ख़त्म हो रही "कृष्णबाग़" की उम्मीदें
एक के बाद एक निर्णय आ रहे रहवासियों के खिलाफ ,मास्टरमाइंड मनोज नागर ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर दिया रहवासियों को धोखा ,अब मास्टरमाइंड पर कार्यवाही का इंतज़ार ,खुद रहवासी नहीं पाना चाहते न्याय ,जनप्रतिनिघि से लेकर जिला प्रशासन मदद को तैयार लेकिन कोई नहीं आ रहा सामने
द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
खजराना के सर्वे क्र. 66 /2 (k) पर अवैध रूप से बन चुके मकानों को ध्वस्त करने की कार्यवाही पिछले सप्ताह शुरू हो चुकी थी लेकिन विरोध के चलते और मानवीय संवेदना को देखते हुए प्रशासन ने कार्यवाही कुछ दिन के लिए टाल दी ,लेकिन 29 जुलाई को अदालत ने फिर एक आदेश पारित कर भूस्वामी श्री राम बिल्डर के पक्ष में फैसला दे दिया जिससे रहवासियों की मुसीबत और बढ़ते नज़र आ रही हे ! न्यायालीन राहत के लिए प्रयासरत रहवासियों की उमीदें अब धीरे धीरे ध्वस्त होती नज़र आ रही हे ,वहीँ 6 तारिख से प्रशासन फिर कार्यवाही शुरू करने की तैयारी में हे !
दरअसल 2003 में श्री राम बिल्डर ने उक्त भूमि अन्य भूमियों के साथ न्याय नगर संस्था से सहकारिता विभाग की अनुमति ले कर खरीदी थी ,कब्ज़े को ले कर चले विवाद के चलते बिल्डर ने न्यायालय में याचिका लगाई लगभग 20 साल बाद बिल्डर के पक्ष में फैसला आया और न्यायालय द्वारा जिला प्रशासन को भूमि का रिक्त कब्ज़ा बिल्डर को दिलाने का आदेश भी पारित हुआ ,जिस पर सर्वोच्च न्यायलय की भी मोहर लग गयी ,उसके बाद जैसे ही जिला प्रशासन हरकत में आया ,रहवासियों के साथ जनप्रतिनिधियों के भी होश उड़ गए क्यूंकि वह जो लो रह रहे हैं उन्हें वहां 15 साल से भी अधिक हो गए और सरकार ने उन्हें सभी सुविधाएँ भी दे रखी हैं ! लेकिन पुरे मामले में रोचक बात यह हे की सहकारिता विभाग ने जो अनुमति श्री राम बिल्डर को वर्ष 2003 में दी थी वह 18 साल बाद निरस्त कर दी गयी ,बेशक अभी उस पर न्यायलय ने कोई टिप्पणी नहीं करी हे ! लेकिन अनुमति निरस्त करने के लोग अपने अपने मायने निकाल रहे हैं ! यानि अगर अनुमति को निरस्त मान लिया जाता हे तो यह भूमि पुनः न्याय नगर के मालिकाना हक़ की होगी ! इसमें यह भी विचारणीय पहलु हे की जिस भूमि को न्याय नगर के द्वारा श्री राम बिल्डर को बेचा गया हे वही भूमि किसान द्वारा पावर के आधार पर श्री महालक्मी संस्था को बेचीं जा चुकी थी ,अब श्री महालक्मी नगर के पदाधिकारी यह आरोप लगा रहे हैं की गलत तरीके से यह भूमि न्याय नगर द्वारा हथिया ली गयी थी !
कैसे हुई जनता के साथ धोखाधड़ी
उक्त भूमि पर लम्बी न्यायालीन लड़ाई का फायदा वहां सक्रीय भूमाफिया मनोज नागर ने उठाया और ज़मीन के फ़र्ज़ी दस्तावेज तैयार कर ज़मीन को अपना बता दिया ,फिर बाले बाले उस पर नोटरी पर प्लाट बेचना शुरू कर दिए ,प्रशासन और भूस्वामियों द्वारा जब रोकने की कोई कार्यवाही नहीं की गयी भूमाफिया के होंसले और बढ़ते गए और उसने दो गुना गति से प्लाट बेचना शुरू कर एक मोटी रकम भी कमा ली ! फिर चला सेटिंग का खेल और ढगा गया रहवासी ! दरअसल अवैध कॉलोनी के मुख्यतः 3 प्रकार होते हैं
- जिस भूमि पर स्वामित्व का तो कोई विवाद नहीं हो और बिना अनुमति (TNC/डायवर्सन/और निगम) के भूखंड बना दिए गए हों ,ऐसी ज़मीन पर प्रायः स्वामित्व को कोई विवाद नहीं होता और धीरे धीरे वहां मुलभुत सुविधाएँ भी उपलब्ध हो जाती हैं ! शहर में ऐसे कई उदहारण भी हैं और उन्हें वैध करने की लिस्ट में भी शामिल कर लिया गया हे !
- दूसरा :न्यायालीन विवाद के चलते किसी तीसरे की भूमि पर फर्जी दस्तावेज कर अपना बता कर ,साम दाम दंड भेद की निति के सहारे वहां भूखंड बेच दिए जाते हैं और न्यायालीन प्रक्रिया का बेजा इस्तेमाल कर भूमाफिया तो बच निकलता हे फंसती हे जनता ! कृष्णबाग़ में भी ऐसा ही कुछ हुआ !
- तीसरा :सरकारी भूमियों को हड़प कर उस पर धीरे धीरे अवैध बसाहट कर दी जाती हे और मामले को न्यायालीन विवाद में फंसा दिया जाता हे ,बेशक इस पर प्रशसन और शासन को कार्यवाही करनी चाहिए लेकिन आज तक ऐसा कुछ अज्ञात कारणों से नहीं किया गया ! ताज नगर ,पटेल नगर ,मुमताज़ बाग़ कॉलोनी जैसे कई उदहारण आज देखने को मिल सकते हैं !
क्या कहना हे क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन का
क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा करने पर उनका कहना हे हे की हम न्यायालीन आदेश की खिलाफ तो नहीं जा सकते लेकिन कोई और विकल्प पर विचार भी कर रहे हैं ,जिला प्रशासन से इस बारे में हम लगातार संपर्क में हैं ,हमारा प्रयास रहेगा की जनता को कम से कम परेशानी का सामना करना पड़े ! महेंद्र हार्डिया ( विधायक ) इंदौर-5
वहीँ मामले स जुड़े एक अधिकारी का स्पष्ट कहना हे की न्यायालीन आदेश के बाद निर्माण हटाने ही होंगे ,लेकिन अगर रहवासियों को न्याय चाहिए तो जिन लोगों से उन्होंने भूखंड खरीदें हैं उनके खिलाफ सबूत ले कर रहवासियों को सामने आना पड़ेगा ,हम तत्काल दोषियों पर कार्यवाही करेंगे !
प्रशासन कर सकता हे पीड़ितों को विस्थापित
शहर भर में जिला प्रशासन के पास ऐसी रिक्त भूमियां आज उपलब्ध हे जहाँ पीड़ितों को आश्रय दिया जा सकता हे ,ऐसी कई ज़मीने आज शहर में मौजूद हैं जहाँ पर भी भूमाफियों द्वारा अवैध बसाहट कर दी गयी हे ! प्रशासन के पास इन भूमियों को ले कर भी सारे अधिकार सुरक्षित हैं !