मुरादपुरा में मृतक नामांतरण मामले में धांधली की शिकायत पुलिस को भी
इंदौर जिले के मुरादपुरा गांव में मृतक नामांतरण के मामले में तहसीलदार ने एक ऐसे व्यक्ति का नाम चढ़ा दिया, जिसने पैतृक जमीन में से अपना हिस्सा लेने के बाद भाइयों की बची जमीन हथियाने की साजिश की।
तीन भाईयों ने छह महीने पहले सांवेर थाने पर दिया था आवेदन
भाई की पत्नी, पुत्र और दो अन्य सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.
इस मामले में एक और बात सामने आई है। इस भाई और उसकी पत्नी व पुत्र के खिलाफ शेष तीनों भाईयों ने थाना सांवेर पर एक आवेदन भी दिया था। इसमें बताया था कि भूमि का हिस्सा लेने के बाद उसका विक्रय पत्र तैयार करवा लिया और बची जमीन में से हिस्सा लेने की साजिश रची गई।
यह है पूरा मामला
मुरादपुरा में खसरा नंबर 277/1, 277/2, 310/1, 311/1 और 313/1 कुल रकबा 5.927 हेक्टेयर जमीन का नामांतरण का प्रकरण क्रमांक 2370/अ-6/2020-21 तहसीलदार सांवेर की कोर्ट में लगा था। इसमें 11 जनवरी को तहसीलदार तपीश पांडे ने आदेश पारित कर कैलाश, भगवान, बनेसिंह, दिलीप पिता बृजलाल के नाम से जमीन का नामांतरण कर दिया। जबकि पैतृक जमीन में से एक भाई कैलाश पहले ही अपना हिस्सा लेकर बेच चुका है। इस मामले में आवेदन जिस दिलीप के नाम से करना बताया गया, उसने नामांतरण का आवेदन ही नहीं दिया था। बल्कि उसने और उसके अन्य दो भाईयों ने नामांतरण प्रकरण के खिलाफ आपत्ति लगाई थी। कैलाश को उसका हिस्सा दिए जाने के बाद इनके पिता ने एक शपथ-पत्र तहसील कार्यालय में दिया था, जिसमें जिक्र है कि कैलाश अपना हिस्सा ले चुका है। सारी आपत्तियां और शपथ-पत्र तहसील रिकॉर्ड से गायब हो गए। तहसीलदार ने भी आदेश पारित करते समय लिखा कि यदि कोई आपत्ति आई तो आदेश स्वत: निरस्त माना जाएगा।
छह महीने पहले दिया था थाने में आवेदन
- तीनों भाई भगवानसिंह, दिलीप और बनेसिंह ने थाना सांवेर में 17 सितंबर, 2020 में एक आवेदन अनुसूईयाबाई पति कैलाश, महेश पिता कैलाश, अजब सिंह राजपूत और आनंद सिंह गौर के खिलाफ देकर धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज करने की मांग की।
- इसमें कहा गया है कि कैलाश की मानसिक स्थिति ठीक न होने से उसकी पत्नी अनुसूईयाबाई ने उनका हिस्सा अलग करने को कहा। इस पर उनके पिता बृजलाल ने 859 हेक्टेयर जमीन कैलाश को हिस्से में दे दी। इसकी लिखा-पढ़ी करवाने के लिए बृजलाल को अनुसूईयाबाई, महेश अपने साथ लेकर गए।
- वहां अजब और आनंद भी आते थे। उनके पिता पढऩा-लिखना नहीं जानते थे। इसी का फायदा उठाकर उन्होंने विक्रय पत्र लिखवा लिया और जमीन की कीमत के रूप में 62 लाख रुपए देना बता दिया। विक्रय पत्र में 10-10 लाख से सात चैकों और शेष राशि नकद देने का विवरण है। किंतु पिता बृजलाल के खाते में कभी रकम आई ही नहीं।
- इसके बाद अजब सिंह की ग्राम झालरिया-बडऩगर, उज्जैन में स्थित 859 हेक्टेयर, ग्राम मौलाना की 1 हेक्टयर और 0.4 हेक्टेयर जमीन का हस्तांतरण अनुसूईयाबाई के नाम पर हुआ। साफ जाहिर है कि अनुसूईयाबाई ने अपने हिस्से में आई जमीन अजब सिंह को देकर बदले में झालरिया में जमीन ले ली।
- इन दोनों मामलों में गवाह महेश बना है। इन सभी लोगों ने झूठे दस्तावेजों, शपथ-पत्र और पिता को धोखे में रखकर विक्रय पत्र का निष्पादन साजिशन करवाया ताकि बाद में शेष जमीन में से दोबारा हिस्सा मांग सकें। नामांतरण आदेश आने के बाद पुलिस ने भी सक्रियता दिखाते हुए फरियादियों के बयान लिए।
बैंक से भी निकलवाई जानकारी
भगवान, दिलीप और बनेसिंह ने बैंक ऑफ इंडिया शाखा पालिया से पिता बृजलाल के खाते की जानकारी निकलवाई। विक्रय पत्र में बृजलाल के इसी बैंक खाते में सात चैकों से 70 लाख की राशि प्राप्त करना बताया गया है। बैंक स्टेटमेंट से साफ हो गया कि सातों चैक उनके पिता के खाते में लगे ही नहीं। न ही किसी अन्य माध्यम से 70 लाख की रकम ट्रांसफर हुई। न ही क्रेता अजब सिंह और आनंद सिंह के बैंक खातों से कम हुई। पुलिस को दिए बयान के समय तीनों भाईयों ने बैंक स्टेटमेंट की कॉपी भी दी।