इंदौर में बांग्लादेश के खिलाफ विशाल महारैली, हजारों ने किया पैदल मार्च ,सरकार और संगठन को दिल खोल कर कोसते रहे राष्ट्र भक्त

भारतीय जनता पार्टी और हिंदुत्व की ज़िम्मेदारियां पर भी चर्चा ज़ोरों पर होती सुनाई दी , चर्चा में यह प्रश्न उठाया गया कि भारतीय जनता पार्टी ने इंदौर में जितने नए सदस्य बनाए हैं, उनकी भागीदारी कहां है? क्या यह केवल संघ, हिंदू संगठनों, और कट्टर हिंदुत्व विचारधारा के समर्थकों की जिम्मेदारी है कि वे समाज के मुद्दों को संभालें? हालांकि, चर्चाओं में यह भी संतोष जताया गया कि जो लोग साथ आए, उनका मार्गदर्शन किया जाए और जो अभी नहीं जुड़े, उन्हें जागरूक बनाने का प्रयास जारी रखा जाए।

इंदौर में बांग्लादेश के खिलाफ विशाल महारैली, हजारों ने किया पैदल मार्च ,सरकार और संगठन को दिल खोल कर कोसते रहे राष्ट्र भक्त

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर 

शहर में मंगलवार को बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक विशाल महारैली का आयोजन किया गया। यह रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरी, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। रैली करीब ढाई घंटे तक चली और इसमें शहरवासियों ने एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की।

हिंदू समुदाय के समर्थन में उठाई आवाज

रैली में लोगों ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न की घटनाओं के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि भारतीय सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाए। लोगों ने पोस्टर और बैनर के जरिए अपना विरोध दर्ज कराया, जिन पर लिखा था, "हिंदुओं पर अत्याचार बंद करो" और "हमारे धर्म भाइयों की रक्षा करो"।

राजनेताओं और विदेश नीति पर उठे सवाल

इस रैली में एक बड़ा मुद्दा भारत की विदेश नीति को लेकर भी उठाया गया। प्रदर्शनकारियों ने पूछा कि बांग्लादेश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के बावजूद, वहां हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार अब तक प्रभावी कदम क्यों नहीं उठा सकी है। प्रदर्शन में कई गणमान्यों  ने भारतीय राजनेताओं पर भी सवाल उठाए, कि वे इस गंभीर मुद्दे पर चुप क्यों हैं।

स्थानीय संगठनों की भूमिका

इस रैली का आयोजन कई स्थानीय धार्मिक और सामाजिक संगठनों द्वारा किया गया था। आयोजकों ने कहा कि यह केवल एक शुरुआत है और यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो देशव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग

प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हर देश की जिम्मेदारी है, और बांग्लादेश को इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

पुलिस और प्रशासन का सहयोग

रैली के दौरान शहर की कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने विशेष प्रबंध किए थे। पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण तरीके से मार्च पूरा करने में सहयोग दिया।

बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा:

बांग्लादेश में हिंसा का मुख्य कारण वहां मानवता और हिंदू विरोधी ताकतों का सुनियोजित विस्तार है। पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से बसे इन नए गुटों की अनदेखी की गई, जिसके परिणामस्वरूप आज वहां हिंदुओं और वतनपरस्त नागरिकों पर अत्याचार हो रहे हैं।

मध्य प्रदेश में रोहिंग्या समस्या:

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान रोहिंग्या मुसलमानों की बसावट बढ़ी है। उनका उद्देश्य भविष्य में हिंदू और मानवता के खिलाफ नरसंहार करना हो सकता है। ये लोग शासकीय भूमियों पर अवैध रूप से बस रहे हैं और स्थानीय लोगों से सहयोग प्राप्त कर रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा इस समस्या की अनदेखी की जा रही है, जिसके गंभीर परिणाम भविष्य में सभी को भुगतने पड़ सकते हैं।

राम का नाम नहीं नीतियों का भी अनुसरण करने की ज़रूरत 

भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था। उस समय जिन लोगों ने धर्म से ऊपर राष्ट्र को रखा, वे भारत में रह गए। लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं का लगातार नरसंहार केवल उनके धर्म के कारण किया जा रहा है। विशेष रूप से बांग्लादेश में अब खुलेआम हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं।

ऐसे में भारत सरकार को विश्व स्तर पर इस मुद्दे को उठाना चाहिए और बांग्लादेश के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने चाहिए, जैसा कि भगवान श्री राम ने धर्म और राष्ट्र के लिए किया था। अब राजा के लिए राम का सिर्फ नाम नहीं नीतियों का अनुसरण करने का भी वक़्त आ गया हे क्यूंकि रामलला अब अयोध्या में विराजित हो चुके हैं ! 

चर्चा में यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि भारत सरकार को हिंदुओं की रक्षा और मानवता के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। जागरूकता और एकजुटता ही इन समस्याओं का समाधान है ! देश के सबसे स्वच्छ इंदौर शहर की जनता ने एकता और जागरूकता को दर्शाया। प्रदर्शनकारियों ने यह संदेश दिया कि वे न केवल अपने देश में बल्कि विदेशों में भी अपने धर्म और समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़े हैं।