मान गए कैलाश..जो कहते हो खुलकर कहते हो..बेबाक तरीके से..!
आज के आधुनिक समय में जिस तेजी के साथ समय दौड़ रहा है उसी का नतीजा है की आज बच्चे, बढे - बूढ़े सब अपनी मान मर्यादा भूल गए है न पहनने का ढंग है न खाने-पिने का ! इसी बात को भरे मंच से कैलाश विजयवर्गीय ने कह दिया तो क्या गलत किया ?
फिर चाहे लोग उसमे गलती निकाले या उसकी तारीफ करे, कैलाशजी को कोई फर्क नहीं पड़ता
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।
कैलाशजी ने तो यही कहा था की आजकल के लड़के लड़किया जिस तरह से नशाखोरी कर रहे है उससे मन व्यथित हो जाता है , ऐसी इच्छा होती है की गाड़ी से उतर कर 5-7 थप्पड़ धर दू !! कौन सा गलत शब्द था इसमें आज अपने घर के बढे बूढ़ों के सामने ये युवा इस तरह नशाखोरी करके जायेंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा क्या ? वे अपने बच्चो की तारीफ करेंगे या उन्हें 2 थप्पड़ लगाकर इस गलत रास्ते पर नहीं चलने की नसीहत देंगे !
कैलाश विजयवर्गीय ने लड़कियों को लेकर जो बात कही वो कौन सी गलत है
आजकल ये लड़किया पढाई करने के बहाने बड़े बड़े महानगरों में जाती है और अपनी मन मर्जी के ऐसे कपडे पहन कर घूमती है जिससे उन्हें देखकर दुसरो को शर्म आ जाये, इसी बात को उन्होंने अपने अंदाज में कह दिया की जो लड़कियां अपने शरीर पर कम कपडे पहन कर घूमती है वो मुझे सूर्पणखा लगती है !
सही तो कहा, क्या गलत कहा उन्होंने,आप लड़की हो आपके घर वालो की इज्जत आपके हाथ में है उसे बनाये रखना या उसे धूमिल कर देना ये आपके हाथ में है ! अगर आप इस तरह के कपडे पहनकर बाज़ारों में घूमेंगी तो अच्छा हो आप वापस आदिमानव बन जाओ और बिना कपड़ो के घूमो फिर आपको कोई रोकने टोकने वाला नहीं होगा न किसी इज्जत की फ़िक्र न पहनने ओढ़ने की!
ये कहा था कैलाश विजयवर्गीय ने
जैन समाज के कार्यक्रम में मंच पर जब कैलाश विजयवर्गीय को आमंत्रित किया गया तब उन्होंने किसी बात पर कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी इतनी नशाखोरी में लिप्त हो चुकी है की उन्हें देखकर इच्छा होती है कि कार से उतर कर उन्हें 5-7 लाफ़े लगा दूं, और जो लड़कियां है ये तो मुझे सूर्पणखा लगती हैं, क्योकि इन्हे भी कपडे पहनने का बिलकुल ढंग नहीं है !