मौतों का ज़िम्मेदार कौन? इंदौर विकास प्राधिकरण, नगर निगम या  जनप्रतिनिधि..?

इंदौर के स्नेह नगर में बावड़ी धंसने से 31 लोगों की मौत ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। हादसे पर ज़िम्मेदारों पर कार्यवाही और भविष्य में पुनरावत्ति कैसे रोकी जाये, अब ये सवाल पूरा शहर कर रहा है। क्या इस बार किसी की जिम्मेदारी तय होगी, क्या गुनाहगारों को सजा मिलेगी, या केवल मुआवजे, सांत्वना और भाषणबाजी की राजनीति ही होगी, हमेशा की तरह।

मौतों का ज़िम्मेदार कौन? इंदौर विकास प्राधिकरण, नगर निगम या  जनप्रतिनिधि..?

इंदौर में रामनवमी पर हुए बावड़ी कांड पर खड़े हो रहे सवाल, आखिरकार जिम्मेदारी किसकी..?

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर ।

मौके पर उपस्थित रहवासी गण द्वारा दबी जुबान से की जा रही चर्चा जिसकी साक्षी वहां  की रहवासी जनता है , जिसमे बीते समय में इस निर्माण को लेकर शिकायत भी की थी और उसमे चेताया भी था की उक्त भूमि प्राधिकरण की योजना ३१ का भाग हे और नगर निगम ने प्रोजेक्ट उदय के समय भी इसे विकास से बाहर रखा गया था। ऐसी परस्थिति में नगर निगम का मोन अनगिनत सवालों को जन्म देता है। अतिक्रमण न हो और भूमियां मूल स्वरूप में रहे इसकी ज़िम्मेदारी दोनों ही विभाग की संयुक्त रूप में हे! 

जहां तक प्राधिकरण की बात है तो वह भूमि अधिग्रहण के बाद अतिक्रमण का पर्याय है इसलिए उसके बारे लिखना बेमानी होगी। इसका उदाहरण अभी सुप्रिम कोट से जीते एक प्रकरण में दिखा जिसमे प्रकरण में विचाराधीन भूमि के अतिरिक्त 500 करोड़ की भूमि पर अतिक्रमण निकला।

क्यों नहीं होती जनता की सुनवाई..?

वास्तव में इस हादसे का असली गुनहगार कौन हैं इसका जवाब क्षेत्र की जनता ही दे सकती है, जिसने शिकायत में जिम्मेदार को अतिक्रमण नहीं होने देने के लिय प्रार्थना की थी और स्थान को मूल स्वरूप में आम आदमी के लिये बगीचे के रुप में विकसित किया जाये। यदि उस समय संज्ञान लिया जाता तो इतने लोगों को अपनी जान नहीं गवानी पड़ती।

परंतु यदि शासन आर्थिक मदद की घोषणा के साथ यदि क्षेत्र की जनता से वास्तविकता जानकर यदि जिम्मेदारों पर कार्यवाही कर दे तो ऐसे हादसे होने बंद हों जायेंगे, जिसने होने वाली क्षतिपूर्ति का मापदंड कभी आर्थिक नही हो सकता हैं।

मुखिया से  मुखर हो जनता 

क्षेत्र के रहवासियों को चाहिए की दिवंगत आत्मा जिन्होंने रामनवमी के पावन पर्व पर अपनी जान गवाईं हे उन्हें न्याय दिला कर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करे ,और यह तभी हो सकता हे जब इन लोगों द्वारा की गयी शिकायत मुखिया के सामने रखे और प्रशासन की कार्यप्रणाली को उजागर करे ! अगर उसमे कोई जनप्रतिनिधि भी शामिल हो तो उनकी भी ज़िम्मेदारी मुखिया से तय करवाए ! उस मौत के भयानक चेहरे को याद करे जो दिवंगत आत्माओं ने उस बावड़ी में देखा ,सोच कर दिल देहल जाना चाहिए जो मौत का तांडव पटेल नगर में हुवा उस पर जनता को खुल कर सामने आना होगा !