शहर में अवैध बेसमेंट और कॉलोनाइज़रों का खेल: प्रशासन की सुस्ती, जनता का नुकसान

शहर में अवैध निर्माणों और बेसमेंट के दुरुपयोग का मामला दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। नगर निगम और जिला प्रशासन की निष्क्रियता और ढिलाई के चलते कॉलोनाइज़र्स और बिल्डर्स मनमानी कर रहे हैं। भूमि विकास अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देकर निगम प्रशासन कभी-कभी कार्रवाई करता दिखता है, लेकिन यह अक्सर आधी-अधूरी होती है। असली सवाल यह उठता है कि जब यह गैरकानूनी कृत्य होते हैं, तब प्रशासन की नींद क्यों नहीं खुलती?

शहर में अवैध बेसमेंट और कॉलोनाइज़रों का खेल: प्रशासन की सुस्ती, जनता का नुकसान
courtesy :hindustan times

एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर : नगर निगम भूमि विकास अधिनियम के कुछ प्रावधानों का पालन तो करता है, लेकिन कई महत्वपूर्ण नियमों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर, शहर में बड़े पैमाने पर बेसमेंट को अवैध रूप से व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। भूमाफिया सीलिंग की जमीनों पर भी अवैध कब्जा कर भोले-भाले नागरिकों को बेवकूफ बनाकर संपत्तियाँ बेची जा रही हैं। जनता और बिल्डर्स के बीच कुछ पैसों के लालच में गैरकानूनी सौदेबाजी हो रही है,लिफ्ट रूम के नाम पर पेण्ट हाउस बेच करोड़ों का गैरकानूनी मुआफ़ कमाया जा रहा हे और प्रशासन इसे रोकने में विफल साबित हो रहा है।

मीडिया की आवाज, प्रशासन की चुप्पी

मीडिया ने कई बार इन अवैध गतिविधियों को उजागर किया है, लेकिन प्रशासन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। निगम और जिला प्रशासन तब ही सक्रिय होते हैं, जब केंद्रीय या राज्य सरकार से निर्देश जारी किए जाते हैं। तब तक, जनता का नुकसान हो चुका होता है और दोषियों को बचाने के लिए तंत्र पूरी तरह तैयार रहता है। यह लचर प्रणाली सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है, और दोषियों को कभी उचित दंड नहीं मिलता।

अवैध निर्माण का खेल

शहर के कई हिस्सों में कॉलोनाइज़र्स और बिल्डर्स ने विवादित  जमीनों पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स शुरू  कर दिए हैं। इन प्रोजेक्ट्स में लिफ्ट रूम के नाम पर पेंटहाउस बनाए जा रहे हैं, जिन्हें बेचा जा रहा है और भारी मुनाफा कमाया जा रहा है। इन अवैध पेंटहाउसों और बेसमेंट में व्यवसायिक गतिविधियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रशासन की सुस्ती के चलते इन अवैध निर्माणों का खेल तेजी से चल रहा है।

केंद्रीय और राज्य शासन की कार्रवाई का इंतजार,, नियम पहले ही मौजूद ,लेकिन ऊपर से डंडे का इंतज़ार  

शहर में गैरकानूनी निर्माण कार्यों पर कार्रवाई करने के लिए लगता है कि नगर निगम और जिला प्रशासन को केंद्रीय या राज्य सरकार से निर्देशों का इंतजार है। जब तक ऊपर से आदेश नहीं आता, तब तक कोई भी कदम नहीं उठाया जाता। यह स्पष्ट है कि प्रशासन केवल उच्च अधिकारियों के निर्देशों पर काम करता है, और जनता की शिकायतें अक्सर अनसुनी रह जाती हैं। जैसे ही ऊपर से डंडा अधिकारीयों पर पड़ता हे तत्काल कार्यवाही शुरू कर दी जाती हे अन्यथा "कर भला तो हो भला " की नीतियों का अनुसरण तो भारत के अधिकारी करते ही हैं ! 

शहर में अवैध बेसमेंट और अन्य गैरकानूनी निर्माण कार्यों पर नगर निगम और जिला प्रशासन की ढिलाई ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। भूमि विकास अधिनियम के प्रावधानों का सख्ती से पालन करने की बजाय, प्रशासन ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। मीडिया के माध्यम से बार-बार इस मुद्दे को उठाया जाता है, लेकिन कार्रवाई सिर्फ ऊपर से दबाव आने पर होती है। यह जनता के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि उन्हें सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ता है, जबकि दोषी कॉलोनाइज़र और बिल्डर्स ,भूमफिया मुनाफा कमाकर निकल जाते हैं।

सिर्फ बेसमेंट ही नहीं रियल स्टेट व्यापर पर और उनकी गैरकानूनी नीतियों पर  प्रशासन को अविलंब  सख्त कदम उठाने होंगे, नहीं तो शहर की अव्यवस्थित विकास योजना और भ्रष्टाचार का दायरा बढ़ता रहेगा।