आईडीए को सुप्रीम कोर्ट से 25 करोड़ का झटका

योजना 59 में 25 करोड़ के मुआवजे का फटका खुद प्राधिकरण की गलत नीतियों के कारण पड़ा है। आईडीए की तमाम कोशिशों के बावजूद सर्वोच्च न्यायालय से भी प्राधिकरण के हार गया है। तेजपुर गड़बड़ी और ग्राम पिपलियाराव की 43 हेक्टेयर भूमि योजना क्रमांक 59 पार्ट 1 के अधिग्रहण से संबंधित है।

आईडीए को सुप्रीम कोर्ट से 25 करोड़ का झटका
IDA Indore

योजना 59 के मामले में लगी एसएलपी में हुई करारी हार, भरना पड़ेगा मुआवजा

आईडीए अब भी नहीं हटने को तैयार पीछे, कोर्ट में दायर कर दी पुनरीक्षण याचिका

द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.

योजना की प्रथम अधिसूचना जुलाई 1978 और दूसरी अधिसूचना सितंबर 1978 को जारी की गई थी, जिसका अवार्ड 24 मार्च 1990 को घोषित किया गया। इसमें सिंचित भूमि का मुआवजा 37000 प्रति हेक्टेयर और असिंचित भूमि की मुआवजा 12350 प्रति हेक्टेयर घोषित किया गया। भूमि का कब्जा 1980 को ले लिया गया था।

भूमि स्वामियों ने धारा 18 के तहत अधिक मुआवजे की मांग करते हुए याचिका दायर की और 25 रुपए स्क्वायर फीट तक मुआवजा बढ़ाने की मांग की, जो कि लगभग 10.90 लाख प्रति हेक्टेयर होता है। रिफरेंस कोर्ट ने याचिका का फैसला करते हुए 50000 और 25000 रुपए प्रति एकड़ तक बढ़ाने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट से भी मिली थी हार

14 दिसंबर 1993 को भूमि स्वामियों के पक्ष में आदेश पारित किया। पर दोनों ही पक्ष असंतुष्ट होते हुए उच्च न्यायालय की शरण में पहुंचे और सन 2000 में अपील के माध्यम से याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने अपील को डिसाइड करते हुए रेफरेंस कोर्ट को मुआवजा 50 हजार और 1 लाख रुपए प्रति एकड़ घोषित करने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट में भी मिली थी हार

हालांकि इसी योजना में प्राधिकरण ने कुछ भूमियों का अवार्ड 7 रुपए स्क्वायर फीट यानी 3.05 लाख रुपए प्रति एकड़ पहले ही घोषित कर चुका था। सभी भूस्वामी इस पक्षपात का विरोध करते रहे। तब सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई, सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि समस्त भूमि स्वामियों को 7 रुपए स्क्वेयर फीट का मुआवजा घोषित किया जाए।  

एसएलपी भी कोर्ट ने की खारिज

इसको आईडीए ने ना मानते हुए सर्वोच्च न्यायालय में पुनः शरण ली और एसएलपी लगाई। पर आईडीए अंततः 3 दिसंबर 2021 को सर्वोच्च न्यायालय से हार भी गया। अब आईडी न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका लगा रहा है। पर अगर ऐसा किया जाता है तो कानूनी तौर पर उसे एक बड़ी राशि पहले जमा करवाना होगी।

लगा दी पुनरीक्षण याचिका

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका लगाई जा चुकी है। इसके निराकरण होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

विवेक श्रोत्रिय, सीईओ आईडीए

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