जरूरी नहीं कि हर बार मर्द गलत हो

राजस्थान की एक युवती ने 15 साल के नाबालिग किशोर का न सिर्फ अपहरण किया, बल्कि उसके साथ संबंध भी बनाए। विशेष अदालत ने युवती को पाक्सो एक्ट में दोषी पाते हुए सजा सुनाई। अपनी तरह का यह अनोखा मामला है, जब रेप के आरोप में एक युवती जेल गई।

जरूरी नहीं कि हर बार मर्द गलत हो

15 साल के नाबालिक से संबंध बनाने पर विशेष न्यायालय ने आरोपिता को दी 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।

5 नवंबर 2018 को थाना क्षेत्र में रहने वाली एक महिला ने पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई थी कि वह चूड़ी बनाने का काम करती है। 3 नवंबर 2018 की रात करीब 8 बजे उसका 15 वर्षीय पुत्र खीर के लिए दूध लेने गया था, लेकिन लौटा ही नहीं। आशंका है कि कोई अज्ञात व्यक्ति उसे बहला फुसलाकर अपने साथ भगाकर ले गया है।

मामला बाणगंगा पुलिस थाने का है। किशोर की माता की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की। विवेचना के दौरान पुलिस को बालक मिला। उसने बताया कि राजस्थान निवासी 19 वर्षीय युवती उसे बहला-फुसलाकर घूमने चलने का बोलकर अपने साथ गुजरात ले गई थी। वहां उसने उसे टाइल्स फैक्टरी में काम पर लगा दिया और कई बार शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। किशोर ने पुलिस को यह भी बताया कि मैं माता-पिता से बात न कर सकूं, इसके लिए युवती ने मेरा मोबाइल भी अपने पास रख लिया था।

पुलिस ने आरोपिता को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ पाक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया। जिला अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि विशेष न्यायालय ने प्रकरण में फैसला सुनाते हुए आरोपिता को पाक्सो एक्ट में 10 वर्ष कठोर कारावास और तीन हजार रुपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया।

कोर्ट ने सुनाई कठोर सजा

19 वर्षीय लड़की ने बताया की वह लड़के को गुजरात ले गयी थी। वहां उसने लड़के से संबंध बनाए। लड़का माता-पिता से बात न कर सके, इसके लिए उसने लड़के का मोबाइल भी छीन लिया। किशोर को तलाशते हुए पुलिस आरोपिता तक पहुंची, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ।

विशेष न्यायालय ने आरोपिता को पाक्सो एक्ट के तहत 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने फैसले में कहा है कि यह जरूरी नहीं है कि पाक्सो एक्ट में हमेशा सिर्फ पुरुष ही दोषी हो। एक महिला को भी पाक्सो एक्ट के तहत दंडित किया जा सकता है। कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से पीड़ित किशोर को 50 हजार रुपये प्रतिकर राशि के रूप में दिलाए जाने की अनुशंसा भी की है।