विबग्योर राइज स्कूल उड़ा रहा आरटीई की धज्जियां

योजना क्र. 78 का विबग्योर राइज स्कूल आवंटन के बावजूद न सिर्फ खुले आम दाखिला देने से मना कर रहा, बल्कि जो पालक दाखिले के लिए वहां जा रहै हैं, उनसे बतौर डोनेशन एक मोटी रकम भी दलालों के ज़रिये मांग रहा है।

विबग्योर राइज स्कूल उड़ा रहा आरटीई की धज्जियां

प्रमाण-पत्र न होने के बावजूद अल्पसंख्यक कैटेगरी होने का दावा

स्कूल खुलेआम कर रहा राइट टू एजुकेशन एक्ट का उलंघन

आवंटन होने के बावजूद एडमिशन के लिए मांग रहा मोटी रकम

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।

दरअसल यह स्कूल खुद को अल्पसंख्यक स्कूल होने का दावा कर सीधे-सीधे आवंटन को नकार रहा है। जब एक्सपोज़ लाइव ने पड़ताल की कि स्कूल के पास ऐसा कोई भी प्रमाण पत्र है या नहीं तो सामने आया कि स्कूल के पास अल्पसंख्यक होने का प्रमाण-पत्र नहीं है।

स्कूल की मनमानी से पालक लगातार परेशान हो रहे हैं। एक बार आवंटन जारी होने के बाद एक निश्चित सीमा तक ही यह वैध रहता है। इस बार जारी हो चुके आवंटन की आखरी तारिख 10 अप्रैल है और अब दोबारा रजिस्ट्रेशन भी नहीं किया जा सकता।  10 अप्रैल तक एडमिशन न होने की स्थिति में कई बच्चों का साल भी खराब हो जाएगा, पर स्कूल की मनमानी जारी है। बिना मोटी रकम लिए एडमिशन करने से साफ मना कर रहा है।

क्या है आरटीई..?

आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के उदेशय से राइट टू एजुकेशन एक्ट बनाया गया था, जिसके तहत स्कूलों को 25 प्रतिशत सीट पर बच्चों को न सिर्फ मुफ्त शिक्षा देनी  होती है बल्कि किताबें और यूनिफार्म भी उपलब्ध करना होता है। पात्रता के लिए विद्यार्थी का  ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है और उसके बाद लॉटरी सिस्टम के तहत विद्यार्थी को स्कूल आवंटित किया जाता है। 

निरस्त होगी मान्यता 

मामले में तत्काल स्कूल प्रबधन को नोटिस जारी करेंगे और अगर  उसके बाद भी नहीं माना  तो तत्काल स्कूल की मान्यता रद्द की जाएगी। बेशक कुछ अल्पसंख्यक स्कूलों को RTE के दायरे से बहार रखा गया है, लेकिन विबग्योर राइज स्कूल आज भी RTE के दायरे में है।    

- मंगलेश व्यास, जिला शिक्षा अधिकारी-इंदौर