भूमि उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियां भी बने प्रदेश में

प्रदेश सरकार द्वारा निकाली जा रही विकास यात्रा में किसान करेगें  यह मांग

भूमि उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियां भी बने प्रदेश में

द  एक्स्पोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर 

पढ़ने में थोड़ा अजीब लग सकता हे  लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा विकास को जन जन पहुँचाने के उद्देश्य  को लेकर निकाली जा रही विकास यात्रा में भूमि अधिग्रहण से त्रस्त हो चुके किसान उनकी सिंचित भूमियों का विकास के नाम पर अधिग्रहण को लेकर जनप्रतिनिधियों से सीधे इस तरीके के सवाल कर करने वाले है ! पीड़ित किसानों का कहना हे  की औद्योगिक विकास निगम इंदौर विकास प्राधिकरण जैसी संस्थाएं विकास के नाम पर अपना लैंड बैंक तैयार करने की कोशिश में हे ! किसानों का कहना हे  की सरकार गांव और ग्रामीण संस्कृति को पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश कर रही है, सिर्फ दिखाने के लिए अभी-अभी g20 की बैठकों में पांच सितारा होटलों में गांव की झलक दिखा रही हे  लेकिन असलियत में प्रदेश सरकार ग्रामीण संस्कृति और गांव को पूरी तरह से नष्ट करने में लगी हे ! दरअसल इंदौर और इंदौर  के आसपास के शहरों के किसान पश्चिमी रिंग रोड बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं ! सड़क की चौड़ाई और उसके आसपास औद्योगिक/आवासीय  क्षेत्र बनाने को लेकर भी किसानों में खासी नाराजगी हे ! प्रदेश सरकार द्वारा निकाली जा रहे विकास यात्रा मैं किसान खुलकर सामने आ गए हैं जिससे जनप्रतिनिधियों में  असमंजस की स्थिति नजर आ रही हे ! लगभग 42.5  किलोमीटर की पश्चिमी रिंग रोड का अधिकतर हिस्सा मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम और इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा बनाया जाना हे  नेशनल हाईवे को भी इन दोनों संस्थाओं ने सम्मिलित कर लिया हे  किसानों का कहना है नेशनल हाईवे का काम लिंक रोड बनाने का नहीं नेशनल हाईवे बनाने का हे  लेकिन कहीं ना कहीं किसानों में गफलत का माहौल बनाने के लिए नेशनल हाईवे जैसी  एजेंसी को सम्मिलित किया गया हे ! प्रदेश सरकार की सिंचित भूमि को नष्ट कर अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति प्रकृति को नष्ट कर  योजना  बनाई है जिसे बाईपास से पीथमपुर तक सुलभ यातायात के लिए बनाई जाने वाली पश्चिमी रिंग रोड को का नाम दिया जा रहा है जिसका  पहले भी काफी विरोध हो चुका हे , खुद मुख्यमंत्री को किसानों के सामने घोषणा करनी पड़ी थी कि बिना उनकी सहमति के 1 इंच भूमि भी नहीं ली जाएगी लेकिन अब पश्चिमी रिंग रोड का पूरा खाका तैयार है ! किसानों का यह भी कहना है की बेशक सरकार यह कह रही है कि अधिक से अधिक शासकीय भूमि और बंजर भूमि का ही अधिग्रहण किया जाएगा लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही दिखती हे ! अपनी सिंचित भूमि के अधिग्रहण से खासे नाराज किसान विकास यात्रा का पुरजोर विरोध कर रहे हैं चुनावी वर्ष में इस तरह का विरोध निश्चित तौर पर सरकार के लिए  अकल्पनीय मुश्किलें पैदा कर सकता हे !

एक तरफ प्रदेश के मुखिया बिना सहमति भूमि नहीं लेने की बात करते है दूसरी ida अध्यक्ष केंद्र सरकार को लिख चुके हे पत्र 

पिछले वर्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने केंद्रीय मंत्री  नितिन गडकरी को पत्र लिख कर पूरी योजना का उल्लेख किया था जिसमे उन्होंने सड़क की चौड़ाई ७५ मीटर और सड़क के दोनों और 150  मी भूमि के अधिग्रहण की बात कही थी ! २२ गावों से हो कर गुजरने वाली इस सड़क के लिए लगभग 222 हेक्टेयर निजी भूमि ,लगभग ३८ हेक्टेयर शासकीय भूमि के अधिग्रहण के बात का भी उल्लेख किया गया था ! किसानों को 50 प्रतिशत विकसित ज़मीन देने के प्रावधान का भी उक्त पत्र में उल्लेख हे ! 

सबसे ज़्यादा विरोध देवास और आसपास के किसान कर रहें हैं 

देवास और देवास जिले के किसानों में लगातार रोष बना हुवा हे ,किसानों की मांग हे की लिंक रोड की चौड़ाई 75 मी. से घटाकर 30 मी की जाये ,साथ ही आसपास 150 मी अधिक भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाये ! किसानों को प्रदेश सरकार द्वारा बनाये गए लैंड पूलिंग एक्ट के तहत नहीं बल्कि केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए नविन भूमि अधिग्रहण के तहत मुआवज़ा दिया जाये ! वहीँ अधिक से अधिक बंजर और शासकीय भूमि का ही अधिग्रहण किया जाये ताकि किसानों से उनका कृषि व्यवसाय बचाया जा सके ! 

बोली मोर की और चाल चोर की 

किसानों का कहना हे की सरकार हमारे सामने मीठी बातें कर झूठे आश्वाशन दे रही और पीठ पीछे अलग खेल खेल रही हे ! हमे कहा जा रहा हे बिना सहमति के एक इंच भूमि नहीं ली जाएगी वहीँ उद्योगपतियों के सामने खुल कर कहा जा रहा "जहाँ ऊँगली रख देंगे वही ज़मीन आपको रियायती दरों में प्रदेश सरकार बिना देरी किये दे दी जाएगी ! 

वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार द्वारा TNCP एक्ट में किये गए थे बदलाव 

किसानों का कहना हे प्रदेश की शिवराज सरकार जब TNCP एक्ट में वर्ष 2016 में असवैंधानिक और असंभव बदलाव कर सकती हे और जिसे 43 वर्ष  पहले से लागु मान सकती हे तो पहले अपनी इस विषेशता को पहचानते हुए भूमि उत्पादन करने वाली फैक्टरियां प्रदेश में लगाएं  ,अगर सरकार ऐसा कर लेती हे तो किसान संतुष्ट हे ! क्योंकि वर्ष 2016 में इसी सरकार ने  बीते 43 वर्ष पैदा किए थे जिसकी वजह भी प्राधिकरण ही था जिसने विकास करते समय नियमों का पालन नहीं किया और बाद में भूतलक्षी प्रभाव से कानून बनवाया ।अब प्राधिकरण अध्यक्ष विकास के नाम पर मालवा का पठार ख़त्म करने की योजना बना रहें हैं । किसानों का दबी जुबान कहना हैं की विकास यात्रा में शरीर शामिल होगें आत्मा नहीं !