इंदौर के मुरादपुरा गांव में मृतक नामांतरण में घालमेल

एक तरफ कलेक्टर मनीष सिंह पूरे प्रशासनिक तंत्र में कसावट के साथ भ्रष्टाचार पर लगाम कस रहे हैं। वहीं उन्हीं के मातहत अधिकारी उनकी पीठ पीछे बड़े गेम खेल रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मुरादपुरा गांव का है।

इंदौर के मुरादपुरा गांव में मृतक नामांतरण में घालमेल

भाई ने आवेदन दिया ही नहीं और उस पर हो गई कार्रवाई

तहसीलदार ने आपत्तियों को भी कर दिया दरकिनार


द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News,

यहां तहसीलदार ने मृतक नामांतरण के एक मामले में तमाम आपत्तियों को दरकिनार करते हुए एक ऐसे व्यक्ति का नाम चढ़ा दिया, जिसने पैतृक जमीन में से अपना हिस्सा लेने के बाद भाइयों की बची जमीन हथियाने के लिए पूरा खेल रचा। हद तो यह जिस भाई के नाम से आवेदन करना बताया गया, उसने आवेदन किया ही नहीं था, बल्कि प्रकरण में आपत्ति लगाई थी।

  • मुरादपुरा में करीब पांच करोड़ की जमीन के नामांतरण को लेकर सांवेर तहसीलदार तपीश पांडे ने चार भाईयों कैलाश, बनेसिंह, भगवान और दिलीप के नाम से नामांतरण किया। जबकि पैतृक जमीन में से एक भाई कैलाश पहले ही अपना हिस्सा लेकर बेच चुका है। भाईयों की जमीन में भी फिर से चौथाई हिस्सा हथियाने के लिए उसकी तरफ से यह खेल रचाया गया।
  • मामले में खास बात यह है कि आवेदन जिस दिलीप के नाम से करना बताया गया, उसने नामांतरण का कोई आवेदन ही नहीं दिया था। बल्कि उसने और उसके अन्य दो भाईयों ने नामांतरण प्रकरण के खिलाफ आपत्ति लगाई थी। पर तहसीलदार ने उन सारी आपत्तियों को दरकिनार कर दिया। यहां एक बात और सामने आई कि कैलाश को उसका हिस्सा दिए जाने के बाद इनके पिता ने एक शपथ-पत्र भी लिख दिया था। इस शपथ-पत्र में इस बात का साफ जिक्र है कि कैलाश अपना हिस्सा ले चुका है। तीन अन्य भाईयों की तरफ से यह शपथ-पत्र भी नामांतरण आवेदन के खिलाफ लगाई गई आपत्तियों के साथ लगाया गया था, लेकिन प्रकरण में आपत्तियों के साथ यह शपथ-पत्र भी गायब हो गया। तहसीलदार ने तीनों भाईयों को बयान के लिए भी बुलाया और बाले-बाले एक तरफा कार्रवाई करते हुए नामांतरण कर दिया।
  • अब तीनों भाई इस आदेश के खिलाफ एसडीएम के सामने अपील की जाने की तैयारी कर रहे हैं। तीनों भाईयों का कहना है कि उनका पक्ष सुने बिना एक तरफा आदेश कैसे दे दिया गया, यह समझ में नहीं आ रहा है।

सीएम हेल्पालाइन में शिकायत

इस मामले में पटवारी ने मौका मुआयना भी किया और रिपोर्ट भी बनाई थी। फिर भी दूसरे पक्ष को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। बताया जाता है कि कैलाश के पुत्र दिनेश ने मामले में सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर दी थी। अब दिनेश के द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के आधार पर ही प्रकरण का निराकरण करवा लिया। 

आदेश में यह बताया गया प्रकरण...

  • मुरादपुरा की खसरा नंबर 277/1, 277/2, 310/1, 311/1 और 313/1 कुल रकबा 927 हेक्टेयर जमीन का नामांतरण का प्रकरण क्रमांक 2370/अ-6/2020-21 तहसीलदार सांवेर की कोर्ट में लगा था। इसमें 11 जनवरी को तहसीलदार ने आदेश पारित कर कैलाश, भगवान, बनेसिंह, दिलीप पिता बृजलाल के नाम से जमीन का नामांतरण कर दिया।
  • इस प्रकरण में दिलीप पिता बृजलाल की तरफ से खसरा नकल और समस्त दस्तावेजों के साथ आवेदन किया जाना बताया गया है।
  • बताया गया कि बृजलाल की मौत हो जाने से उनक वैद्य वारिसों कैलाश, भगवान, बनेसिंह, दिलीप का नाम ग्राम मुरादपुरा की उक्त जमीन के खाते में दर्ज करने का निवेदन किया गया।

यह है पिता का शपथ-पत्र

कैलाश को हिस्सा दिए जाने के बाद जब उसकी तरफ से फिर विवाद खड़ा किया गया तो, 15 अक्टूबर 2019 को बृजलाल पिता भागीरथ ने शपथ-पत्र तहसीलदार सांवेर के सामने लगाया था। इसमें उनकी तरफ से कहा गया है कि उक्त सर्वे नंबर की जमीनों का पूर्व में मौखिक बंटवारा किया जा चुका है। उनके बड़े पुत्र कैलाश को 1.859 हैक्टेयर जमीन मिली थी, जिसे उसने बेच दिया। इसके बाद मुलाना-बडऩगर, उज्जैन में कृषि भूमि खरीद ली। अब जो भूमि शेष बची है, उस पर उनके तीन पुत्रों दिलीप, भगवान और बनेसिंह का हक है। तीनों पुत्रों के बीच इस जमीन का बंटवारा कर दिया जाए।

तीनों भाईयों ने लगाई थी आपत्ति

तहसीलदार सांवेर के सामने नामांतरण प्रकरण आने के बाद दिलीप, भगवान और बनेसिंह ने आपत्तियां लगाई थीं। इसमें कहा था कि कैलाश अपने हिस्से की जमीन बेचकर दूसरी जगह जमीन खरीद चुका है। उक्त प्रकरण में तीनों भाई तहसीलदार के सामने उपस्थित होकर साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहते हैं। अत: उन्हें भी सुनवाई और साक्ष्य पेश किए जाने का पूरा मौका दिया जाए।
इसके अलावा तीनों भाईयों ने एक और आपत्ति तहसीलदार कार्यालय को दी थी, जिसका सार यह है कि कैलाश 25 साल से मानसिक रूप से अस्वस्थ है, जिसका इलाज मनोचिकित्सालयों में जारी है। वह खुद किसी आवेदन पर दस्तखत नहीं कर सकता। आवेदन के पीछे किसी और का हाथ हो सकता है। 

आगे अपील कर सकते हैं...

आपत्ति का निराकरण किए बिना आदेश नहीं दिया जा सकता। इस मामले में फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है। न्यायालयीन मामला है, यदि किसी को कोई आपत्ति है तो उसके पास अपील का अधिकार भी होता है, वह आगे अपील कर सकता है।
- तपीश पांडे, तहसीलदार सांवेर


 नहीं किया था आवेदन

मैने मृतक नामांतरण के लिए कोई आवेदन नहीं लगाया था और न ही आदेश में लिखे अनुसार कोई शपथ पत्र दिया। बल्कि मामले की जानकारी मिलने पर आपत्ति लगाई थी और तहसीलदार कोर्ट के समक्ष सुनवाई का अवसर देने की भी मांग की थी।
- दिलीप सोलंकी, किसान मुरादपुरा


कब तक करते रहेंगे अपील

तहसीलदार साहब ने आदेश तो निकाल दिया। अब वकील भी कह रहे हैं कि आगे अपील करो और तहसीलदार साहब भी। हमारा जीवन तो अपील और केस लडऩे में ही निकल जाएगा। नीचे की गलती यदि निचले स्तर पर ही सुधार दी जाती तो आज हमे इतना परेशान नहीं होना पड़ता।
- भगवान सोलंकी, किसान मुरादपुरा