डीएपी और यूरिया पर दी जाने वाली सब्सिडी पर किसानों ने उठाए सवाल कहा सब्सिडी की राशि किसानों के खाते में सीधे दी जाए और किसानों को जैविक खाद की तरफ प्रोत्साहित किया जाए !

डीएपी और यूरिया पर सरकारों द्वारा दी जा रही सब्सिडी का अब किसान विरोध करने लगे हैं और सरकार को हो रहे नुकसान से भी अवगत कराने लगे किसानों का कहना है जो राशि सब्सिडी की दी जा रही है उससे सरकार को काफी नुकसान सहन करना पड़ रहा है वहीं डीएपी और यूरिया जैसे रासायनिक खादों से मानव जाति को भी हानि हो रही है !

डीएपी और यूरिया पर दी जाने वाली सब्सिडी पर किसानों ने उठाए सवाल कहा सब्सिडी की राशि किसानों के खाते में  सीधे दी जाए और किसानों को जैविक खाद की तरफ प्रोत्साहित किया जाए !

द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर

सायनिक खाद बनाम जैविक खाद / गोबर खाद 

जैविक खेती , जैविक आहार , जैविक विचार, जैविक संसार सिद्धांतों को आगे बढ़ा रही और उस पर कार्य कर रही श्री दीप ज्योति फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी जिला देवास के अजीत शरद केलकर,रवि शरद केलकर,एसएस सिसौदिया अनुसार एक बोरी DAP की खरीद मूल्य 3851 अर्थात किसान के पैसे 1350 और सरकार के 2501 यानी 9 किलो नाइट्रोजन और 23 किलो फॉस्फोरस (जिसमे इन तत्वों की एक बड़ी मात्रा अनुपयोगी हो जाती  है ) के लिए इतनी राशि??? यूरिया और अन्य विषैले उर्वरकों के लिए भी सब्सिडी का शायद यही हाल होगा ।

इनका कहना है केवल सब्सिडी की  राशि में ही लगभग 2.5 से 3 टन गोबर खाद आ जायेगी । जिसका प्रभाव लम्बे समय तक रहेगा और यह अनेक पोषक तत्त्वों से युक्त होगी। उन्होंने आगे यह भी कहा की जो किसान बिना रसायनों के गौ आधारित जैविक खेती करेंगे  उनकी भूमि के क्षेत्रफल अनुसार रासायनिक खेती के आदानों पर दी जाने वाली सब्सिडी यदि सीधे उनके खाते में ट्रांसफर कर दी जाए, तो यह गौरक्षा, भूमि रक्षा और मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अद्भुत पहल होगी ।

रासायनिक खाद की सब्सिडी का बोझ सरकार पर हर वर्ष  बढ़ रहा है और इनके लिए विदेशी पर भी  निर्भर रहना पड़ता है। ये धरती और मानव स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। इनके निर्माण, परिवहन और उपयोग से हरित गैसों का उत्सर्जन होता है। अब समय आ गया है गौ आधारित जैविक खेती का !