इंदौर जिला कलेक्टोरेट तहसील कार्यालय में ब्लैकमेलरों का दबदबा

कलेक्टोरेट के तहसील कार्यालयों में ब्लैकमेलरों की दखल बढ़ता जा रहा है। प्रशासनिक मिलीभगत के चलते किसानों को परेशान करने वाली हरकतें जारी हैं। मिल रही शिकायतों के बाद भारतीय किसान संघ ने मोर्चा संभाला और अफसरों को चेतावनी दी कि बाज आ जाओ।

इंदौर जिला कलेक्टोरेट तहसील कार्यालय में ब्लैकमेलरों का दबदबा

असत्य तथ्यों को लेकर हर स्तर पर जमीनों के मामले में करते हैं परेशान

ज़मीनों के बढ़ते भाव के चलते प्रशासनिक मिलीभगत से लगातार हो रही हरकतें 

किसानों की लगातार शिकायतों के बाद भारतीय किसान संघ उतरा मैदान में

द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।

भारतीय किसान संघ ऐसे ही एक मामले में तहसीलदार को ज्ञापन दे कर चेतावनी दी है। मामला  खजराना के किसान रईस पटेल से संबंधित है।

इनकी भूमि पर मोहम्मद अयूब पिता याकूब निवासी दौलतगंज इंदौर द्वारा ब्लैकमेल करने की मंशा से आधारहीन तथ्यों को लेकर तहसील न्यायालय में चल रहे नामांतरण प्रकरण में अपील कर  किसान को उलझाने का प्रयास किया। दरअसल शिकायतकर्ता ने जो  जानकारियां दस्तावेज प्रस्तुत कर दी  हैं, उसके आधार पर उसका  संपत्ति पर कोई विधिक अधिकार बनता ही नहीं है। 

क्या है पूरा मामला..?

मामला जुनी इंदौर तहसील न्यायालय में चल रहै प्रकरण क्रमांक RCMS/408- 680 /22 -23 नामांतरण से संबंधित है। ब्लैकमेलर द्वारा खुद को आशियाना गृह निर्माण संस्था का अध्यक्ष बताते  खजराना की सर्वे नंबर 927/1/2  की भूमि के उक्त प्रकरण में  आपत्ति दर्ज करा दी। भारतीय किसान संघ ने कहा जिस संपत्ति को लेकर आपत्तिकर्ता द्वारा आपत्ति लगाई गयी है,  वह  अवैधानिक  है।

मोहम्मद अयूब पिता याकूब  द्वारा स्वयं को आशियाना गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष बताते हुए आवेदित भूमि पर संस्था का कब्जा बताते हुए आपत्ति कूट रचित एवं असत्य तथ्यों के साथ  प्रस्तुत की गई। संघ ने तथ्य पेश करते हुवे बताया की आदेश क्रमांक 2331 गृह निर्माण संस्था के संचालक मंडल के स्थान पर डीपी खरिया वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक को प्रशासक नियुक्त किया गया था जिसके पश्चात  पिंकी पटेल सहकारी निरीक्षक प्रशासक के रूप में आज तक नियुक्त है और संस्था परिसीमन में जा चुकी है

इससे स्पष्ट है कि आपत्तिकर्ता को  आपत्ति लगाने का विधिक अधिकार प्राप्त नहीं था। क्यूंकि सहकारिता विभाग द्वारा प्रशासक की नियुक्ति की जा चुकी थी और आपत्ति दिनांक को भी प्रशासक की नियुक्ति बनी हुई थी। मोहम्मद अयूब पिता याकूब की आपत्ति इसीलिए भी  असत्य, भ्रामक, बेवजह परेशान और ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से की गई है, जिसका प्रमाण राजस्व एजेंसी द्वारा तहसीलदार जुनी इंदौर के नामांतरण प्रकरण में प्रस्तुत जांच रिपोर्ट, मौका पंचनामा एवं दूसरा प्रकरण क्रमांक RCMS- 00003/अ-27/2022 -23 है।

इससे सारे  तथ्य और भी स्पष्ट हो जाते हैं कि कब्ज़ा कभी भी संस्था का नहीं रहा। किसान द्वारा संपत्ति पर बकायदा संपत्ति कर भी जमा किया जा रहा है, क्यूंकि किसान द्वारा भूमि विधिक रूप से खरीदी गयी है और राजस्व रिकॉर्ड में भी उसी के नाम दर्ज है। मौके पर भी भूमि पर किसान का ही कब्ज़ा आज दिनांक तक है। कॉलम न. 12 में कैसे और क्यों संस्था का नाम चढ़ा दिया गया यह जांच का विषय है।

क्यूंकि रिकॉर्ड में नाम चढ़ाये जाने का कोई भी आधार मौजूद नहीं है। किसान संघ ने मांग की है कि ब्लैकमेलर द्वारा लगाई गई आपत्ति को तत्काल खारिज किया जाए और वैधानिक रूप से क्रेता  के नाम नामांतरण किया जाये, जिसकी अपील भी किसान द्वारा न्यायलय SDM में पेश की जा चुकी है। 

ब्लैकमेलिंग अब बर्दाश्त नहीं

किसानों की ज़मीनों  के भाव जैसे ही बढ़े हैं, इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। किसानों को बेवजह कभी आपत्तियां लगाकर तो कभी फर्जी दस्तावेज बनाकर शोषित और परेशान किया जा रहा है जिस और शासन का ध्यान नहीं है। भारतीय किसान संघ ऐसे मामलों में दस्तावेजों के विधिक परीक्षण कराकर अब मैदान में आ चुका है। जहां-जहां भी इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, संबंधित विभागों में हमने दस्तावेजी साक्ष्य के साथ ज्ञापन दिया है। अगर कार्रवाई नहीं की गई तो इन सभी मामलों को उचित पटल पर रख समाधान किया जाएगा।

  • दिलीप मुकाती, शहर अध्यक्ष-भारतीय किसान संघ