क्या वाक़ई अंतर्राष्ट्रीय स्तर का होगा इंदौर का नेहरू स्टेडियम..?

इंदौर गौरव दिवस पर जहाँ माँ अहिल्या को याद किया गया, इंदौर के सम्मान में एक भव्य आयोजन किया गया, खुद मुख्यमंत्री भी उसमे शामिल हुए और एक घोषणा मंच से हुई "अंतर्राष्ट्रीय स्तर का नेहरू स्टेडियम"।

क्या वाक़ई अंतर्राष्ट्रीय स्तर का होगा इंदौर का नेहरू स्टेडियम..?

इंदौर गौरव दिवस पर मंच से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी घोषणा

कहीं दूसरी घोषणाओं जैसे ही न रह जाए ये भी घोषणा, क्या कहता है खेल जगत?

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर

बेशक सुनने में बहुत अच्छा लगा, पूरे शहर ने इस घोषणा को हाथों हाथ लिया, भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी अब खेलो में कुछ देर के लिए ही सही रूचि लेना शुरू कर दी। करना भी चाहिए वर्षों से अपने विकास की घोषणा सुनते आ रहै जर्जर हो चुके नेहरू स्टेडियम ने अब एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का सपना जो देख लिया और दिखाया भी खुद प्रदेश के मुखिया ने। बहरहाल मुखिया को शुक्रिया तो बनता है और धन्यवाद भी पुर शहर के तहै दिल से। 

लेकिन यह कोई पहली घोषणा नहीं है। इसके पहले भी कई बार ऐसी घोषणाएं होती रही हैं। पिछले वर्ष ही तत्कालीन कलेक्टर ने पीपीपी मॉडल पर स्टेडियम के विकास की बात कही थी। पिछली परिषदें भी स्टेडियम के विकास की बात करती थीं, लेकिन दुर्भाग्य घोषणा हर बार कहीं फाइलों में दबती रहीं। ऐसा नहीं है की राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी रही। शहर ने कई ऐसे नेता देखें हैं और आज भी मौजूद हैं, जो खेलों और उसके विकास के लिए बाहें चढाने में गुरेज नहीं करते, लेकिन राजनितिक व्यस्तता कहीं न कहीं उनके आड़े आती हैं और वो स्वाभाविक भी है। 

खत्म हो रही है खेलने की प्रवृत्ति

आज खेलों की स्थिति को देखें तो एक ज़माने में खेलों के मैदान शहर में भरपूर थे, जो आज ख़तम होते जा रहें हैं। कुछ भूमाफियों की भेंट चढ़ गए, तो कुछ पर अतिक्रमण कर लिया गया। कॉलोनियां बनीं, वहां बगीचे भी बने, लेकिन रहवासी खेलने के लिए मना करते रहे। लोगों के स्वस्थ पर इसका विपरीत असर पढ़ा और युवा ऑनलाइन गेम्स की तरफ आकर्षित होने लगे। यही कारण है कि आज का युवा शारीरिक रूप से इतना मजबूत नहीं बचा। इसका सबसे बड़ा कारण है खेल के मैदान का ख़त्म होना और फलस्वरूप अस्पतालों का एक विस्तृत जाल शहर में बढ़ना।

और इनका कहना है...    

बेशक मुख्यमंत्री ने राजनीति के पंचवर्षीय त्यौहार (चुनाव) के पहले घोषणा कर दी, कब और कैसे मूर्त रूप लेगी यह तो वक़्त बताएगा, लेकिन खेल जगत से जुडी हस्तियां क्या कहती हैं, जानते हैं -

ओम सोनी ( टेबल टेनिस संघ ) : पिछले 25 वर्षों में कई घोषणा हो चुकी हैं। स्टेडियम में खेल गतिविधियों के बजाये निर्वाचन की गतिविधियां ज़यादा होती हैं। शहर का दुर्भाग्य है कि आज तक निर्वाचन प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो पायी है। बेशक कुछ व्यवस्थाएं प्रशासन द्वारा की गयी हैं, लेकिन आने वाला समय ही बताएगा कि कितनी कामयाबी उस व्यवस्था में उन्हें मिलती है। आज स्टेडियम के चारों तरफ अतिक्रमण हो चूका है। आज तक उसे ही नहीं हटाया जा सका है। मुख्यमंत्री की घोषणा स्वागत योग्य है और आशा है, इस बार मूर्त रूप लेगी, ताकि सफाई के अलावा खेलों में भी इंदौर का नाम देश में मशहूर हो सके। पिछले चुनाव में भी स्टेडियम को ईवीएम की सुरक्षा के लिए ढाई साल तक बंद कर दिया गया था, जिससे खिलाडियों का अच्छा खासा नुकसान भी हुवा है।

राजू सातलकर (कबड्डी महासंघ) : हम दिल से घोषणा का स्वागत करते हैं, लेकिन खेलों के लिए शासन प्रशासन का रवैया हमेशा उदासीन रहा है। वर्ष 2019 में 47 करोड़ की लागत से चिमनबाग मैदान को कबड्डी के साथ अन्य इनडोर गेम्स के लिए मल्टीलेवल स्टेडियम, जिसमें एक ही समय में 15 खेल खेले जा सकते थे, राज्य शासन द्वारा स्वीकृत किया गया था। खुद लोकसभा अध्यक्ष ताई, महापौर और प्राधिकरण अध्यक्ष द्वारा भूमि पूजन किया गया था। थावरचंद गेहलोत ने केंद्रीय मंत्री रहते 50 लाख का अनुदान भी दिया था। डीपीआर बन के स्वीकृत ही नहीं हुई, वरन काम भी शुरू हुवा, लेकिन अचानक से बंद भी कर दिया गया। स्वीकृत प्रोजेक्ट के साथ यह रवैया है। आशा है, जो हाल चिमनबाग का हुवा, वह नेहरू स्टेडियम के साथ नहीं होगा। 

देवाशीष निलोसे (सचिव IDCA) : घोषणा स्वागत योग्य है, निश्चित तौर पर खेलों को बढ़ावा मिलेगा और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग अलग खेलों में शहर से अच्छे खिलाडी भी देश प्रदेश को मिलेंगे। 

देवकीनन्दन सिलावट (प्रदेश हॉकी संघ) : घोषणा का स्वागत है और हमारी मांग है की हॉकी के लिए भी स्टेडियम में जगह आरक्षित हो। आज प्रकाश क्लब छोटी से जगह में संचालित होते हुए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाडी दे चूका है। आज भी लगभग 160 खिलाडी क्लब में खेल रहै हैं और जगह कम होने से फुटपाथ पर प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं । अगर सुविधा हमें दी जाती है तो निश्चित तौर पर हॉकी में हम शहर का नाम राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करेंगे।

दिनेश पालीवाल (सचिव मप्र पावर लिफ्टिंग) : घोषणाएं तो बहुत होती हैं और घोषणाओं का राजनैतिक लाभ भी लिया जाता है, खेल के मैदान धीरे-धीरे एक रणनीति के तहत ख़तम किये जा रहै हैं। शहर के मास्टर प्लान में खेल के मैदानों का कोई प्रावधान नहीं है। शहर के मास्टर प्लान में खेलों के मैदान का भी प्रावधान हो और क्रियान्वित करने वाली एजेंसी, जिसमे विकास प्राधिकरण भी शामिल है। जिस प्रकार गरीबों के आवास हेतु बजट में प्रावधान किया जाता है, खेलों को भी उसमे शामिल किया जाये। वर्ष 1977 प्राधिकरण के जन्म वर्ष से आज तक प्राधिकरण लाखों हैक्टेयर ज़मीन का अधिग्रहण कर चुका है, जिस पर आज तक कोई विकास नहीं हो सका और हज़ारों हैक्टेयर भूमि भूमाफियों के भेंट चढ़ गयी। ऐसे प्राधिकरण के लिए खेलों के लिए मैदान आरक्षित करने का प्रावधान भी किया जाना चाहिए। अगर स्टेडियम की हालत ठीक होती तो नज़ारा ही कुछ और होता। एकमात्र स्टेडियम में ही सारी प्रतियोगिताएं सम्पन्न की जा सकती थीं और खिलाडियों के रुकने की भी अच्छी व्यवस्था हो सकती थी।