अतिक्रमण सरकारी ज़मीन पर, दूसरी संस्था की ज़मीन पर याचिका, कोर्ट ने दिया स्टे
पटेल नगर के 97 रहवासियों ने दिलेरी दिखाते हुए वर्ष 2017 में उच्च न्यायालय में 3 याचिका यह कहते हुए लगाई कि निगम द्वारा उनके मकानों को तोड़ने की कार्यवाही की जा रही है। याचिका में सर्वे क्र. 325/1/4 का उल्लेख किया गया।
पटेल नगर के रहवासियों की दिलेरी ने सबको किया गुमराह, निगम अधिकारियों ने भी दिया साथ
आंख में धूल झोंककर 125 करोड़ की ज़मीन खा गया भूमाफिया, प्रशासन और अदालत को कर रहा गुमराह
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।
उक्त सर्वे नंबर बाकायदा राजस्व रिकॉर्ड में श्रीराम गृह निर्माण के नाम से दर्ज है और आज भी कब्ज़ा संस्था का ही है। जबकि अतिक्रमणकर्तओं ने जिस ज़मीन पर कब्ज़ा किया हुआ है, वे सर्वे नं. 325/3/2/1, 325/3/5 और 325/3/7 की हैं, जो शासकीय हैं। राजस्व रिकॉर्ड में शासन के नाम पर दर्ज हैं। इतना ही नहीं इंदौर विकास प्राधिकरण की महत्वकांक्षी योजना TPS-1 का भी भाग हैं।
उक्त सर्वे नंबर पर भूमाफिया इस्लाम पिता शफी द्वारा पटेल नगर बसा दिया गया। इतना ही नहीं मात्र 5 साल में छोटी सी मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाते अरबपति भी बन गया और थाने से लेकर निगम मुख्यालय तक गहरी पकड़ भी बना ली। रहवासियों ने याचिका में तो सर्वे लिखा श्रीराम गृह निर्माण संस्था का और जो नोटरियाँ संलग्न कीं, उन सभी में सरकारी खसरे लिखे हुए हैं। यानि कब्ज़ा कहीं और है तथा राहत मांगी किसी और भूमि पर। अगर यह बात निगम के ओआईसी द्वारा समय रहते अपने वकीलों को बता दी गयी होती तो आज सरकार को 125 करोड़ का नुकसान होने से बच जाता।
अदालत को भी किया गुमराह
इतना ही नहीं गफलत इस कदर पैदा कर दी गयी कि प्रशासन तो ठीक अदालत भी गुमराह हो गयी और अतिक्रमण हटाने पर स्थगन दे दिया। क्यूंकि सरकारी वकिलों द्वारा जानकारी के आभाव में अदालत के सामने सही तथ्य रखे ही नहीं जा सके। फिर क्या था निगम के अधिकारियों ने भी सांठगांठ कर भूमाफिया को याचिका में स्थगन आदेश का हवाला दे कर नोटिस भेज दिया और 10 दिन में अपना पक्ष रखने का लिख, मामले को षडयंत्रपूर्वक ठन्डे बस्ते में डाल दिया।
शुरू हो गई जमीन की खरीद-फरोख्त
अब हालात यह है कि इन्हीं शासकीय सर्वे नंबर पर धड़्डले से खरीदी-बिक्री फिर शुरू कर दी गयी और करोड़ों का खेल भूमाफिया ने फिर खेलना शुरू कर दिया। क्यूंकि निगम तो नोटिस दे कर चुप बैठ गया और भूमाफिया भलीभांति जानता है कि नोटिस में जिन याचिकाओं का उल्लेख निगम ने किया है, वह भूमि श्रीराम गृह निर्माण संस्था की है न कि शासकीय और कानूनी रूप से निगम भूमाफिया पर कुछ कार्रवाई भी नहीं कर पायेगा। रही बात अदालत को गुमराह करने की तो याचिका भी रहवासियों ने लगाई थी न कि भू माफिया ने। ज़िम्मेदारों से इस बारे में जब बात की गयी तो हर कोई मामले में पल्ला झाड़ते हुए दिख रहे हैं।
RE-2 का निर्माण भी अधूरा
यही वो पटेल नगर है, जिस पर अतिक्रमण हो जाने के कारण शहर के यातायात को कम करने के लिए इंदौर विकास प्राधिकरण की RE-2 भी अधूरी पड़ी है। प्राधिकरण वर्ष 2022 में ही निगम को अतिक्रमण हटाने का लिख चुका है, लेकिन निगम की सांठगांठ RE-2 और जनहित पर भारी पड़ रही है।