पूर्व विधि एवं भू अर्जन अधिकारी की गलतियों से इंदौर विकास प्राधिकरण की तीन प्रमुख योजनाएं खटाई में

मामला टीपीएस 1,5,8  का ! 72  प्रकरण में से  शासन ने लौटाए 27 

पूर्व विधि एवं भू अर्जन अधिकारी की गलतियों से इंदौर विकास प्राधिकरण की तीन प्रमुख योजनाएं खटाई में

 द एक्स्पोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क  इंदौर

पिछले दिनों इंदौर विकास प्राधिकरण ने  9 महत्वपूर्ण योजनाएं घोषित करी थी जिन्हें टीपीएस 1  से  9 तक नाम दिया गया था !  योजना के अंतर्गत लगभग 72 प्रकरण इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा शासन को  स्वीकृति हेतु भेजे गए थे ! 

भू स्वामियों की आपत्तियों को सुनते हुए आयुक्त नगर तथा ग्राम निवेश भोपाल में 27 प्रकरण इंदौर विकास प्राधिकरण को पुनः  परीक्षण करने हेतु वापस भेज दिए हैं !  आयुक्त ने यह भी कहा इन  सभी भू स्वामियों को नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की धारा 53 का लाभ क्यों नहीं दिया गया !  उन्होंने इंदौर विकास प्राधिकरण को निर्देशित करते हुए सभी प्रकरणों को पुनः परीक्षण करने हेतु भी कहा है !  दरअसल लगभग 3000 एकड़  से ज्यादा जमीन लैंड पूलिंग के माध्यम से लेकर IDA  विकसित करना चाहता हे !  सरकार ने उक्त सभी भूस्वामियों की भूमियों  को छोड़कर प्रस्तावित लेआउट मंजूर कर दिए हैं ,  जिसके कारण उक्त तीनो  योजनाएं खटाई में पड़ गई है !  इंदौर विकास प्राधिकरण दस्तावेजों का परीक्षण कर सुनवाई करेगा और दस्तावेज प्रमाणित होने पर प्राधिकरण  को इनकी जमीन  मुक्त भी करनी होगी , नया लेआउट बनाकर सरकार से मंजूर करवाना होगा ! इन सभी 27 प्रकरणों का कुल क्षेत्रफल 36 हेक्टेयर है , जो इंदौर विकास प्राधिकरण के लिए एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है ! 

टीपीएस 1 में  गोयल डेवलपर्स, ईश कृपा रियल स्टेट, प्रेम गोयल, अवि  स्टेट, अंकिता मित्तल, एडीएम एग्रो, सनशाइन रियलिटी, संजना गृह निर्माण, गोपाल अग्रवाल, निलेश पाटीदार  एवं प्रतीक संघवी के प्रकरण पुनः परीक्षण हेतु शासन द्वारा वापस भेजे गए हैं !

टीपीएस  5 में कल्याण इंटरप्राइजेज, संजय गोरानी, कमल गुप्ता, अभिषेक तापड़िया की लगभग 18 एकड़ भूमि के प्रकरण वापस भेजे हैं !

टीपीएस 8  की 32 एकड़ भूमि के प्रकरण जिसमें दिनेश काबरा, कमल कुमार संघवी, दिनेश संघवी, राजकुमार पाहवा , समिति डाबर, स्वप्निल कंस्ट्रक्शन, विकास जैन, पुष्पा देवी बंसल, प्राइम डेवलपर, ए आर बी इंटरप्राइजेज, विष्णु बिंदल, जय कुमार संघवी वापस भेजे गए हैं 

पुरे मामले में पूर्व  भू अर्जन एवं विधि अधिकारी  की भूमिका  प्रकरणों में संदिग्ध दिख रही है !  इसके पहले भी इन्हीं भूमियों पर इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा विभिन्न योजनाएं घोषित की गई थी जिसे  इन सभी भू धारकों ने तत्समय  न्यायालय में योजनाओं को चुनौती दी थी जिसमें इंदौर विकास प्राधिकरण की तरफ से रिपुसूदन  शर्मा ने की पैरवी करी थी !  लेकिन केस हारने के बाद प्राधिकरण द्वारा भू अर्जन अधिकारी रहते हुए रिपुसूदन शर्मा ने ही इन्हीं सभी भूमियों पर   नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की धारा 51 के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया था !  रिपुसूदन  शर्मा पेशे से वकील भी हैं और इंदौर विकास प्राधिकरण से सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं ,सेवानिवृत्ति के बाद भी कई वर्षों तक प्राधिकरण में बतौर सलाहकार अपनी सेवा दे चुके हैं ! अभी कई प्रकरणों में उन्ही के द्वारा प्राधिकरण के खिलाफ पैरवी की जा रही हे और कई गलत अन्नपति प्रमाण पत्र जारी करने के गंभीर आरोप भी उन पर लग चुके हैं ! अब अध्यक्ष और मु. का. अ के लिए यह शोध का विषय भी हो सकता हे !