कालिंदी हाउसिंग सोसाइटी को लेकर विधायक की डिमांड ऑफ जस्टिस

कालिंदी हाउसिंग सोसाइटी के सदस्यों ने रविवार को विधायक महेंद्र हार्डिया के घर पहुंचकर अपनी पीड़ा बताई थी। इसके बाद विधायक ने इंदौर कमिश्नर को डिमांड ऑफ जस्टिस का लेटर भेजा। इसमें विधायक ने कहा कि जब योजना 53 खत्म हो चुकी है तो संस्था के सदस्यों की जमीन अब तक क्यों अटका रखी है? इन्हें एनओसी क्यों नहीं दी जा रही है?

कालिंदी हाउसिंग सोसाइटी को लेकर विधायक की डिमांड ऑफ जस्टिस

इंदौर विधायक महेंद्र हार्डिया ने कमिश्नर को दिया पत्र

पूछा योजना 53 खत्म तो क्यों अटका रखी है संस्था की जमीन

द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.

विधायक महेंद्र हार्डिया ने इंदौर कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा को जो पत्र लिखा है, उसमें बिंदुवार कालिंदी हाउसिंग सोसाइटी की स्थिति स्पष्ट कर दी। इसके साथ ही कहा कि पत्र के साथ संलग्न सभी दस्तावेजों का परीक्षण करें और कमिश्नर इंदौर के ही उस आदेश का पालन करवाएं, जो 14 अगस्त, 2013 को दिया गया था। साथ ही नगरीय विकास एवं आवास मंत्री द्वारा 3 सितंबर, 2020 को जारी किए गए पत्र के आधार पर संस्था को एनओसी दिलवाएं। ताकि 25 साल से भूखंड के लिए भटक रहे संस्था सदस्यों को राहत मिल सके।

इन मुद्दों को विधायक ने रखा कमिश्नर के सामने

  • - नगरीय विकास एवं आवास विभाग भोपाल पहुंचकर संस्था के सदस्यों और प्रतिनिधि मण्डल ने मंत्री को अवगत करवाया कि ग्राम खजराना-इंदौर की जमन को आईडीए बिना योजना और बिना नियमों से कब्जे में ले रखा है। इसके चलते 25 वर्षों से संस्था के सदस्य भूखण्ड प्राप्त नहीं कर पा रहे। प्राधिकारी ने योजना 53 का पूर्णत: त्याग कर दिया गया है, जिसकी वजह से प्राधिकारी संस्था की भूमि पर विकास कार्य भी नहीं करवा पा रहा है। इसके चलते प्राधिकारी के तत्कालीन अध्यक्ष एवं संभागायुक्त ने 14 अगस्त, 2013 को एक समीक्षा बैठक में विभिन्न संस्थाओं के साथ कालिंदी हाउसिंग सोसाइटी के पदाधिकारियों से चर्चा की। इसके बाद आदेश दिया कि प्राधिकारी द्वारा उक्त योजना समाप्त की जा चुकी है, अत: संस्था के साथ किया गया अनुबंध समाप्त करते हुए वैधानिक कार्यवाही की जाए।
  • - आदेश की प्रति प्राधिकारी की ओर से संयुक्त पंजीयक एवं उप-पंजीयक सहकारी संस्थाएं और आईडीए के सम्पदा अधिकारी, मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण यंत्री को अग्रिम कार्रवाई के लिए भेजी गई थी। इस आदेश का क्रियान्वयन अब तक नहीं हो पाया। मंत्री को भी एक आवेदन संस्था के प्रतिनिधियों ने दिया था। इस आवेदन को भी प्राधिकारी कार्यालय को भेजा गया था।
  • - पिछले चार वर्षों के पत्राचार से एक बात साफ है कि प्राधिकरण बोर्ड ने 16 अक्टूबर, 1998 को पारित अपने संपल्प क्रमांक 27 में योजना को समाप्त करने का लिखा है। इसका पालन वर्तमान में पदस्थ अधिकारी नहीं कर रहे हैं। बोर्ड ने उक्त संकल्प में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि योजना 53 समाप्त की जाती है। प्राधिकारी ग्राम खजराना की रिक्त भूमि पर नवीन योजना घोषित करने को स्वतंत्र होगा। 25 साल बाद भी कोई नई योनजा घोषित नहीं की गई।  प्राधिकरण ने विधानसभा में दिए उत्तर में भी इस बात को स्वीकार किया है।  
  • - उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर की युगल पीठ द्वारा भी योजना 53 को सम्पूर्ण को समाप्त घोषित किया गया है।  तब से आज तक प्राधिकरण के रिकॉर्ड भी योजना को समाप्त दर्शा रहे हैं। परन्तु कुछ अधिकारी अपने व्यक्तिगत हितलाभ की मंशा से योजना 53 को जीवित बताकर संस्था के साथ दस्तावेज विहीन पत्राचार करते रहे हैं। संस्था की भूमि के संबंध में न्यायालय में गलत, भ्रामक और असत्य शपथ पत्र प्रस्तुत किए हैं।   
  • - प्राधिकारी बोर्ड द्वारा अपने स्तर पर योजना को त्याग करने का निर्णय लिया गया था, अत: यह तथ्य भी प्रमाणित है कि योजना 53 समाप्ति के बाद प्राधिकरण 12 अक्टूबर, 1992 के इकरारनामे के अनुसार अपना अधिकार
  • प्राप्त करने न्यायालय कभी नहीं गया। क्योंकि प्राधिकारण वैधानिक स्थिति जानता है। ऐसी स्थिति में संस्था के इतने सदस्यों को लगातार उत्तर देना भी कठिन है कि संस्था को उसकी अनुबंधित भूमि पर योजना समाप्त होने पश्चात विकास के लिए पत्र जारी क्यों नहीं किया। इसका कोई वैधानिक कारण, वैधानिक दस्तावेजों के साथ मुझे प्रदाय नही किया गया।
  • - कालिंदी गृह निर्माण सहकारी संस्था अध्यक्ष ने प्राधिकरण में आवेदन दिया था, इसके प्रतिउत्तर में प्राधिकारी के भू-अर्जन अधिकारी ने 28 फरवरी, 2020 में यह उल्लेख किया है कि प्राधिकारी व संस्था के मध्य संकल्प 9 के तहत अनुबंध हुआ है। जबकि स्वयं मुख्य कार्यपालिक अधिकारी ने अपने पत्र 21 अगस्त 19९8 में उल्लेख किया है कि कालिंदी गृह निर्माण सहकारी संस्था के साथ संकल्प 9 के अंतर्गत कोई अनुबंध नहीं हुआ है। दोनों पत्र प्राधिकरण के वरिष्ठ एवं जिम्मेदार अधिकारियों ने दिए हैं और दोनों में विरोधाभास है।
  • - प्राधिकारी कार्यालय की भूअर्जन शाखा ने 18 मई 2016 में लिखा है कि योजना 53 में किसी भी संस्था या व्यक्ति से संकल्प 9 दिनांक 31 जनवरी, 1986 के परिपे्रक्ष्य में निष्पादित नहीं हुआ। शासन के नियमानुसार प्राधिकरण बिना योजना घोषित किए किसी भी संस्था अथवा व्यक्ति से उसकी भूमि के विकास के संबंध में कोई अनुबंध निष्पादित नहीं कर सकता और योजना 53 न्यायालय के आदेश के परिपालन में त्याग चुका है।