सोशल मीडिया बन रहा ब्लैक मेलिंग का हथियार, तथ्यहीन बातें लिख किया जा रहा बदनाम

अभी-अभी एक मामला और सामने आया जिसमे एक परिवार के लोगों पर झूठे इलज़ाम लगा कर बदनाम करने की साजिश की जा रही है। मामला कनाड़िया क्षेत्र एक ज़मीन का जिस पर पारिवारिक विवाद को इस कदर उछाला जा रहा है कि एक पक्ष को न सिर्फ बदनाम किया जा रहा है, बल्कि झूठे तथ्य पेश कर एक बड़ी राशि की मांग भी की जाने लगी है। इतना ही नहीं पुलिस प्रशासन को भी नहीं बख्शा जा रहा।

सोशल मीडिया बन रहा ब्लैक मेलिंग का हथियार, तथ्यहीन बातें लिख किया जा रहा बदनाम

मामला प्रतिष्ठित खजराना और कनाड़िया के वाघेला परिवार का, संचार नगर की ज़मीन पर चल रहा न्यायालीन विवाद

न्यायालय में दर्ज दस्तावेजों के विपरीत सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही झूठी कहानियां, वाघेला परिवार से मांगी जा रही बड़ी राशि

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर

दरअसल कनाड़िया क्षेत्र में स्थित एक बेशकीमती पुश्तैनी ज़मीन को लेकर न्यायालीन विवाद हर स्तर पर प्रचलन में है, जिसमें मुख्य रूप से दो पक्ष शामिल हैं, जो कि युसूफ पिता यासीन वाघेला और रशीद पिता सत्तार वाघेला हैं। उक्त ज़मीन पारिवारिक बंटवारे के तहत रशीद पिता सत्तार को मिली थी और उसी ज़मीन का अनुबंध रशीद द्वारा युसूफ के पक्ष में पहले ही कर दिया गया था।

भूमि का विधिवत कब्ज़ा भी रशीद द्वारा युसूफ को दे दिया गया था, बदले में रशीद द्वारा पूर्ण राशि का भुगतान भी प्राप्त कर लिया गया था। युसूफ द्वारा उक्त भूमि पर बहुमंज़िला इमारत बना कर बेच भी दिया गया है, लेकिन अब रशीद उसी भूमि को अपना बता सोशल मीडिया पर अनर्गल बातें फैला रहा है। उक्त भूमि पर सोशल मीडिया के माध्यम रशीद दावा कर रहा है, जबकि अगर कोई वैधानिक अधिकार रशीद का भूमि पर बाकी है, तो न्यायलय के दरवाज़े भारत का नागरिक होने के वजह से उसके लिए खुले हैं।

26 लाख लेकर नहीं की रजिस्ट्री

युसूफ पिता यासीन द्वारा रशीद वगैरह से बाकायदा उक्त भूमि का लिखित अनुबंध वर्ष 2010 में किया गया है। इतना ही नहीं युसूफ द्वारा रशीद को करीब 26 लाख रुपये चेक द्वारा भूमि की सम्पूर्ण खरीद राशि पहले ही दिए जा चुके हैं। इसके बावजूद भी रशीद द्वारा रजिस्ट्री किसी न किसी बहाने से नहीं युसूफ के पक्ष में नहीं कराई गयी और हर बार परिवार का होने का आश्वासन देते रहा। अब जब उक्त भूमि के भाव बढ़ने लगे तो रशीद की नीयत में खराबी आ गयी। रशीद की नीयत को समझते ही युसूफ द्वारा न्यायलय में अनुबंध के आधार पर दावा प्रस्तुत किया गया, जो अभी तक प्रचलन में है।

स्टे होने की फर्जी खबरें प्रसारित

रशीद द्वारा न सिर्फ आम जनता को बल्कि शासन प्रशासन को भी गुमराह करने के लिए झूठी बातें सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही हैं कि उसके पक्ष में न्यायलय का स्थगन है, जबकि असलियत में स्थगन याचिकाकर्ता युसूफ पटेल के नाम पर है। रशीद द्वारा हर स्तर पर यह कहा जा रहा है कि इस्लाम के इस अवैध कब्ज़े को हटाने की उसने कमर कस रखी है और हर जगह इस्लाम और उनके पुत्र इरफ़ान का नाम बोल रहा है, जबकि वैधानिक तोर पर अनुबंध उसके द्वारा युसूफ के साथ किया गया है और मौके पर आज भी युसूफ ही काबिज़ है।

भूमाफिया से गठबंधन कर किए झूठे अनुबंध

रशीद द्वारा हर जगह झूठे अनर्गल आरोप लगा कर न सिर्फ इन्हें बदनाम किया जा रहा है, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह उसके द्वारा लगाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं झूठे दस्तावेज के आधार पर रशीद द्वारा करीब 3 अन्य लोगों के साथ अनुबंध कर लिया गया है और उनसे करोड़ों की राशि भी हड़प कर ली गयी है, जिसमें उसके साथ कुख्यात भूमाफिया इस्लाम पिता शफी भी शामिल है। 

मृत व्यक्ति से अंगूठा लगवाया

अब्बास द्वारा 1980 बटवारा प्रकरण गलत तरीके से लगाया गया था और बंटवारा करवा लिया गया था। अब्बास वाले बटवारा में दाऊद को वर्ष 1980 में मृत बताकर और मृत व्यक्ति से आदेश पर अंगूठा भी लगवा लिया गया था, जबकि उनकी मृत्यु वर्ष 2001 में हुई थी। इसी प्रकरण में पक्षकार यासीन और इस्लाम पिता दाऊद को बनाया गया था और दाऊद को मृत होना दिखाया गया था। जिसे बाद में चुनौती दी गयी।

निरस्त हो चुका है बटवारा

2004 में इसी बंटवारे को साक्ष्यों के आधार पर निरस्त कर दिया गया, लेकिन अब्बास द्वारा गलत तरीके से काफी भूमियां किसी और को बेच दी गयी थीं, जिसके निराकरण के लिए वर्ष 2005 में अन्य पक्षों (दाउद के वारिस) द्वारा दावा प्रस्तुत किया गया, जो कि आज तक भी प्रचलन में है, लेकिन रशीद द्वारा अब सोशल मीडिया पर अनर्गल बातें अलग-अलग माध्यम से फैलाई जा रही हैं और न्यायालीन प्रक्रिया को भी बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है।

मुआवजे को लेकर भी गढ़ी झूठी कहानी

प्राधिकरण की योजना 134 में मुआवज़े की अनर्गल बातें भी फैलाई जा रही हैं, लेकिन असल में तथ्य यह है कि दाऊद, सत्तार और अब्बास के बीच आपसी सहमति से वर्ष 2010 में बटवारा किया गया, जिसमें सभी के हक़ की ज़मीन सब को मिल गयी। इसमें अब्बास एवं उनके वारिस की भूमियां योजना 134 में समाविष्ट हो गयीं और उनके द्वारा मुआवज़ा भी प्राप्त कर लिया गया। इसको लेकर अब रशीद द्वारा झूठ बोला जा रहा है कि उक्त भूमि पर  इस्लाम पिता दाऊद ने  अपनी बहनों का नाम चढ़वा दिया और प्राधिकरण के अधिकारीयों के साथ मिलीभगत कर ली ,जबकि वर्त्तमान में भी भूमि प्राधिकरण के नाम ही दर्ज हे जिसे भली भांति देखा जा सकता हे !

पीड़ित ने की प्रशासन से कार्रवाई की मांग

इस्लाम पिता दाऊद और इरफ़ान पिता इस्लाम का कहना है कि हमारे द्वारा उक्त भूमि पर किसी से भी किराया वसूलने की बात सरासर गलत है, क्यूंकि उक्त भूमि पर हमारा कोई लेना-देना नहीं है। रशीद द्वारा हमें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। वहां जो भी लोग आज काबिज़ हैं, उनमे से कोई भी हमें जानता तक नहीं है। ये रशीद द्वारा कुख्यात भूमाफिया इस्लाम पिता शफी के साथ मिलकर हमे बदनाम करने की साजिश है। उसके द्वारा हर जगह यह कहा जा रहा है कि पुलिस और प्रशासन के साथ हमारी साठगांठ है, जिसका हम खंडन करते हैं और पुलिस प्रशासन से मांग करते हैं कि कहीं भी बिना किसी दस्तावेज के आधार पर प्रशासन पर जो गंभीर आरोप रशीद द्वारा लगाए जा रहे हैं, उन पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये।