स्वत्छता में नं. 1 इंदौर का 'गौरव' ज़रा सी बारिश में 'पानी-पानी'
आज इंदौर शहर में तेज़ बारिश का कुछ देर के लिए झोंका आया और शहर की सड़कें पानी से लबालब भर गयी। इस बारिश को न मानसून कहा जा सकता है, न ही मानसून पूर्व की वर्षा। जब पूरी तरह मानसून आ जायेगा तो पूरा शहर "राम भरोसे" ही रहेगा, क्यूंकि पूत के पांव पालने में ही नजर आ रहे हैं।
आज शनिवार है और कल रविवार नगर निगम की छुट्टी, शहर पर भारी निगम का कॉर्पोरेट कल्चर
कहीं अधूरे निर्माण तो कहीं मरम्मत बनी समस्या, समस्या को जड़ से हटाने में निगम की कोई दिलचस्पी नहीं
कभी कुछ होता है तो सिर्फ "क्राइसिस मैनेजमेंट" का रोना, समस्या की जड़ तक जाने में अधिकारी टोटल फेल
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर ।
एक ज़माना था जब निगम की नौकरी और सत्ता को 24x7x365 की ज़िम्मेदारी माना जाता था। पर धीरे-धीरे निगम की कार्यप्रणाली और सोच भी बदली। पहले जुझारू नेता और अधिकारी हुवा करते थे, अब अधिकारी से लेकर नेता भी कॉर्पोरेट हो गए हैं। पहले समस्या का स्थाई निराकरण किया जाता था, अब सिर्फ तत्कालिक हल ढूंढा जाता है। और यही कारण है कि स्वछता में तो इंदौर सिरमौर हो गया, लेकिन निगम अपने दूसरे दायित्वों को भी भूल बैठा। नतीजा आज शहर भुगत रहा है।
अक्सर बारिश में इंदौर के कई इलाकों में ऐसे दृश्य आम होते हैं। आज की बारिश के बाद भी खजराना तालाब में पानी जानें का रास्ता बंद होने से तकरीबन 2 किलोमीटर लोगों को घुटने-घुटने पानी और इससे भी अधिक पानी में निकलना पड़ा। एमआर-9 से खजराना चौराहे की सर्विस रोड पर रहने वाले तो अब इस बात के आदि भी हो चुके हैं।
न अफसरों को दिक्कत, न जनप्रतिनिधियों को परेशानी
कई बार शिकायत भी हुई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं। न कोई जनप्रतिनिधि और न ही कोई अधिकारी इसमें दिलचस्पी लेते दीख रहे हैं। अब ये बात अलग है कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का जनता की समस्या को निरकरण करना पहली प्राथमिकता होता है। पर क्या करें साहब आज तो शनिवार है और कल रविवार। यानी अब जो कुछ होगा सोमवार को ही होगा, तब तक जल जमाव वाले हिस्सों में ऐसे ही तालाब बने रहेंगे।
प्राकृतिक मार्ग कर विकास की जगह किया शहर का विनाश
जल जमाओ का एक सबसे बड़ा कारण यह भी है कि जल निकासी के प्राकृतिक मार्ग को अनदेखा कर "विकास बनाम विनाश" किया जाता रहा है। वहीँ कई जगह स्टॉर्म वाटर लाइन ब्लॉक, तो मरम्मत के नाम पर पीने के पानी की लाइनें खोद दी गईं, तो कहीं नाला टैपिंग जैसे कार्य कर दिए गए। कई जगह प्राकृतिक स्थिति को देखे बिना या स्थानीय निवासियों से पानी के प्राकृतिक मार्ग की जानकारी लिए बिना किए गए "विनाश कार्य" का नतीजा आज शहर भुगत रहा है।
कुल मिलाकर आगे आगे पाट और पीछे पीछे सपाट
यही है इंदौर नगर निगम के विकास की परिपाटी