अभिभाषक को नागरिक नहीं माना जा सकता: कलेक्टर कार्यालय इंदौर
कलेक्टर कार्यालय, इंदौर ने एक अभिभाषक द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी को देने से इनकार कर दिया। मामला स्थानीय विधायक महेंद्र हार्डिया द्वारा दिनांक 5.10.2023 को खजराना के सर्वे नंबर 325/3 पैकि, रकबा 5.815 के संबंध में वास्तविक तथ्य कोर्ट के समक्ष रखने के संबंध में दिए गए पत्र से जुड़ा हुआ है।
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
अधिवक्ता ने इस शिकायत की संपूर्ण कार्रवाई की प्रमाणित प्रतिलिपि मांगी थी, लेकिन लोक सूचना अधिकारी शिव शंकर जारोलिया ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया कि सूचना का अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त होता है, और एक अभिभाषक को नागरिक नहीं माना जा सकता। लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 24 का हवाला देते हुए कहा कि अधिवक्ताओं को इस अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने का अधिकार नहीं है।
यह मामला तब और भी पेचीदा हो गया जब वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने लोक सूचना अधिकारी द्वारा दी गई इस व्याख्या को गलत ठहराया। उनका कहना है कि आरटीआई अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति, चाहे वह वकील हो या अन्य कोई पेशेवर, को जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है।
वहीं, राज्य सूचना आयुक्त ने भी अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि अधिवक्ताओं को जानकारी न देने का प्रावधान वैधानिक रूप से सही नहीं है। इस पूरे विवाद के बीच सवाल यह उठता है कि जहां क्षेत्रीय विधायक , जिलाधीश और खुद मुख्यमंत्री सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने के प्रयास कर रहे हैं, वहां लोक सूचना अधिकारी द्वारा इस प्रकार की जानकारी छुपाना और सही कार्रवाई न करना कितना जायज है?