साल दर साल घट रहा हिंदू समाज
संस्कृति संवर्धन न्यास द्वारा आयोजित चिंतन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शरद ढोले
द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
चिंतन शिविर में शरद ढोले ने जनसंख्या असंतुलन से जुड़ी सामाजिक चुनौती पर बोलते हुए कहा कि आंकड़े बताते हैं कि यह संतुलन स्वाभाविक नहीं बल्कि सुनियोजित रणनीति का हिस्सा हे ! अभी तक 130 वर्षों में 13 बार जनगणना हुई, जनगणना हर 10 साल के बाद होती है और अंतिम बार 2011 में हुई जनगणना के अनुसार 130 वर्षों में हिंदू समाज 13 फ़ीसदी घटा यानी हर साल के बाद एक फीसदी हिन्दू कम हुआ हे ! परिणाम यह हुआ कि 1947 में देश का विभाजन हुआ यानी जहां हिंदू घटा वहां देश बंटा हे !
ढोले संस्कृति संवर्धन न्यास द्वारा "जनसंख्या असंतुलन की चुनौतियां एवं हमारी भूमिका " विषय पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे ! उन्होंने कहा 1947 से पूर्व अविभाजित भारत में 23% मुस्लिम आबादी थी और आज भारत में मुसलमानों की संख्या 15% हे इसी तरह ईसाई 1947 में 1 % थे जो आज देशभर में 7% हो गए ! जनसँख्या में आ रहे इस भारी असुंतलन से निपटने के लिए कम से कम तीन बच्चों को जन्म देना एकमात्र उपाय हे ! आज बहुत से लोगों का चिंतनशील रहना चाहिए यदि चिंतन नहीं किया जाता है तो देश और समाज पर संकट आ सकता हे क्यूंकि किसी भी देश की जनसँख्या ही उसके भविष्य की नीवं रखती हे ! आज पूरी दुनिया हिन्दू विचारधारा का लोहा मान चुकी हे और उसके आदर्शों को खुले मन से अपना भी रही हे ! दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था अमेरिका लगातार हिन्दू विचारधारा को आगे बढ़ा रहा हे , कई धर्म भारत में हिन्दू धर्म को अपनाना चाहते हे लेकिन समस्या हिन्दू धर्म में हे जो उन्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं ,उन्हें अपनी सोच में तत्काल परिवर्तन करने की सख्त ज़रूरत हे ! हिन्दुओं की ऐसी सोच के कारण आज लोग दूसरे धर्म की तरफ आकर्षित हो रहे हे ! जनसँख्या असुंतलन पर विचार ना करने के कारण कुछ देश दुनिया से मिट चुके हैं यह दुनिया का इतिहास हे , यह इतिहास भारत में न दोहराया जाए !
जनसंख्या असुंतलन के प्रमुख कारणों का उल्लेख करते हुए ढोले ने कहा ,पडोसी देशों से हो रही घुसपैठ,धर्मांतरण एक बड़ी समस्या भारत के लिए हे ,इस पर सरकार को जनसंख्या निति पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत हे ! उपमन्यु हज़ारिका आयोग की रिपोर्ट पर भी सर्कार को अब गंभीरता से विचार करना होगा !
कार्यक्रम में न्यास के अध्यक्ष अशोक बड़जात्या मौजूद रहे और अध्यक्षता मनोहर बाबूलाल बाहेती ने की संचालन अर्चना कर्णावत ने किया आभार मनीष शर्मा ने माना !