ही कराई जा चुकी थी जिसके बाद कॉलोनी सेल प्रभारी को पत्र लिखना पड़ा ! वहीं से इंदौर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और भू माफिया के गठजोड़ भी सामने आने लगा ,जब अयोध्यापुरी की फाइल खुद अध्यक्ष ने जाकर भू अर्जन शाखा में देखीं वे खुद भोचके रह गए ! मामले में 22 वर्ष पहले ही उच्च न्यायालय के आदेश के बाद एनओसी प्रदान की जा चुकी थी  फिर भी मामले में प्राधिकरण अधिकारीयों द्वारा आपत्ति ली जाकर मामले को उलझाया जा रहा था ! मामले की गंभीरता को समझते हुए  उन्होंने तत्काल कॉलोनी सेल को पत्र लिख जारी की जा चुकी है उसी की जानकारी देने का आदेश अधिकारीयों को दिया ! जिसके बाद अयोध्यापुरी के रहवासियों में हर्ष का माहौल है और जल्द ही उनके घरों का सपना भी साकार होगा !

अब देखना यह हे की भू माफियाओं के संरक्षण देने वाले और लगातार मामले को उलझाए रखने वाले उन अधिकारियों पर अध्यक्ष क्या कार्रवाई करते हैं !  ऐसा एक नहीं अनगिनत मामले हैं जहां अधिकारियों और भू माफियाओं का गठजोड़ पहले से ही रहा हे  और आज तक जारी है !  इन्हीं अधिकारियों की कारगुजारी के कारण आज इंदौर विकास प्राधिकरण भू माफिया कहलाने लगा है ! पुष्प विहार न्याय नगर और न जाने कितनी ऐसी संस्थाएं हैं जो आज प्राधिकरण के अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण परेशान हो रही है और अपने सदस्यों को भूखंड नहीं दे पा रही हैं अगर अध्यक्ष की कार्यप्रणाली यही रही तो वह दिन दूर नहीं जब इन लोगों को न्याय मिले बस देरी हे तो सिर्फ एक एक कर मामले को अपने स्तर पर समझने की और अधिकारीयों के बनाये चक्रव्यूह को तोड़ने की !  भू माफियों को सफ़ेद पोश साबित कर भू स्वामियों को भू माफिया बताने में हमेशा लगे रहने वाले अधिकारीयों की कई कारगुज़ारी सामने आ जाएँगी  

देर आए दुरुस्त आए 

यूं तो जयपाल सिंह चावड़ा भाजपा संगठन मंत्री रहते हुए बेहद कड़क स्वाभाव  के माने जाते थे लेकिन प्राधिकरण की कमान संभालते ही अधिकारियों की कार्यप्रणाली को कहीं ना कहीं समझ नहीं पा रहे थे जो अब बदलने लगा है ! देखना यह है कड़क स्वभाव के चावड़ा आपत्तियां लेने वाले दोषी अधिकारीयों और मामले को २२ वर्षों तक उलझाए रखने वालों पर  कार्यवाही करते हैं या नहीं ? 

सरकारी आदेश,न्यायालीन आदेश सरकारी अधिसूचना छुपा कर रखना प्राधिकरण के अधिकारीयों की निति रही हे ,जब तक पीड़ित स्वयं ज़िम्मेदारों को आदेशों की प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं करते किसी को मालूम ही नहीं पढ़ सकता की ऐसे कोई आदेश कभी निकलें हो ! इसके पीछे प्राधिकरण अधिकारीयों की मंशा भूमाफियाओं को फायदा पहुँचाना ही रही हे ,ऐसे कई मामले आज मौजूद हैं अगर इनकी जांच की जाये तो अनगिनत अधिकारी दोषी साबित होंगे ! 

कृतिम समस्याओ को पैदा कर उसके निराकरण की बातें करते रहना प्राधिकरण अधिकारीयों की एक और कार्यप्रणाली रही हे ! किसी भी मामले को बेतुके ढंग से उलझा देना उसमे कुछ भी बेतुके नोट्स लगा देना ,एक ऐसी बेतुकी समस्या मामले में डाल  देना फिर उसी समस्या को सुलझाने की कोशिश करते रहना ,यानि जो पैदा कभी हुवा ही नहीं उसको ख़तम करने की बात कर हर मामले को उलझाए रखना प्राधिकरण की रीती निति रही हे !