इंदौर में कलेक्टर की जमीन पर बन रहा है अवैध ‘आश्रम’

रोबोट चौराहा एमआर-9 से एबी रोड की तरफ जाने वाली सड़क पर स्थित हनुमान मंदिर के पुजारी पं. शैलेंद्र जोशी की एक और कारगुजारी सामने आई है। मंदिर की मूर्ति खंडित होने के मामले में पहले ही विवादों में है और अब मंदिर के साथ लगी जमीन पर आश्रम की आड़ में अवैध मल्टी बना रहे हैं। जिसे उन्होंने नाम दिया है, ‘चिंतामण हनुमान आश्रम’।

इंदौर में कलेक्टर की जमीन पर बन रहा है अवैध ‘आश्रम’

मामला खजराना की सर्वे नंबर 532 का, हनुमान मंदिर के पास पुजारी करवा रहा अवैध निर्माण

आवागमन की सड़क बंद, आश्रम का बोर्ड लगाया, जिला प्रशासन की मिलीभगत या लापरवाही

जमीन कलेक्टर के नाम पर है दर्ज, पर पुजारी का दावा दान में मिली, दानदाता है लापता

द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।

हद तो यह है कि इस इमारत को बनाने के लिए किसी भी विभाग की अनुमित नहीं ली गई है। न तो जिला प्रशासन से एनओसी ली गई और न ही नगर निगम से भवन अनुज्ञा ली गई। बल्कि इस अवैध मल्टी बनाने के लिए वहां लगे वर्षों पुराने पीपल के पेड़ को आधा काट दिया गया। पेड़ के आजू-बाजू बने चबूतरे, जिस पर श्रद्धालु परिक्रमा करते थे, उसे भी नष्ट कर दिया, जिसके कारण रहवासियों में खासा विरोध है। 

मामले में जब और जानकारी चाही गई तो बड़ी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। दरअसल जिस भूखंड पर आश्रम के नाम पर 4 मंजिली इमारत खड़ी की जा रही है, ना तो उसकी वैधानिक अनुमति किसी विभाग से ली गई है और न ही किसी विभाग को जानकारी ही है। तकरीबन 4 साल पहले खुद अनुविभागीय अधिकारी और नगर निगम वहां बन रही दुकानों को ध्वस्त कर चुके हैं, लेकिन अब वो बन कर पूरी तरह तैयार हैं।

इतना ही नहीं जिस भूखंड पर इमारत तानी जा रही है, वह भूमि (खजराना-खसरा नं. 532) राजस्व अभिलेख में कलेक्टर इन्दौर के नाम दर्ज़ है और उक्त भूमि को ना तो शासन ने पंडित को बेची न वहां आश्रम बनाने की अनुमति दी। दूसरा सवाल यह भी है कि इतनी बड़ी राशि पंडित के पास कहा से आ गई कि वह चार मंजिला इमारत खड़ी कर रहा है। साहस की बात यह है कि न शासन और न जिलाधीश से अनुमति ली गयी।

किसने दान की जमीन

जानकारी मिली कि किसी तीसरे व्यक्ति ने पुजारी को जमीन दान कर दी। अब सवाल यह उठ रहा है कि इतनी बड़ी राशि पंडित के पास कहा से आ गई? उक्त भूखंड पर न्यायिक विवाद भी चल रहा है। सवाल यह भी है कि न्यायिक विवाद के दौरान एवम् कलेक्टर के नाम की ज़मीन दान में ली और दी कैसे जा सकती है?  बावजूद उसके निर्माण कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है।

किसका संरक्षण है पुजारी को..?

मिली जानकारी के अनुसार मंदिर का पुजारी पहले ही मूर्ति खंडित होने के मामले में विवादों में रहा है। रहवासियों द्वारा तत्कालीन एसडीएम को शिकायत कर मांग की गई थी कि मंदिर का रखरखाव और इसका प्रबंधन सरकार अपने हाथों में ले ले, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। रहवासियों द्वारा समिति भी बनाई गई थी। समिति ने कुछ महीनों काम किया, उसके बाद पुजारी की दादागिरी के चलते समिति को भंग कर दिया गया और जो भी दान मंदिर के नाम पर आता है, वह पुजारी द्वारा रख लिया जाता है। उसी राशि से साथ वाला भूखंड पुजारी द्वारा खरीदा गया और निर्माण कार्य चल रहा है। इमारत के पीछे रहवासियों के उपयोग के लिए एक सड़क भी जा रही है, जिसे भी बंद कर दिया गया है, जिसकी शिकायत रहवासियों द्वारा क्षेत्रीय विधायक को पहले ही की जा चुकी है और उनके द्वारा भी आश्वासन दिया गया था यह सड़क खोल दी जाएगी, लेकिन अब वह पूरी तरह बंद है। 

मोबाइल अस्तित्व में नहीं है

जब मामले में निर्माणाधीन इमारत के बोर्ड पर लिखे पुजारी पं. शैलेन्द्र जोशी के मोबाइल न. (986146050) पर संपर्क किया गया तो पता चला कि यह मोबाइल अस्तित्व में ही नहीं है।

दान में दिया है

मेरे द्वारा उक्त भूखंड दान में पुजारी को दिया गया है और आश्रम हेतु पुजारी द्वारा उस पर निर्माण किया जा रहा है। उक्त भूखंड पर न्यायिक विवाद भी चल रहा है।

  • रवि, तथाकथित भूस्वामी (9009109116 )