मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुक्रम में विधायक ने लिखा प्राधिकरण अध्यक्ष को पत्र ,बाबुओं ने गुमा दिया
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी नहीं मान रहा IDA ,विभागीय मंत्री के पत्रों की भी नहीं होती सुनवाई ,पहले भारतीय किसान संघ ,फिर जीतू ने किया विरोध ,अब विधायक महेंद्र हार्डिया ने एक संस्था के मामले IDA अध्यक्ष को पत्र लिख जाहिर करी नाराज़गी ,उनके द्वारा अध्यक्ष को पहले लिखा पत्र प्राधिकरण ने कर दिया गायब ,सुचना के अधिकार में उन्ही के एक कार्यकर्त्ता ने उजागर किया मामला
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
वर्षों से अकारण IDA के चुंगल में फंसी कालिंदी गृह निर्माण सहकारी संस्था (पूर्व में रघुवंशी ) के सदस्य लगातार विधायक हार्डिया से न्याय की गुहार लगा रहें हे ! विधायक हार्डिया के ही प्रयासों से कई गृह निर्माण संस्थान को न्याय भी कई हद तक मिल चूका है ! उक्त गृह निर्माण के मामले में तथ्यों के आधार पर कुछ माह पहले विधायक द्वारा अध्यक्ष को पत्र लिख विधिक विवेचना कर NOC जारी करने के मांग की गयी थी !
दरअसल उक्त संस्था की भूमि योजना 53 का भाग रही थी ,योजना 53 को न्यायलय द्वारा वर्ष 1996/1998 में समाप्त कर अधिसूचना को ख़ारिज कर दिया गया था । इसके बाद कोर्ट के आदेश के बाद आईडीए ने 16/10/98 को योजना का त्याग कर और नवीन योजना घोषीत करने का निर्णय लिया जो कभी नहीं घोषित की गईं। योजना के लागु रहते उक्त संस्था द्वारा योजना अनुरूप विकास हेतु प्राधिकरण से वर्ष 1992 में अनुबंध किया गया था और 50.10 लाख रूपए भी जमा कराये गए थे ! योजना ख़त्म होते ही प्राधिकरण द्वारा सभी विकास कार्य रुकवा दिए गए और संस्था की सिर्फ 2 .47 हेक्ट भूमि पर अधूरा विकास लगभग 22 लाख का किया और फिर योजना खत्म होने से अधूरा छोड़ दिया गया ! वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री ने आईडीए से अनुबंधित सहकारी संस्थाओं में लंबित मामलों को तुरंत निपटने का आदेश पारित किया और संभागायुक्त ने प्राधिकरण अध्यक्ष रहते कालिंदी संस्था के साथ किये गए अनुबंध को योजना खत्म होने के कारण समाप्त करने का आदेश भी पारित कर दिया ! प्राधिकरण न्यायलय के निर्णय के बाद ,मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद ,विभागीय मंत्री के पत्र के बाद ,अध्यक्ष केआदेश के बाद भी उक्त संस्था की भूमि पर NOC जारी नहीं कर रहा है ,जिसको ले कर विधायक हार्डिया द्वारा प्राधिकरण अध्यक्ष को पत्र लिख NOC की मांग की गयी थी ! बाबुओं द्वारा यह पत्र भी गायब कर दिया गया ! अब मामले में अध्यक्ष के हवाले गुमराह करते हुवे विकास कार्य करने की बातें लिखी जा रही हैं ! जिससे खफा हो कर विधायक द्वारा फिर एक बार अध्यक्ष को पत्र लिख मामले को व्यक्तिगत परीक्षण कर तत्काल निराकृत करने की मांग की गयी है !
प्राधिकरण में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है की आज जितने मामले न्यायलय में प्रचलन में हैं उनमें अधिकांश में असत्य एवम् कूट रचित शपथ पत्र दिए जा रहे है । इसी क्रम में संस्था के सदस्य द्वारा प्रस्तुत याचिका में प्राधिकरण के जगदीश जाकोदिया ने असत्य शपथ पत्र प्रस्तुत किया है उसकी प्रमाणिकता है अध्यक्ष को कोर्ट के दस्तावेज़ और प्राधिकरण के रिकॉड में उपलब्ध पेपर जिससे यह सिद्ध होता की शपथ पत्र झूठा है !
मुख्यमंत्री तो समझ गए लेकिन राजनैतिक बोर्ड समझने नाकाम
पिछले साल ही खुद मुख्यमंत्री द्वारा कई गृह निर्माण संस्था के सदस्यों को उनके प्लाट का कब्ज़ा ब्रिलियंट कन्वेंशन में दिलवाया था लेकिन आज तक सभी प्लॉटधारकों को IDA ने अपने चुंगल में फंसा रखा है । जिसका रोष सभी तरफ व्यापक स्तर पर देखा जा रहा है अगर प्रकरणों को राजनीति के नज़रिए से देखें तो अधिकांश कांग्रेस शासन के समय के है जिसको दूरदर्शी मुख्यमंत्री ने तो वर्ष 2013 में ही देख लिया था परंतु उसके बाद राजनीतिक बोर्ड अभी तक देखने को तैयार नहीं है ! यदि अध्यक्ष अब भी संज्ञान नही लेते है तो परीणाम अवश्य विकट होंगे। पीड़ितों की पीड़ा ज्वालामुखी की तरह हों गईं है जो इस चुनाव में अवश्य ही फूटेगी ! न सिर्फ मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री भी इस बात को कह चुके हैं की जहाँ जहाँ भी अधिग्रहण के वर्षों बाद तक विकास नहीं किया जा सका हे वैसी सभी भूमियों को मुक्त कर दिया जाना चाहिए !