भू माफिया के तिलिस्म को नहीं तोड़ पा रहा शासन और प्रशासन
मामला खजराना गांव में 125 करोड़ की सरकारी जमीन पर अवैध पटेलनगर बनाने का और बनाने वाले इस्लाम पिता शफी का। कल 25 से 30 महिलाएं कुछ वकीलों के साथ पुलिस आयुक्त के समक्ष ये गुहार लेकर गयीं कि भूमाफिया इस्लाम पिता शफी हमारे दुःख सुख में खड़ा रहने वाला शख्स है और पटेल नगर से उसका कोई लेना देना नहीं। इस अवैध पटेल नगर में हम लगभग 30 वर्षों से रह रहे हैं।
द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।
भू माफिया के हौसले इतने बुलंद के पहले भोली भाली जनता को गुमराह किया फिर अदालत को
निगम और पुलिस के साथ सांठगांठ और अब पुलिस आयुक्त को भी गुमराह करने की कोशिश
बिना दस्तावेजी साक्ष्य अज्ञात लोग पहुंचे पुलिस आयुक्त के सामने कहा-इस्लाम पिता शफी निर्दोष
दस्तावेज आयुक्त को क्या दिए गए, इसकी जानकारी तो हमारे पास नहीं, लेकिन जब मीडिया ने सवाल किया तो दस्तावेजों के नाम पर कुछ भी दस्तावेज मीडिया को उपलब्ध नहीं कराया जा सका। हर शख्स बस एक ही बात कहने में लगा हुवा था कि "इस्लाम निर्दोष" है।
बेशक वे लोग कौन थे, कहाँ से आये थे, इसकी कोई पुख्ता जानकारी तो किसी के पास भी नहीं, लेकिन ये सब अपने आप को पटेल नगर का रहवासी ज़रूर बता रहै थे और अपने आप को वहां 30 वर्षों से रहना भी बता रहे थे। इन लोगों का अकारण पुलिस आयुक्त के यहाँ जाना और ऐसी बातें कहना कई गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
जैसे इन लोगों को वहां जाने की ज़रूरत क्या पड़ी, क्यूंकि अभी तो न पुलिस और न ही निगम के द्वारा कोई कार्यवाही की जा रही है? जब पुलिस आयुक्त ने भी कोई जांच का आदेश नहीं दिया तो उनके सामने आधार हिन् दस्तावेज विहीन तथ्य रख ये लोग क्या साबित करना चाह रहै हैं ? खुद जनता जाती तो भी बात समझ आती, लेकिन साथ में वकीलों की फौज की क्या ज़रुरत, जबकि कोई मामला अभी आयुक्त के समक्ष चल ही नहीं रहा? बहरहाल कारण जो भी हों दस्तावेज के आधार पर समझते हैं मीडिया के सामने इन लोगों ने और मौजूद वकीलों ने क्या कहा और कितनी सच्चाई है इनकी बातों में?
मौजूद वकीलों ने कहा "पटेल नगर राजस्व रिकॉर्ड में आज भी किसानों के नाम पर दर्ज है, बेवजह इस्लाम पिता शफ़ी को बदनाम किया जा रहा है, जबकि इस्लाम पिता शफी का भूमि से कोई लेना देना नहीं । वहां पर तकरीबन दो हजार लोग 30 वर्ष से निवासरत हैं। इस्लाम भूमाफिया नहीं है।
जबकि साक्ष्य यह कहते हैं कि जिस ज़मीन पर पटेल नगर यानि सर्वे न. 325/3 /2/1, 325/3/5, 325/3/7, 325/3/2/2 ) आज दिनांक तक भी राजस्व रिकॉर्ड में शासन के नाम दर्ज हैं। इतना ही नहीं इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना TPS-1 का भी भाग है और सर्वे पश्चात रिपोर्ट में भी शासकीय भूमि उल्लिखित है।
निगम को धमकता नजर आया इस्लाम
जब निगम द्वारा उक्त भूमि पर अतिक्रमण न करने और उनको ध्वस्त करने का नोटिस दिया जाता है, वह भी इस्लाम पिता शफी एवं अन्य के नाम दिया जाता है। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल है, जिसमें इस्लाम, निगम की टीम को धमकाते हुए कह रहा है कि हमने सारे निर्माण रुकवा दिए हैं और आपको सिर्फ पटेल नगर ही दीखता है? दाऊदी नगर भी तो अवैध है। अब सवाल यह उठता है कि जब लेना देना नहीं तो निगम का नोटिस उसके नाम क्यों और वीडियो में वो पटेल नगर की तरफदारी करते क्यों दीख रहा है?
साल 2000 से बिके प्लॉट
जिन लोगों का वहां 30 वर्षों से रहने का दवा किया जा रहा है वह भी कितना गलत है। वर्ष 1999 के मौके पंचनामे से स्पष्ट होता है कि जब प्रशासन द्वारा इसी पटेल नगर की भूमि का रिक्त कब्ज़ा सीलिंग एक्ट के तहत लिया गया था। यानि स्पष्ट है कि भूमि वर्ष 2000 के बाद ही भूमाफिया द्वारा नोटरी कर बेची गयी और ऐसी तकरीबन 50 से ज़यादा नोटरियाँ मौजूद हैं। कुछ नोटरियाँ तो खुद इस्लाम पिता शफी द्वारा खुद को विक्रेता बताते हुए की गयी हैं। तो ये दावा कि वहां 30 वर्ष पहले से बस्ती बसी हुई है कैसे सही हो सकता है?
जांच होगी
बहरहाल आयुक्त द्वारा इन्हे सिर्फ इतना ही कहा गया की जांच निष्पक्ष होगी, लेकिन इन लोगों का वहां अकारण जाना और तथ्य विहीन बातें करना किसी के गले नहीं उतर रहा।