“पठान” जेम्स बॉण्ड सिरीज की सस्ती कॉपी

यशराज बैनर की फिल्म पठान का बेसब्री से इंतजार था, विरोध करने वालों को भी और न करने वालों को भी। खैर गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले पठान रिलीज हुई। दर्शकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही, पर असल में कहा जाए तो यह फिल्म जेम्स बांड सिरीज की 90 के दशक में बनी फिल्मों की सस्ती कॉपी लगती है। इसके बाद भी 25-26 साल पहले बनी बांड फिल्मों की टेक्नोलॉजी और स्पेशल इफेक्ट्स का मुकाबला करने में फेल साबित होती है।

“पठान” जेम्स बॉण्ड सिरीज की सस्ती कॉपी
Pathaan Film Review

कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा

फिल्म रिव्यू. एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क।

बांड फिल्मों की तरह इसे बनाने की कोशिश तो खूब की गई, लेकिन लगता है कि कहीं की ईंट, कहीं रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। मतलब शाहरूख का इंट्रो सीन हो या दुबई में कार चेसिंग या फिर बर्फ के पहाड़ पर बाइक रेसिंग, हां, बर्फ के पहाड़ पर बाइक रेसिंग या चेसिंग। बांड ने स्की बाइक्स से ये स्टंट किया था, पर शायद यश बैनर का उतना बजट नहीं था, सो बाइक्स ही दौड़ा दीं। और तो और ये बाइक्स जमी हुई झील की बर्फ की सतह पर भी दौड़ती नजर आती हैं, इज इट ए जोक..।

पठान को देखकर एक मिनिट के लिए भी ऐसा नहीं लगता कि कोई ओरिजनल क्रियेशन देख रहे हों, हर सीन पर बांड फिल्म और कहीं-कहीं मिशन इंपासिबल के सीन याद आते हैं और फिर तरस आता है, बॉलीवुड के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर्स पर जो कॉपी भी ठीक से करना नहीं सीख पाए।

प्लॉट –

वही एक टेरेरिस्ट ऑर्गेनाइजेशन। भारत में आतंकी हमले का मंसूबा। जैविक हथियार के प्रयोग की साजिश और रोकने के लिए एक स्पाई या जासूस, जो खूब स्टंट करता है। विलेन की एक साथी जासूस, जिसका ह्रदय परिवर्तन होता और वो हीरो से हाथ मिला लेती। दोनों मिलकर आखिरी में जैविक हमले को फेल कर देते और विलेन का द इंड। बस कुछ बॉलीवुडिया मिर्च-मसाले का थोड़ा तड़का लगा दिया कि मौलिक फिल्म जैसी लगे। जैसे एक सीन में टाइगर की इंट्री, कुछ भड़कीले गाने वगैरह-वगैरह।

डायरेक्शन-

सिद्धार्थ आनंद ने को जो स्क्रिप्ट दी गई, उस पर तमाम फिल्में बन चुकी हैं, नया करने को कुछ था नहीं। स्पेन, रसिया, अफगानिस्तान के सीन डालकर फिल्म को डेकोरेट करने की कोशिश भी नई नहीं है। पर कई जगहों पर लॉजिक से हटकर सीन फिल्मा दिए, जो किसी वीडियो गेम जैसे लगने लगते हैं। खैर कोशिश बढ़िया थी, पर कसावट लाने में नाकाम रहे।

एक्टिंग-

तकरीबन 60 साल का बूढ़ा एक्टर, वर्चुअली सिक्स पैक बनाकर नौजवान लगने की कोशिश तो करता है, पर शाहरूख को मान लेना चाहिए कि झुर्रियां, धंसे गाल और गढ्ढों में घुसी आंखें उम्र की चुगली करने लगी हैं। बाप-भाई जैसे रोल में फिट लगेंगे। सपाट एक्टिंग को ढिशूम-ढिशूम के सहारे कब तक दबा पाएंगे। दीपिका को शो आइटम के रूप में लिया गया था, वो काम उसने बाखूबी किया। खूब दिखाया और यही फिल्म का प्लस पाइंट है। शेष कलाकार भी यहां ड्यूटी पूरी करते नजर आए। जॉन चाहे विलन हों या हीरो, एक ही फ्रेम में टाइप्ड हो चुके हैं।

क्यों देखें –

यहां कुछ कहना कंट्रोवर्सी जैसा होगा, पर सोच लें समय और पैसा दोनों की कमी न हो तो जा सकते हैं। बाकी ढाई घंटे बैठना खलने लगता है। हां, वाकई इस तरह की फिल्मों में रुचि है तो इस सबजेक्ट पर कई वेबसिरीज आ रही हैं, जो वास्तविकता के करीब भी लगती हैं और भरपूर मनोरंजन भी करती हैं। इसी फिल्म के साथ ही एक सिरीज “जांबाज हिंदुस्तान के” रिलीज हुई है, उसे देख सकते हैं।

कास्ट एंड रिटर्न –

फिल्म का बजट 250 करोड़ रुपए है और पहले दिन का कलेक्शन 57 करोड़ का रहा।

रैटिंग – वैल्यू फॉर मनी – 4.5/10 स्टार, वैल्यू फॉर टाइम – 4/10 स्टार

आईएमडीबी रैटिंग – 7.1/10 स्टार

क्रू एंड कास्ट के लिए विकीपीडिया के लिए यहां क्लिक करके देख सकते हैं –

https://en.wikipedia.org/wiki/Pathaan_(film)

या आईएमडीबी के लिए यहां क्लिक करके देख सकते हैं –

https://www.imdb.com/title/tt12844910/fullcredits?ref_=tt_ov_st_sm