मध्य प्रदेश के किसानों में रोष भाजपा किसान मोर्चा खामोष

प्रदेश के किसानों में फैल रहे असंतोष को भांपने में नाकाम भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा "आल इज़ वेल "

मध्य प्रदेश के किसानों में रोष भाजपा किसान मोर्चा खामोष

द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर 

पिछले कुछ दिनों में प्रदेश के किसानों में फेल  रहे असंतोष और समस्याओं को भांपने  में भाजपा किसान मोर्चा पूरी तरह विफल रहा ! जहां एक और अन्य किसान संगठनों के अलावा अब भारतीय किसान संघ मैदान में उतर आया हे , 22 नवंबर को बड़ी तादाद में भोपाल घेराव की तैयारी हे , ऐसा माना जा रहा है कि 2013 का इतिहास दोहराया जाएगा ! अन्य किसान संगठन भी किसानों की समस्याओं को लेकर पिछले कुछ महीनों से मैदान में है !  बिजली की समस्या जैसे सिंचाई के समय बिजली का वितरण नहीं होना, यूरिया की कालाबाजारी , राजस्व मामलों में हो रही देरी और भ्रष्टाचार , सहकारिता और सहकारी बैंक को की कार्यप्रणाली और फैल रहे भ्रष्टाचार, भूमि अधिग्रहण को लेकर समस्याएं ,विकास प्राधिकरण को भंग करने की प्रमुख मांग जैसे मुद्दों को लेकर भारतीय किसान संघ पूरी तरह मैदान में हे  ! सिर्फ भारतीय किसान संघ  ही नहीं दूसरे अन्य संगठनों जैसे २०१६ में सक्रिय संघठन युवा किसान संघ ,किसान सेना ,युवा किसान सेना का भी सहयोग भारतीय किसान संघ को मिल रहा हे , वहीं दूसरी ओर किसानों की समस्याओं के निराकरण शासन और प्रशासन स्तर पर करने के लिए किसानों की बातें सरकार तक पहुंचाने के लिए बनाए गए भाजपा किसान मोर्चा के कान में जूं तक नहीं रेंग रही ! भाजपा किसान मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी ,जिला स्तरीय एवं ग्रामीण कार्यकारिणी पूरी तरह से आश्वस्त होकर मौन हे  जिसके कारण भाजपा  किसान मोर्चा पर कई गंभीर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं ! संगठन के ही कई पदाधिकारियों का मानना है कि लाभ के पद पर आकर सत्ता के नशे में पदाधिकारी चूर हो चुके हैं और किसानों की समस्याओं से उन्हें कोई लेना देना नहीं सिर्फ स्वागत और फोटो खिंचवाने तक ही कार्य सीमित हो गए हैं ! २०१६ में भी भाजपा किसान मोर्चा पूरी तरह आश्वस्त था ,किसानों में फेल रहे रोष को ज़रा भी नहीं समझ पाया था और अंजाम हुवा सत्ता परिवर्तन ! 

यूरिया में हो रही काला बाज़ारी,सहकारिता और सहकारी बैंकों में हो रहे भ्रष्टाचार ,निल गाय (रोजड़े) पर तो युवा किसान संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख समस्या से अवगत कराया था जिस पर वन विभाग प्रमुख सचिव ने संघ को २००३ के आदेश की प्रति उपलब्ध भी कराई थी जिस में रोजड़ों को मारने  के आदेश का स्पष्ट हवाला था ,इसको भी भाजपा किसान मोर्चा आज तक क्रियान्वित नहीं करवा पाया और दूसरे संघठन आज तक प्रयासरत हैं ! इंदौर और आसपास के जिलों में आज पश्चिमी रिंग रोड का भरपूर विरोध जारी हे लेकिन भाजपा किसान मोर्चा उस पर भी खामोश हे ,ये बात और हे की सत्ता के नशे में चूर हे या मुद्दों पर पकड़ नहीं हे  ! विकास प्राधिकरणों द्वारा किसानों पर हो रहे अत्याचार पर मोर्चा पूरी तरह खामोश हे ! बड़ी विडम्बना हे सत्ताधारी दल होने के कारन जब जब भी प्रशासन स्तर पर किसानों को लेकर बैठकें हुई मोर्चा द्वारा सब कुछ ठीक होने की ही बात कही जाती रही हे ! २०१६ में भी यही हाल था जो हुवा जग जाहिर हे यह मोर्चे की ही निष्क्रियता थी के भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था ! आज भी मोर्चा खामोश हे और आत्ममुग्ध हो कर मान रहा हे "आल इज़ वेल " !