बिगड़ रही शहर की आबोहवा
युवाओ में बढ़ती पब संस्कृति और शराबखोरी की आदत बिगाड रही शहर की आबोहवा
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
जैसे जैसे शहर महानगर का रूप ले रहा हे ,सुख सुविधाओं के साथ महानगर की बुराइयां भी साथ होने लगी हैं ,इंदौर जिसकी खुद की अपनी संस्कृति रही हे ,पुरे देश में एकमात्र शहर जिसके १०० की.मि. के दायरे में २ ज्योतिर्लिंग मौजूद हे ,जिसका अस्तित्व भी इन्ही २ ज्योतिर्लिंगों के कारण ही जन्मा,जहाँ पूजन पाठ और अध्यात्म का विशेष महत्व हे ! शिक्षा और चिकत्सा का हब बनता जा रहा ये शहर आज एक और भी रूप लेता जा रहा हे जो भयावह हे ! शिक्षा की बेतहरिन सुविधओं के चलते शहर में लगातार बाहर से विद्यार्थी शिक्षा पाने के उद्देश्य से यहाँ आने लगे ! शिक्षण संस्थानों ने शिक्षा तो दे लेकिन रहने की उचित व्यस्था नहीं कर पाए ! इंदौर जिसकी अपनी एक व्यावसायिक मानिसकता भी हे और इसी के चलते यहाँ के रहवासियों ने एक मुनाफे वाले व्यवसाय " होस्टल व्यवसाय " की भी खोज कर ली ! अपने निजी घरों को रिहाईशी इलाकों में बिना स्वीकृति के हॉस्टल में परिवर्तित भी कर दिया ! बेशक हॉस्टलों में बहार से आने वाले विद्यार्थियों को रहने और खाने की सुवधियाँ तो मुहैया करा दी गयी जिसके चलते हॉस्टल मालिकों को बिना कमर्शियल टैक्स दिए एक अच्छा मुनाफा भी मिलने लगा लेकिन इसका दुष्परिणाम आज पूरा शहर भोग रहा हे !
आज इन्ही विद्यार्थियों में से अधिकतर परिवारों से दूर होने की आज़ादी का भरपूर फायदा उठाने लगे और पब संस्कृति की तरफ आकर्षित भी होने लगे ,आये दिन पुलिस की दबिश में ऐसी ऐसी बातें सामने आने लगी हैं जिससे पूरा शहर शर्मसार हे ,कहीं हॉस्टलों में देह व्यापर चल रहें हैं तो कहीं २४ घंटे विद्यार्थियों को आने जाने की सुविधा उपलब्ध हे ! रोकटोक के अभाव में ज़यादातर विद्यार्थी इसका अनुचित लाभ ले कर रास्तों और पबों में शराबखोरी करते अक्सर देखे जाते हैं ! भंवरकुंआ ,सपना संगीता रोड ,नवलखा ,विजय नगर ऐसे इलाके हैं जहाँ रात की अपनी एक अलग ज़िन्दगी होने लगी हे ! युवक युवतियों के परिधान और आचरण को एक भला आदमी देख भी नहीं सकता !
कई रहवासी संघठन निगम में सैकड़ों बार गुहार लगा चुके हे की अवैध हॉस्टलों की वजह से रहवासी क्षेत्रों का माहौल लगातार बिगड़ रहा हे लेकिन निगम की चुप्पी भी कहीं न कहीं जनमानस में कई गंभीर सवाल पैदा कर रही हे !
बहरहाल इंदौर की जनता तो बस रामायण की इस चोपाई पर ही भरोसा किये बैठे हे की
होइहि सोइ जो राम रची राखा
को करि तर्क बढ़ावे साखा