मूत्र विसर्जन कांड के बाद अब बेलगाम कार्यकर्त्ता और पदाधिकारियों पर कार्यवाही की मांग

समय भाजपा के लिए ठीक नहीं, जहाँ चुनाव पूर्व सर्वे भाजपा के विरुद्ध जाते नज़र आ रहे हैं, आलाकमान भी जूतों के फीते तंग कर मैदान में है, महाकाल की आंधी अभी थमी नहीं और इसी बीच सीधी में आदिवासी पर तथाकथित विधायक प्रतिनिधि द्वारा नशे की हालत में मुँह में सिगरेट का धुंवा उड़ाते हुए किसी फ़िल्मी डॉन की तरह मूत्र विसर्जन कर दिया गया।

मूत्र विसर्जन कांड के बाद अब बेलगाम कार्यकर्त्ता और पदाधिकारियों पर कार्यवाही की मांग

मुख्यमंत्री ने पीड़ित के धोये पैर,  कहा-तुम मेरे मित्र सुदामा की तरह

सोशल मीडिया पर लूटी वाहवाही,  जनता ने की कठोर दंड की मांग 

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क,  इंदौर ।

जैसे ही सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुवा, पूरी भाजपा में हड़कंप मच गया। विपक्ष भी सरकार को घेरने में पूरी तरह जुट गयी और होना भी था विपक्ष को मुद्दे कोई और नहीं घर के विभीषण ही दे रहे हैं। सत्ता के नशे में मदिरा और मदिरा के नशे में होश खो बैठे कार्यकर्त्ता ही खुद भाजपा के दुश्मन बन बैठे। काडर बेस्ड पार्टी, संघ के मार्गदर्शन में चलने वाली भाजपा का एक अलग ही चेहरा सामने आने लगा। 

बहरहाल मुख्यमंत्री ने ताबड़तोड़ अपराधी तथाकथित विधायक प्रतिनिधि पर NSA जैसे गंभीर कानून के तहत मामला भी दर्ज करा दिया और भोपाल में पीड़ित आदिवासी के पैर धो कर उसका खोया सम्मान भी वापस दिलाने की कोशिश कर ली, अपना मित्र कहते हुए उसे सुदामा की संज्ञा भी दी, डैमेज कंट्रोल करने की हर वो कोशिश कर ली गयी, जिससे वर्षान्त में होने वाले चुनाव पर विपरीत असर न पड़े। सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री की पोस्ट वायरल होते ही जनता से वाहवाही भी भरपूर लूट ली, कितना डैमेज कंट्रोल हुवा ये तो चुनाव परिणाम ही बता पाएंगे लेकिन सोशल मीडिया पर जनता ने एक बड़ी असहज मांग भी कर डाली। 

चाय से गरम हैं केटलियां, ठंडी करो इन्हें

ऐसे कई प्रकरण पिछले कुछ वर्षों में सामने आये हैं, जहाँ व्यक्ति अपने आपको मंत्री, विधायक, संगठन पदाधिकारी यहाँ तक के मुख्यमंत्री का रिश्तेदार तक, या अपने आपको संगठन का कार्यकर्त्ता बोल आम जनता पर धोंसदपट करते पाया गया है। गाड़ियों पर नियम विरुद्ध बेखौफ नंबर प्लेट पर भाजपा की पट्टी या कमल का निशान लगा लिया जाता है, न पुलिस न ही प्रशासन इन पर कोई कार्यवाही करता है। हर छोटी मोटी बात पर इनके द्वारा जनता के साथ बदसलूकी, यातायात की नियम खुल्ले आम तोडना, गाड़ियों में नियम विरुद्ध हूटर लगा लेना और जनता पर रोब झाड़ना एक आम बात हो गयी है, अब जनता खुद ऐसे बेलगाम हो चुके कार्यकर्ताओं पर कठोर कार्यवाही की मांग करने लगी है। जनता अब खुलेआम कहने लगी है की चाय से ज़यादा केटलियाँ गर्म होने लगी है, खुद आकाओं को भी नहीं मालूम होता की कौन कहाँ कितना उबाले मार रहा है। 

अनुशासन है समय की मांग

निश्चित तौर पर भाजपा के लिए ये चुनौती की घडी है और कहा भी जाता है के जब वक़्त चुनौतीपूर्ण हो सबसे पहले जड़ों की तरफ रुख किया जाता है, भाजपा के लिए भी अब वक़्त है की अनुशासन जो उसकी रीति नीति रही है उस तरफ  रुख किया जाये और समझा जाये  की  आयतित्त भाजपा सदस्य जिन पर कच्ची स्याही  से ठप्पा तो लगा दिया पर थोड़े से पानी में धूल जाता है और वह अपने अतीत के पलो की और खो जाता है जिसकी यात्रा प्रारंभ हो गईं है  ! समय रहते पक्की स्याही  से ठप्पा नहीं लगा तो परिणाम 2018 से भी भयावह हो सकते हैं।