क्या वाकई मध्यप्रदेश में लैंड पुलिंग कानून होगा निरस्त
सोनकच्छ में चार दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को साधने के लिए लैंड पुलिंग एक्ट निरस्त करने की घोषणा की। देवास जिले में लगातार औद्योगिक कॉरिडोर बनाने के लिए हो रहे विरोध को साधने की कोशिश करते हुए ऐलान करते हुए मुख्य मंत्री ने भरे मंच से लैंड पूलिंग एक्ट को निरस्त करने की बात कही। आगे उन्होंने कहा की किसानों की जमीनों की खरीद-फरोख्त अब शुरू हो जाएगी।
चुनाव के पहले किसानों को साधने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंच से की घोषणा
टीएनसीपी एक्ट की तर्ज पर चुनावी वादों की तरह इस बार भी घोषणा ही बनकर न रह जाए
द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर
दरअसल सिंचित भूमि पर औद्योगिक कॉरिडोर बनाने को लेकर लगातार इंदौर और देवास जिले में विरोध हो रहा हैं। विकास के लिए जरूरी सड़कों का किसान कभी विरोध नहीं कर रहे, लेकिन उनकी भूमियों पर कृषि उद्योग को खत्म कर औद्योगिक कॉरिडोर बनाने को लेकर किसानों में भारी रोष है।
कुछ महीनों पहले भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में हजारों की संख्या में ट्रैक्टर लेकर किसान सड़क पर आ चुके थे। वर्ष 2016 में भी भूमि अधिग्रहण एक बड़ा मुद्दा था और इसी के चलते उग्र किसान आंदोलन ने जन्म लिया था। लगातार विकास के नाम पर भूमि का अधिग्रहण एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसे शायद अब मुख्यमंत्री ने भलीभांति समझ लिया हे और उन्होंने लैंड पुलिंग एक्ट और निरस्त करने की घोषणा कर दी।
घोषणा करने से खत्म नहीं होगा एक्ट
महत्वपूर्ण सवाल ये उठता है कि मात्र घोषणा से क्या यह एक्ट खत्म हो जाएगा, क्योंकि वर्ष 2019 में कमलनाथ सरकार द्वारा यह कानून विधि सम्मत पारित किया गया था और भारतीय जनता पार्टी सरकार ने बाद में उसे अपना लिया। वर्ष 2016 में शिवराज सरकार ने नवीन भूमि अधिग्रहण कानून की काट करते हुए मध्य प्रदेश नगर तथा ग्रामीण निवेश अधिनियम में बदलाव किए थे, जिसमें किसानों को न्यायालय में जाने का अधिकार खत्म कर दिया था। वहीं बदलावों को 43 साल पहले पहले से लागू कर दिया गया था।
टीएनसीपी एक्ट के संशोधन भी वापस नहीं हुए
कहीं ना कहीं सरकार के सलाहकारों की अदूरदर्शिता वहीं साबित हो गई थी, जब भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था और इन्हीं बदलावों के चलते किसानों में रोष पैदा हुआ था, जिसने उग्र किसान आंदोलन को जन्म दिया था। किसान आंदोलन के दौरान ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में समस्त किसान विरोधी संशोधन वापस लिए जाएंगे। यह बात अलग है कि आज तक भी वो संशोधन वापस नहीं लिए गए और अब लैंड पूलिंग एक्ट को निरस्त की घोषणा मंच से कर दी गई।
क्या कहना है विधि विशेषज्ञों का
दुर्गेश शर्मा, अधिवक्ता मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय इंदौर पीठ का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा आगे चलकर विधानसभा में मूर्त रूप लेगी। क्योंकि जो कानून विधिक प्रक्रिया के तहत लागू कर दिया गया है, उसे निरस्त भी विधिक प्रक्रिया के तहत ही किया जा सकता है। और यह करना भी आचार संहिता के पहले ही पड़ेगा।
पहले वाला वादा भी पूरा हो
वहीं विपिन पाटीदार, सचिव युवा किसान संघ का कहना है कि वर्ष 2016 में भी मुख्यमंत्री ने नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में किसान विरोधी संशोधन को वापस लेने की घोषणा की थी, जो आज तक भी नहीं हो पाई है। अब मुख्यमंत्री से हम आशा करते हैं कि वे जल्द ही लैंड पूलिंग एक्ट को निरस्त करने का प्रस्ताव विधानसभा में लाएंगे और नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में बदलाव के वादे को भी वह आचार संहिता के पहले पूरा करेंगे।