“छत्रीवाली” आई है जगाने, जनता भोली-भाली

मियां-बीबी के बीच सेक्स भी होगा और बच्चे भी होंगे, लेकिन जब सेक्स एजुकेशन या अवेयरनेश की बात आएगी तो इस विषय को अछूत की तरह ट्रीट किया जाएगा। ऐसे ही मुद्दे पर कड़ा प्रहार करती है फिल्म “छत्रीवाली”, इस शुक्रवार को रिलीज हुई।

“छत्रीवाली” आई है जगाने, जनता भोली-भाली
chhtriwali film review

कॉमेडी के साथ जबर्दस्त सोशल मैसेज देती है फिल्म, हैट्स ऑफ

फिल्म रिव्यू. एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क।

दरअसल सेक्स एजुकेशन या अवेरनेश को लेकर भारतीय समाज आज भी संकीर्ण मानसिकता में जी रहा है। बर्थ कंट्रोल को लेकर अपनाए जाने वाले उपायों को लेकर जागरुकता भी इसी मानसिकता के नीचे दब जाती है। फिल्म “छत्रीवाली” कांडोम जैसे मुद्दे पर बेबाकी से पक्ष रखती है और बताती है कि ये क्यों जरूरी है, ये कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हीन भावना के साथ देखा जाए, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।

बर्थ कंट्रोल के लिए महिलाओं पर जिम्मेदारी डालने वाले पुरुषों को आईना दिखाती है यह फिल्म। कांट्रासेप्टिव पिल्स खा-खाकर महिलाएं चाहे अपना शरीर खोखला कर लें, लेकिन पत्नी से प्यार का दावा करने वाले पुरुष कंडोम के इस्तेमाल से नाक-भौं सिकोड़ेंगे। इन्हीं पुरुषों को यह सोशल मैसेज काफी बढ़िया तरीके से डिलेवर करने आई है छत्रीवाली।

स्कूल की किताबों में भी सेक्स एजुकेशन का चैप्टर होता है, ह्यूमन रिप्रोडक्टिव सिस्टम का चैप्टर होता है, लेकिन वह केवल सतही पढ़ा दिया जाता है। टीचर भी इस चैप्टर को खोलने से डरते हैं। स्टूडेंट्स भी मुंह दबाकर हंसते हैं। ऐसे में जीवन का यह महत्वपूर्ण लेशन हमेशा छूटा हुआ सा ही रहता है। फिल्म ने इस गैप को भरने का थोड़ा प्रयास तो किया ही है।

प्लॉट –

फिल्म का प्लॉट ये है कि नौकरी की तलाश में एक लड़की कंडोम फैक्टरी में काम करने लगती है, पहले यह काम उसकी जरूरत होती है, पर फिर वो समझती है कि ये काम गलत नहीं है बल्कि समाज में इसको लेकर जो भ्रांतियां फैली हैं, उन्हें दूर करना जरूरी है। करनाल जैसे छोटे कस्बे में लोगों की मानसिकता बदलना आसान तो नहीं, पर वह सिर उठाकर निकलती है तो फिर एक-एक कर काफिला जुड़ता जाता है।

डायरेक्शन-

फिल्म को बेहद उम्दा टॉपिक पर हल्के-फुल्के ढंग से बनाया गया है। इसमें कॉमेडी के साथ इमोशन का तड़का लगाने में भी तेजस सफल हुए हैं। पूरी फिल्म कसी हुई है और करनाल जैसे कस्बे का लोकल टच भी परफेक्ट दिया गया है। तेजस ने कुछ मंझे हुए और कुछ नए कलाकारों के साथ काम किया, लेकिन सभी से काम लेने में सफल हुए।

एक्टिंग-

स्टार कास्ट संतुलित है। लीड रोल में रकुल ने नेचुरल तरीके से दमदार परफोर्मेंस दिया है। सुमित ने भी बेहतर साथ दिया है। बाकी सतीश कौशिक, राजेश तैलंग, राकेश बेदी जैसे कलाकार हों तो क्या ही कहना।

क्यों देखें –

मस्ट वॉच मूवी है। पैडमैन के बाद ऐसी कोई दूसरी फिल्म आई है, जो सेक्स एजुकेशन और महिलाओं की समस्या को दमदारी से उठाती है और गहरा सोशल इंपेक्ट भी छोड़ती है। गर्लफ्रेंड के साथ जाएं, ब्यायफ्रेंड के साथ जाएं या फैमिली के साथ, फिल्म किसी स्पॉट पर नजरें झुकाने पर मजबूर नहीं करेगी। और कुछ नहीं तो यही सोचकर देख आईए कि जो लेशन स्कूल में नहीं पढ़ पाए थे, यहीं पढ़ लेंगे।

कास्ट एंड रिटर्न –

फिल्म का बजट 50 करोड़ रुपए है और कलेक्शन ठीक-ठीक जा रहा है।

रैटिंग – वैल्यू फॉर मनी – 8/10 स्टार, वैल्यू फॉर टाइम – 8.5/10 स्टार

आईएमडीबी रैटिंग – 7.2/10 स्टार

क्रू एंड कास्ट के लिए विकीपीडिया के लिए यहां क्लिक करके देख सकते हैं –

https://en.wikipedia.org/wiki/Chhatriwali_(film)

या आईएमडीबी के लिए यहां क्लिक करके देख सकते हैं –

https://www.imdb.com/title/tt15516226/fullcredits/?ref_=tt_cl_sm