आइए, अपने मन में राम को जगाएं और रावण को परास्त करें...
इस विजयादशमी पर, हम संकल्प लें कि अपने अंतस में मौजूद राम को जगायेंगे और उनसे आह्वान करेंगे कि वे उस रावण का भी अंत करें, जो हमारे मानस में कहीं गहरे पैठ बना चुका है।
"असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई के विजय के महापर्व विजयादशमी की सभी को शुभकामनाएं"
जैसा कि आप जानते हैं कि आज ही के दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का अंत कर इस धारा को बुराई से मुक्त करने का प्रयास किया था। लेकिन क्या वास्तव में धरा से बुराई का अंत हो गया है? क्या वाकई रावण चला गया है?
कहा जाता है कि रावण ने अपनी मृत्यु से पूर्व प्रभु श्रीराम से कहा था, “आपने मेरा शरीर तो मिटा दिया है, लेकिन मेरा अस्तित्व इस धरा से कभी नहीं मिटा पाएंगे। मैं हमेशा इस धरा पर रहूंगा और बुराई का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने अस्तित्व को कायम रखूंगा। हे प्रभु श्रीराम आप मेरे अस्तित्व को किस प्रकार मिटा पाएंगे। रावण के इस शरीर का अंत करने के बावजूद आप रावण के समूचे व्यक्तित्व का संहार कभी नहीं कर पाएंगे।”
हम देख रहे हैं कि रावण का यह कहा आज सही साबित होता नजर आ रहा है। हम हर साल विजयादशमी को दशानन रावण के पुतले का दहन करते हैं, लेकिन क्या वाकई यह उस बुराई का अंत है, जो दशानन रावण के रूप में उस समय से लेकर आज तक मौजूद है। रावण का वह व्यक्तित्व आज समाज में हर व्यक्ति के मानस में, उसके अंतस में कहीं ना कहीं नजर आता है।
बुराई रूपी रावण के पुतले का दहन करने भर से ही रावण का व्यक्तित्व, उसका अभिशाप इस समाज से खत्म नहीं हो जाएगा, बल्कि अपने अंतस में व्याप्त इस रावण से हमें खुद ही लड़ना होगा। अपने अंदर मौजूद राम को जगाना होगा। उस रावण का संहार करने के लिए, अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प रूपी दिव्य रथ प्रदान करना होगा।
यह सही है कि समाज से बुराई कभी मिट नहीं सकती। क्योंकि अच्छाई और बुराई दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं। यदि अच्छाई है, तो बुराई भी रहेगी और सत्य है, तो असत्य भी रहेगा। मगर तय हमें करना है कि इसमें से प्रभावशाली या सशक्त कौन रहेगा, अच्छाई या बुराई, सत्य या असत्य।
रावण का असली संहार तभी होगा, जब हम अपने अंतस में मौजूद उस दशग्रीव को अपने राम पर हावी ना होने दें, बल्कि पूरे सामर्थ्य से उसका सामना करें। अपनी संकल्पशक्ति से अपने परिवार, अपने ग्राम, अपने समाज, अपने प्रदेश और अपने देश की सुविचारित, सुसंस्कारित, सुव्यवस्थित उन्नति के लिए प्रयास करें।
तो आइए इस विजयादशमी पर, हम संकल्प लें कि अपने अंतस में मौजूद राम को जगायेंगे और उनसे आह्वान करेंगे कि वे उस रावण का भी अंत करें, जो हमारे मानस में कहीं गहरे पैठ बना चुका है। जिस दिन उस रावण का संपूर्ण रूप से विनाश हो जाएगा, उसी दिन इस देश में रामराज कायम हो जाएगा। तब ही हम गर्व से मना सकेंगे विजयादशमी और गगनभेदी स्वर में श्रीराम का नाम उच्चारित कर सकेंगे, जय श्री राम।
"विजयादशमी पर्व की एक बार पुनः आप सभी को अनेकों-अनेक शुभकामनाएं"
- पवन सिंह राठौर,
एडिटर-इन-चीफ, द एक्सपोज लाइव