मुरादपुरा और महेश नगर के बंटी-बबली 

मामला मुरादपुरा के खसरा नंबर 345/1/1/346/1 की कृषि भूमि का है, जो आपसी विनिमय लेख से वर्ष 2003 से खजराना के दिनेश पिता सदाशिव ब्राम्हण के कब्जे में होकर उनके द्वारा कृषि कार्य किया जा रहा है। अब इस जमीन पर विनिमय लेख लिखने वाले के परिवार ने विवाद खड़ा कर दिया है।

मुरादपुरा और महेश नगर के बंटी-बबली 
courtesy :hindustan times

एक ने भूमि के कागज़ विक्रय कर दिए और दूसरे ने कागज़ खरीदे

कब्ज़ा किसी और का, मामला न्यायलय में फिर भी हो गयी रजिस्ट्री 

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर।

दरअसल इस विनिमय लेख को लिखने वाले स्वर्गीय गुलाब सिंह थे। उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी इंदर बाई, पुत्र दरबार सिंह और पुत्री उषा एवम् भूरीबाई ने नामांतरण का लाभ लेकर भूमि को जगदीश और दीपक पिता रमेश चौधरी को निवासी महेश नगर को 19/5/22 को विक्रय कर दी।

जबकि भूमि अनुबंधित है और उस पर कब्जा दिनेश पिता सदाशिव का है। इस आशय की वर्ष 2021 एवम् 2022 को सावधान जाहिर सूचना, विक्रेता को सूचना पत्र और न्यायालय में प्रकरण भी दर्ज है। इसके बाद भी दरबार सिंह के परिवार ने जमीन बेच दी।

दरअसल दरबार सिंह के परिजनों ने पंजीयन कार्यालय में झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत कर दिया कि उन्होंने या उनके किसी प्रतिनिधि ने उक्त भूमि किसी को नहीं बेची है, न उस पर ऋण है और न ही सिविल कोर्ट में कोई प्रकरण है और भूमि पर कब्ज़ा भी उनका ही है।

हालांकि यह सारी वास्तविकता  पटवारी रिपोर्ट से साफ़ हो गई कि विक्रेता ने झूठे शपथ पत्र देकर भूमि बेची है। पंजीयन कार्यालय में पंजीयन के समय जो खसरा नकल प्रस्तुत की थी, उसके 12 नंबर कॉलम में लिखा है की भूमि बंधक है।

बैंक क्यों है खामोश..?

जब बैंक लोन देता है, किसान यदि लोन नहीं भरता है तो उस भूमि को बैंक विधिवत नीलाम करने की कार्यवाही करता है। जब बैंक को यह विधिक अधिकार प्राप्त होते हैं, तो जिन भूमियों पर 12 नंबर कॉलम में ऋण का इंद्राज नहीं कटा हो या पंजीयन के समय समय बैंक का नो ड्यूज पत्र नहीं लगा हो, उस भूमि का पंजीयन हो जाना विधिक प्रक्रिया को अनदेखा करना ही हैं। और ऐसे प्रकरण के संज्ञान में आने के बाद बैंकों का मौन  बहुत सारे प्रश्नों को जन्म देता है।

यदि विधिक तथ्यों की अनदेखी कर ऐसे संव्यवहार होते रहे तो किसान और खरीदार  सभी वाद बहुल्यता में फंसते रहेंगे और प्रशासनिक अधिकारी भी इनसे अछूते नहीं रहेंगे। उनके बोर्ड पर फाइलों का अंबार लगा रहेगा और यह कोर्ट तक जाएगा।

रुकना चाहिए ऐसी खऱीदी-बिक्री

वास्तिवक रूप से ऐसी खरीदी बिक्री रुकना चाहिए, क्योंकि किसी भी पंजीयन अभिलेख में यह सच नहीं लिख रहता है कि उक्त भूमि पर मेरा कब्ज़ा नही है, यह भूमि मैंने बेच दी है या इस भूमि पर ऋण है। ऐसे प्रकरण जब भी उलझते हैं, अपराधिक प्रकरण उस किसान पर दर्ज होते हैं, जो भूमि का विक्रय करता है। उस परिस्थिति में भी किसान का ही नुकसान है। यह तथ्य सभी को समझना होगा।

  • दिलीप मुकाती, शहर अध्यक्ष-भारतीय किसान संघ, इंदौर

न्याय प्रक्रिया पर पूरा भरोसा

मैंने अपना पक्ष विधिक रूप से न्याय के उचित फ़ोरम पर रख दिया है। उसके निर्णय पर मुझे पूर्ण विश्वास है। चूंकी भारतीय किसान संघ द्वारा यह जागृति अभियान चलाया जा रहा है और किसानों को सभी स्तर पर सलाह के साथ पीड़ित किसान की पीड़ा की जानकारी उचित फोरम पर उचित विधिक  न्याय हेतु रखी जा रही है, यह एक अनुकरणीय पहल है।

  • दिनेश पिता सदाशिव, किसान

हां बेच दी है जमीन

मेरे पिता के द्वारा उक्त भूमि का मुंह बदला किया गया था और इसी कारण आज कब्ज़ा दिनेश पिता सदशिव का बना हुआ है। पर मैंने 35 लाख रूपए बीघा में जमीन चेतन अवस्थी और चन्दन सिंह बैस नामक व्यक्तियों को बेच दी है, जिन्होंने पुनः उक्त भूमि को जगदीश चौधरी नामक व्यक्ति को विक्रय कर दी है और अब ये लोग दिनेश पिता सदाशिव से कब्ज़ा ले लेंगे।

  • दरबार सिंह पिता स्वर्गीय गुलाब सिंह, किसान