हवा-हवाई साबित हो रही सीएम की घोषणा, कब होंगी कॉलोनियां वैध..?
मुख्यमंत्री जी अवैध कॉलोनियां भी वैध करने की घोषणा आप कर चुके हैं। बहनें तो आपकी हो गईं, अब परिवारों को अपना लीजिए। सद्भावित रूप से आपके द्वारा की गई घोषणाओं को जब तक जनता के बीच सम्पूर्ण रूप से नहीं पहुंचाया जायेगा, तब तक आपकी घोषणाओं को स्वर्ण पटल पर किसी भी रूप में नहीं रखा जा सकता है।
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री चौहान की अहम घोषणा प्रशासनिक अधिकारियों के आगे बेबस
कहीं कागजों तो कहीं विभागों के सामंजस्य की कमी ने अटकाया वैध होने का रास्ता
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।
कुछ ही महीनों पहले सीएम ने एक आदेश क्र. एफ 11-28 /2020/1 /9, दिनांक 7 फरवरी 23 को पारित किया था, जिसमें निर्देश दिए थे कि 1 मई 2023 तक सभी कॉलोनियों को वैध कर भवन अनुज्ञा ऑनलाइन पोर्टल पर डालें। भोपाल में तो आदेश का पालन हो गया, लेकिन इंदौर की जनता आज भी टकटकी लगाकर आपकी और देख रही है।
आपके द्वारा इस उपलक्ष्य में एक बड़ा कार्यक्रम भी भोपाल में आयोजित किया जा चुका है, जिसमे इंदौर भी वर्चुअल रूप में शामिल हुवा था और लगभग 700 अवैध कॉलोनियों में से 100 से अधिक कॉलोनियों को इंदौर निगम द्वारा वैध करने की बात करते हुए भवन अनुज्ञा जारी करने का आश्वाशन दिया गया था।
क्यों फंसा रखा है पेंच..?
ज़मीनी हकीकत की अगर बात करें तो आज तारीख तक भी इस और निगम द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी है, जो भी बात है बस कागज़ों तक या किसी न किसी विधिक अड़चन में फांसी हुई है। जब नजूल, प्राधिकरण, सहकारिता की अनापत्ति प्रमाणपत्र की आवश्यकता का प्रावधान ही नहीं है, तो क्यों ऐसी कॉलोनियों को आज अनापत्ति के नाम पर उलझाया जा रहा है?
खत्म योजनाओं में एनओसी क्यों..?
जहाँ तक प्राधिकरण की योजना में कॉलोनियां शामिल होने की बात है, उसमें भी ज़मीनी हकीकत यह है कि प्राधिकरण द्वारा वर्षों पहले योजना की मात्र अधिसूचना ही जारी की जा सकी है, जो अब विधिक रूप से अस्तित्वहिन् हो चुकी हैं। बावजूद इसके प्राधिकरण में अनिर्णय की स्थिति बानी हुई है। कुछ योजनाएं न्यायलय द्वारा समाप्त की जा चुकी हैं, खुद प्राधिकरण संकल्प पारित कर कह चूका है कि ऐसी योजनाओं में प्राधिकरण की एनओसी की आवश्यकता अब नहीं है।
कमिश्नर का आदेश भी अमान्य क्यों..?
वर्ष 2017 में संभागयुक्त संजय दुबे भी इस आशय का आदेश दे चुके हैं कि यदि कॉलोनी या भवन, नजूल की भूमि और प्राधिकरण की योजना में नहीं हैं तो अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। कुल मिलकर कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री ने घोषणा तो जनता का भला सोच कर दी, लेकिन प्रशासन ही उनकी घोषणा को अमलीजामा नहीं पहनाना चाह रहा है।